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अंतर्राष्ट्रीय कानून
सैन्य तख्तापलट
« »07-Aug-2024
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
परिचय:
बांग्लादेश में एक बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने व्यापक विरोध एवं अशांति के बीच त्याग-पत्र दे दिया है तथा देश छोड़ दिया है। जनरल वकार-उज-ज़मान के नेतृत्व में बांग्लादेश की सेना ने राजनीतिक दलों के समर्थन से अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की है। यह घटनाक्रम बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को प्रदर्शित करता है, जिसने प्रधानमंत्री के रूप में शेख हसीना के 15 वर्ष के कार्यकाल को समाप्त कर दिया है और देश के भविष्य की स्थिरता एवं शासन के विषय में प्रश्न खड़े कर दिये हैं।
सैन्य तख्तापलट क्या है?
- सैन्य तख्तापलट या तख्तापलट का अर्थ, देश की सशस्त्र सेनाओं के एक गुट द्वारा राज्य की सत्ता पर अचानक, अवैध कब्ज़ा करना है।
- सामान्य तौर पर तख्तापलट में सैन्य अधिकारियों द्वारा मौजूदा सरकार को बलपूर्वक हटा दिया जाता है।
- शब्द "कूप डी'एटैट" फ्राँसीसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है "राज्य पर प्रहार" या "राज्य के विरुद्ध प्रहार।"
- सैन्य तख्तापलट प्रायः उन देशों में होता है जहाँ लोकतांत्रिक संस्थाएँ कमज़ोर हैं या राजनीति में सैन्य हस्तक्षेप का इतिहास रहा है।
- तख्तापलट, हिंसक या रक्तहीन हो सकता है, यह स्थिति प्रतिरोध के स्तर पर निर्भर करती है।
- तख्तापलट के परिणामस्वरूप अक्सर संविधान को निलंबित कर दिया जाता है, विधानमंडलों को भंग कर दिया जाता है तथा मार्शल लॉ लागू कर दिया जाता है।
- कुछ तख्तापलट वैचारिक मतभेदों से प्रेरित होते हैं, जबकि अन्य व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा या आर्थिक हितों से प्रेरित होते हैं।
- असफल तख्तापलट के परिणामस्वरूप षड्यंत्रकारियों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिनमें मृत्युदण्ड या लंबी अवधि का कारावास शामिल है।
- जैसा कि कई अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में देखा गया है, सफल तख्तापलट कभी-कभी दीर्घ कालीन सैन्य शासन को जन्म देता है।
- तख्तापलट के परिणामस्वरूप राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक व्यवधान और मानवाधिकार उल्लंघन हो सकते हैं।
- कुछ तख्तापलटों को विदेशी शक्तियों द्वारा अपने भू-राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिये समर्थन या आयोजन दिया गया है।
- शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से वैश्विक स्तर पर सैन्य तख्तापलट की आवृत्ति में कमी आई है।
- लोकतांत्रिक एकीकरण और सेना पर कठोर नागरिक नियंत्रण के कारण कई क्षेत्रों में तख्तापलट की घटनाएँ कम हो गई हैं।
सैन्य तख्तापलट की ऐतिहासिक घटनाएँ क्या हैं?
