Drishti Judiciary : Prosecution Officer
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अभियोजन अधिकारी (Prosecution Officer)

परिचय
  • ऐसे अभ्यर्थी जो सरकारी नौकरी पाने के इच्छुक हैं तथा आपराधिक मामलों के मुकदमों में दिलचस्पी रखते हैं, अभियोजन अधिकारी (Prosecution Officer) के रुप में अपना कॅरियर बना सकते हैं और APP अर्थात् सहायक लोक अभियोजक (Assistant Public Prosecutor) के रूप में काम कर सकते हैं।
  • APP को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस पद को ADPO अर्थात् सहायक ज़िला अभियोजन अधिकारी (Assistant District Prosecution Officers) , तथा ADA यानी सहायक ज़िला अटॉर्नी (Assistant District Attorney) के नाम से भी जाना जाता है।
  • अभियोजन अधिकारी सरकार की ओर से रोज़मर्रा के मामलों को देखता है।
  • कोई भी अपराध जनता के खिलाफ अपराध माना जाता है। इसलिये राज्य आपराधिक मुकदमे में पीड़ित का प्रतिनिधित्व करता है।
  • APP का काम जनता/समाज के हित में काम करते हुए न्याय के उद्देश्य को पूरा करना है।
  • अभियोजन अधिकारी आपके लिये एक संतुष्टि भरा कॅरियर विकल्प हो सकता है। अभियोजन अधिकारी के रुप में आपको व्यक्ति जनता/समाज के कल्याण के लिये सीधे काम करने का अवसर मिलता है और आप अपने पूरे कॅरियर के दौरान कानून के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े रहते हैं।

अभियोजन अधिकारी के रुप में कॅरियर क्यों चुनें?

  • अभियोजन अधिकारी बनने के लिये राज्य स्तरीय परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है। कुछ अपवादों को छोड़कर, लगभग सभी मामलों, चाहे वे आपराधिक हों या दीवानी, की सुनवाई निचली अदालतों या सत्र अदालतों द्वारा की जाती है।
  • स्नातक उत्तीर्ण करने बाद आप इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। अभियोजन अधिकारी का पद आपको ज़मीनी स्तर पर समस्याओं का विश्लेषण और समाधान करने में सहायता करता है।
  • सहायक लोक अभियोजक (Assistant Public Prosecutor) के पद पर नियुक्ति न केवल विभिन्न प्रकार के मामलों में आपराधिक मुकदमे का शीघ्र अनुभव प्रदान करती है, बल्कि आपको नौकरी की सुरक्षा भी प्रदान करती है। 7 साल की प्रैक्टिस के बाद उच्च न्यायिक सेवाओं (Higher Judicial Services) के लिये भी आवेदन किया जा सकता है।

परीक्षा की योजनां

APP के रूप में चयनित होने के लिये अभ्यर्थी को राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेना होगा। अभ्यर्थी द्वारा चुने गए राज्य के आधार पर, यह परीक्षा 2 या 3 चरणों में आयोजित की जाती है। जिस राज्य में परीक्षा दो चरणों में आयोजित होती है, वहाँ कोई मुख्य परीक्षा नहीं होती है। ये चरण हैं:

  1. प्रारंभिक परीक्षा (वस्तुनिष्ठ)
  2. मुख्य परीक्षा (विषयनिष्ठ)
  3. साक्षात्कार

योग्यता (Eligibility)

सहायक लोक अभियोजक के लिये सीधी भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की योग्यता इस प्रकार हैं:

  • अभ्यर्थी को भारत का नागरिक होना चाहिये।
  • अभ्यर्थी के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (प्रोफेशनल) होना चाहिये और बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में नामांकित होना चाहिये। कुछ राज्यों को अधिसूचना में उल्लिखित तिथि के अनुसार विशिष्ट वर्षों के लिये कानूनी अभ्यास/प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है।
  • आयु सीमा अलग-अलग राज्यों के लिये अलग-अलग है। दिल्ली में अधिसूचना में निर्दिष्ट तिथि के अनुसार, निर्धारित अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष है जबकि हरियाणा में यह 42 वर्ष है। विभिन्न श्रेणियों (अनुसूचित जाति/अनूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/आर्थिक पिछड़ा वर्ग/दिव्यांग आदि) के लिये आयु में छूट प्रदान की जाती है। यह छूट अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।

परीक्षा की योजना

प्रत्येक राज्य में APP परीक्षा का पाठ्यक्रम अलग-अलग होता है। हालाँकि मुख्य विधिक विषयों जैसे भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय संविदा अधिनियम आदि लगभग सभी राज्यों के पाठ्यक्रम का हिस्सा होते हैं। परीक्षा चरणवार विभाजन इस प्रकार है:

