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सांविधानिक विधि
मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल
« »30-Apr-2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
परिचय:
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के उपयोग को सही ठहराया। उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) एवं अन्य (2024) के मामले में दी।
VVPAT क्या है?
- ECI के अनुसार, चुनावी प्रक्रिया की स्पष्टता और पुष्टिकरण को बढ़ाने के लिये, वर्ष 1961 के चुनाव नियमों में संशोधन किये गए, जिनकी आधिकारिक घोषणा 14 अगस्त 2013 को की गई।
- इससे VVPAT की शुरुआत हुई।
- VVPAT का पहला प्रयोग नगालैंड में 51-नोकसेन AC के लिये उपचुनाव के दौरान किया गया था।
VVPAT से जुड़ी विधियाँ क्या हैं?
चुनाव संचालन नियम, 1961 के निम्नलिखित नियम VVPAT से संबंधित विधि को शामिल करते हैं:
- नियम 49MA VVPAT पेपर स्लिप पर मुद्रित विवरण के बारे में शिकायत के मामले में प्रक्रिया से संबंधित है। यह पीठासीन अधिकारी को निर्वाचक को परीक्षण वोट रिकॉर्ड करने और यह सत्यापित करने की अनुमति देता है कि पेपर स्लिप उनकी पसंद से मेल खाती है या नहीं। यदि कोई बेमेल है, तो पीठासीन अधिकारी को उस EVM पर वोटों की आगे की रिकॉर्डिंग रोकनी होगी और रिटर्निंग अधिकारी के निर्देशों के अनुसार कार्य करना होगा।
- नियम 56D उम्मीदवारों/एजेंटों को किसी भी मतदान केंद्र के लिये VVPAT पेपर पर्चियों की गिनती के लिये आवेदन करने की अनुमति देता है। रिटर्निंग ऑफिसर इसकी पूर्ण या आंशिक अनुमति दे सकता है। यदि EVM गिनती और VVPAT पर्ची गिनती के बीच कोई विसंगति है, तो VVPAT पर्ची के गिनती के अनुसार परिणाम शीट में संशोधन किया जाता है।
- नियम 57C के अनुसार रिटर्निंग ऑफिसर को मतगणना समाप्त होने के बाद चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित तरीके से VVPAT पेपर पर्चियों को सील करने की आवश्यकता होती है।
- नियम 92 ज़िला निर्वाचन अधिकारी को सीलबंद VVPAT पेपर पर्चियों को सुरक्षित संरक्षण में रखने का आदेश देता है।
- नियम 93 किसी सक्षम न्यायालय के आदेश को छोड़कर, सीलबंद VVPAT पेपर स्लिप पैकेट के निरीक्षण या खोलने पर रोक लगाता है।
- नियम 94 में कहा गया है कि VVPAT पेपर स्लिप पैकेट को चुनाव आयोग की पूर्व अनुमति के बिना नष्ट नहीं किया जा सकता है।
VVPAT से संबंधित महत्त्वपूर्ण निर्णय क्या हैं?
- सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत चुनाव आयोग (2013):
- उच्चतम न्यायालय ने माना कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिये "पेपर ट्रेल" एक अनिवार्य आवश्यकता है।
- VVPAT प्रणाली की शुरुआत मतदान प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करती है तथा मतदाताओं का विश्वास बहाल करती है।
- ECI को आगामी आम चुनावों के लिये क्रमिक या चरणबद्ध तरीके से VVPAT पेश करने की अनुमति दी गई थी।
- रेशमा विट्ठलभाई पटेल बनाम भारत संघ (2018):
- उच्चतम न्यायालय ने संसद एवं राज्य विधानसभाओं के सभी भविष्य के चुनावों में VVPAT की 100% कवरेज के लिये ECI की प्रतिबद्धता पर गौर किया।
- एन. चंद्रबाबू नायडू बनाम भारत संघ (2019):
- उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि VVPAT पेपर ट्रेल सत्यापन के अधीन होने वाली EVM की संख्या मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रति निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक मशीन के बजाय संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में प्रति विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र या विधानसभा खंड में 5 होगी।
- टेक फॉर ऑल बनाम भारत निर्वाचन आयोग (2019):
- उच्चतम न्यायालय ने EVM परिणामों के विरुद्ध VVPAT के 100% सत्यापन की मांग करने वाली जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एन. चंद्रबाबू नायडू मामले में स्पष्ट निर्णय के बाद ऐसी याचिका दायर करना "लोकतंत्र का मज़ाक" था।
निष्कर्ष:
- चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता एवं अखंडता को बनाए रखने में VVPAT का उपयोग महत्त्वपूर्ण है। महत्त्वपूर्ण निर्णयों द्वारा समर्थित एवं चुनावी नियमों में निहित, VVPAT मतदाताओं का विश्वास सुनिश्चित करता है तथा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के लोकतांत्रिक लोकाचार में योगदान देता है।