देश |
घटना |
प्राचीन मेसोपोटामिया |
इतिहास में पहला तख्तापलट 876 ईसा पूर्व में हुआ था जब जिमरी-लिम ने मारी के राजा को अपदस्थ कर दिया था। |
रोम |
J49 ई.पू. में जूलियस सीज़र द्वारा रूबिकॉन नदी पार करने के कारण रोम में गृह युद्ध छिड़ गया और इसे प्राचीन इतिहास में एक प्रसिद्ध तख्तापलट माना जाता है।
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( ब्रुमाइर (फ्राँस) |
वर्ष 1799 में नेपोलियन बोनापार्ट के तख्तापलट ने उन्हें फ्रांस का प्रथम कौंसल बना दिया।
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मिस्र |
वर्ष 1952 में, गमाल अब्देल नासेर ने राजा फारूक को उखाड़ फेंककर मिस्र की क्रांति का नेतृत्व किया।
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तुर्किये (तुर्की) |
वर्ष 1960 का तुर्की तख्तापलट, 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध के दौरान हुए चार सैन्य तख्तापलटों में से पहला था।
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चिली |
Iवर्ष 1973 में जनरल ऑगस्टो पिनोशे ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति साल्वाडोर अलेंदे को सत्ता से बेदखल कर तख्तापलट किया।
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बांग्लादेश |
वर्ष 1975 के तख्तापलट के परिणामस्वरूप देश के संस्थापक शेख मुज़ीबुर रहमान की हत्या कर दी गई।
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नाइजीरिया |
वर्ष 1966 और 1993 के बीच कई सैन्य तख्तापलट हुए, जिनमें याकूब गोवन और इब्राहिम बाबांगीदा के नेतृत्व वाले तख्तापलट भी शामिल थे।
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सोवियत संघ |
वर्ष 1991 में सोवियत तख्तापलट का प्रयास, सोवियत संघ के विघटन को रोकने में विफल रहा।
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पाकिस्तान |
वर्ष 1999 में ज़नरल परवेज़ मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को अपदस्थ कर दिया।
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थाईलैंड |
वर्ष 2006 के तख्तापलट में प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को उस समय पद से हटा दिया गया जब वे देश से बाहर थे।
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मिस्र |
वर्ष 2013 में जनरल अब्देल फत्ताह अल-सीसी के नेतृत्व में मिस्र की सेना ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सत्ता से हटा दिया।
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जिम्बावे |
I वर्ष 2017 में, जिम्बाब्वे की सेना ने राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे को नज़रबंद कर दिया, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
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म्याँमार |
वर्ष 2021 के तख्तापलट में सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया।
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1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की पृष्ठभूमि क्या है? ● वर्ष 1950 के दशक में पश्चिमी पाकिस्तान ने केंद्रीकृत पाकिस्तानी राज्य पर प्रभुत्व स्थापित कर लिया, जिससे बंगालियों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला। ● वर्ष 1970 के आम चुनावों में पश्चिमी पाकिस्तान के प्रभुत्व को चुनौती मिली जब शेख मुजीबुर रहमान की अवामी लीग ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया। ● चुनाव परिणामों के बावजूद पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करने से प्रतिषेध कर दिया। ● पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक तथा भाषाई मतभेदों ने पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता की मांग को बढ़ावा दिया। ● राजनीतिक वार्ता विफल होने के उपरांत, पश्चिमी पाकिस्तान ने 26 मार्च 1971 को ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया, जिसके तहत पूर्वी पाकिस्तान में क्रूर दमन अभियान चलाया गया। ● लाखों बांग्लादेशी पड़ोसी भारतीय राज्यों, विशेषकर पश्चिम बंगाल में भाग गए, जिससे शरणार्थी संकट उत्पन्न हो गया। ● प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने शरणार्थियों को सहायता प्रदान की तथा बांग्लादेशी हितों का समर्थन किया। ● भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी (बांग्लादेश गुरिल्ला प्रतिरोध) ने पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध युद्ध लड़ा। ● 6 दिसंबर 1971 को भारत ने बांग्लादेश को मान्यता दी। ● 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारतीय और बांग्लादेशी सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था। ● 13 दिवसीय युद्ध एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश के जन्म के साथ समाप्त हुआ। |
बांग्लादेश में नौकरी कोटा के विरुद्ध कौन विरोध कर रहा है?
- बांग्लादेश में नौकरी कोटा का विरोध विभिन्न समूहों द्वारा किया जा रहा है, जिनमें छात्र, नौकरी चाहने वाले अभ्यर्थी और कार्यकर्त्ता शामिल हैं।
- ये विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में सरकार की कोटा प्रणाली के विरुद्ध हैं, जिसके विषय में कुछ लोगों का तर्क है कि इससे कुछ समूहों को अनुचित लाभ प्राप्त होता है और योग्यता आधारित भर्ती प्रभावित होती है।
- प्रदर्शनकारी मौजूदा कोटा प्रणाली में सुधार या उसे समाप्त करने की मांग कर रहे हैं ताकि आरक्षित कोटा के बजाय योग्यता के आधार पर अधिक उचित अवसर सुनिश्चित किये जा सकें।
बांग्लादेश में कोटा प्रणाली क्या है?
- यह कुछ समूहों के लिये सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में आरक्षण की प्रणाली है।
- कोटा प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों के लिये 56% सरकारी नौकरियाँ आरक्षित हैं तथा सामान्य उम्मीदवारों के लिये 44% स्थान बचा है।
- प्रमुख लाभार्थियों में स्वतंत्रता सेनानी और उनके वंशज शामिल हैं, जिन्हें 30% सरकारी नौकरियाँ आवंटित की जाती हैं।
- इस प्रणाली के अंतर्गत महिलाओं को 10% सरकारी नौकरियाँ आवंटित की जाती हैं।
- जातीय अल्पसंख्यकों और विकलांग लोगों के लिये भी कोटा निर्धारित है।
- यह प्रणाली वंचित समूहों के लिये समान अवसर एवं प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिये आरंभ की गई थी।
- इसे आलोचना और विरोध का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से छात्रों तथा नौकरी चाहने वाले अभ्यर्थियों की ओर से, जिनका मानना है कि यह सामान्य अभ्यर्थियों के प्रति अनुचित है।
- वर्ष 2018 में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शनों के उपरांत सरकार ने कोटा प्रणाली में सुधारों की घोषणा की, जिससे अधिकांश सरकारी नौकरियों में कोटा कम हो गया।
- स्वतंत्रता सेनानी कोटा एक विशेष रूप से विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है।
- हाल ही में बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि देश में 93% सरकारी नौकरियाँ योग्यता आधारित प्रणाली के अंतर्गत आवंटित की जाएंगी।
- संशोधित प्रणाली के अंतर्गत , सिविल सेवा के 5% पद अभी भी 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिये लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिये आरक्षित रहेंगे।
- अन्य निर्दिष्ट श्रेणियों के लिये अतिरिक्त 2% आवंटित किया जाएगा।
इस घटना का बांग्लादेश के राज्यत्व पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- मोंटेवीडियो कन्वेंशन का अनुच्छेद 1:
- राज्यों के अधिकारों और कर्त्तव्यों पर मोंटेवीडियो सम्मेलन का अनुच्छेद 1 राज्य से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय विधि के एक व्यक्ति के रूप में राज्य के पास निम्नलिखित योग्यता होनी चाहिये:
- स्थायी जनसंख्या
- एक परिभाषित क्षेत्र
- सरकार
- अन्य राज्यों के साथ संबंध बनाने की क्षमता (संप्रभुता)।
- बांग्लादेश:
- सरकार: प्रधानमंत्री शेख हसीना का त्याग-पत्र और बांग्लादेश सेना द्वारा अंतरिम सरकार का गठन शासन संरचना में एक बड़े परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है, जो संभवतः राज्य की सरकार की स्थिरता को चुनौती दे सकता है।
- संप्रभुता: अंतरिम सरकार के गठन में सेना की भागीदारी राज्य पर नागरिक नियंत्रण और उसकी संप्रभुता पर प्रश्न उठाती है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: बांग्लादेश की अन्य राज्यों के साथ राजनीतिक संबंध बनाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, विशेष रूप से निवर्तमान सरकार के साथ भारत के घनिष्ठ संबंध तथा नए नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता को देखते हुए।
- आंतरिक नियंत्रण: विरोध प्रदर्शन और कर्फ्यू आदेशों की अवहेलना राज्य की व्यवस्था बनाए रखने की क्षमता में कमी का संकेत देती है, जो राज्य सुरक्षा का एक प्रमुख आयाम है।
- प्रादेशिक अखंडता: यद्यपि प्रत्यक्ष रूप से कोई खतरा नहीं है, परंतु बढ़ती अस्थिरता की संभावना से बांग्लादेश की अपने निर्धारित क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखने की क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।
- जनसंख्या: ये घटनाएँ जनसंख्या में महत्त्वपूर्ण असंतोष को प्रदर्शित करती हैं, जो संभवतः राज्य की स्थायी जनसंख्या की एकता और सामंजस्य को प्रभावित करती हैं।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश एक बड़े संकट से गुज़र रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद त्याग दिया है और सेना ने सत्ता संभाल ली है। इससे देश में काफ़ी अस्थिरता उत्पन्न हुई है और देश के राजनीतिक भविष्य को लेकर संदेह उत्पन्न हो गया है। विरोध प्रदर्शन और अशांति देश के शासन के तरीके से जुड़ी गंभीर समस्याओं को प्रकट करते हैं। जबकि बांग्लादेश इन चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहा है तथा इसकी स्थिरता एवं लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ एक महत्त्वपूर्ण मोड़ से गुज़र रही हैं, जिससे व्यवस्था को बहाल करने के लिये एक निष्पक्ष और प्रभावी समाधान खोजना आवश्यक हो गया है।