प्रथम चरण

  • यह प्रारंभिक परीक्षा का चरण है जिसमें वस्तुनिष्ठ/बहुविकल्पीय प्रश्न शामिल होते हैं।
  • अधिकांश राज्यों की परीक्षाओं में विधि, सामान्य सचेतता से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रकार का एक प्रश्नपत्र होता है। कुछ राज्यों में भाषा-आधारित प्रश्न भी शामिल होते हैं।
  • यह चरण मुख्य रूप से बेयर प्रावधानों, संशोधनों, विधिक-मामलों (case laws), कहावतों (maxims) आदि पर आधारित तथ्यात्मक जानकारी पर केंद्रित होता है।

रणनीति

प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने के लिये निम्नलिखित का विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिये:

  • बेयर एक्ट के प्रावधान और संबंधित संशोधन, यदि कोई हो।
  • ऐतिहासिक/नवीनतम विधिक-मामलों (case laws) के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
  • प्रमुख अवधारणाओं का विश्लेषण।
  • जिन राज्यों की न्यायिक सेवा परीक्षा में सामान्य ज्ञान पाठ्यक्रम का भाग है, उनके द्वारा जारी परीक्षा अधिसूचना में शामिल विषयों पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास अवश्य करना चाहिये।

द्वितीय चरण

  • यह लिखित परीक्षा का चरण है जिसे मुख्य परीक्षा भी कहा जाता है।
  • इस चरण का मूल उद्देश्य अभ्यर्थी के गहन ज्ञान को परखना है।
  • इस चरण के अंतर्गत अलग-अलग राज्यों में प्रश्नपत्रों की संख्या अलग-अलग होती है लेकिन व्यापक वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है:
    • आपराधिक कानून (Criminal Law)
    • सिविल कानून (Civil Law)
    • राज्य के स्थानीय कानून (Local Laws of the state)
    • सामान्य ज्ञान/सामान्य जागरूकता (कुछ विशिष्ट राज्यों में)
    • भाषा (Language)

रणनीति

मुख्य परीक्षा अभ्यर्थी की विषय-समझ पर केंद्रित होती है और प्रश्नों का उद्देश्य अभ्यर्थी के तथ्यात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान की जाँच करना होता है। मुख्य परीक्षा में सफल होने का सूत्र उत्कृष्ट उत्तर लेखन कौशल में निहित है। समय सीमा के भीतर संक्षिप्त, सारगर्भित उत्तर लेखन के लिये प्रश्नों का अभ्यास करना आवश्यक है। निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • विधि और उसके प्रावधानों को समझना आवश्यक है। विभिन्न विषयों पर 'टू द पॉइंट' सामग्री पढ़ने से न केवल पूर्ण समझ विकसित करने में बल्कि समयबद्ध पुनरावलोकन (Revision) में भी सहायता मिलेगी।
  • विधिक-मामले (case laws), अच्छे उत्तर का एक अविभाज्य हिस्सा होते हैं और अभ्यर्थी को ऐतिहासिक के साथ-साथ नवीनतम निर्णयों पर 'केस ब्रीफ्स' (विभिन्न मामलों का सार) अवश्य पढ़ना चाहिये।
  • परीक्षा से पहले मुख्य अवधारणाओं को दोहराने से विषय वस्तु को बेहतर ढंग से समझने तथा उसे याद रखने में सहायता मिलेगी।
  • भाषा भाग के लिये, विधिक अनुवाद उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना व्याकरण या निबंध लेखन। यहाँ अभ्यास महत्त्वपूर्ण है और अभ्यर्थी को विधिक शब्दावली में सुधार करने का प्रयास करना चाहिये। 'विधिक शब्दावली' का संदर्भ इस संबंध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास अवश्य करना चाहिये।
तृतीय चरण

  • साक्षात्कार’ (Interview) अथवा व्यक्तित्त्व परीक्षण (Personality Test) चयन प्रक्रिया का अंतिम चरण है, जिसे मौखिक परीक्षा भी कहा जाता है।
  • इसका उद्देश्य पद के लिये अभ्यर्थी की सामान्य उपयुक्तता का आकलन करना है।
  • कुछ राज्य चयनित होने के लिये इस चरण में एक निर्दिष्ट योग्यता प्रतिशत निर्धारित करते हैं।
  • साक्षात्कार बोर्ड में संबंधित राज्य के माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शामिल होते हैं।

रणनीति

  • साक्षात्कार एक ऐसा भाग है जिसके लिये प्रत्यक्ष तौर पर कोई रणनीति बना पाना कठिन होता है।
  • आवेदन किये गए पद हेतु उपयुक्त होने के लिये अभ्यर्थी को विषय ज्ञान के साथ-साथ अपने व्यक्तित्व के अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिये।