IEA की धारा 90
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IEA की धारा 90

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 02-May-2024

परिचय:

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) की धारा 90 आवश्यकता एवं सुविधा पर आधारित है, क्योंकि 30 वर्षों की अवधि के उपरांत पुराने दस्तावेज़ों की लिखावट, हस्ताक्षर या निष्पादन को सिद्ध करने के लिये साक्ष्य प्रस्तुत करना बेहद कठिन और कभी-कभी असंभव होता है। 30 वर्ष पुराने ये दस्तावेज़ स्वयं को सिद्ध करते हैं।

IEA की धारा 90:

  • यह धारा तीस वर्ष पुराने दस्तावेज़ों के विषय में धारणा से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जहाँ कोई भी दस्तावेज़, जो तीस वर्ष पुराना बताया जाता है या सिद्ध किया जाता है, किसी भी अभिरक्षा से प्रस्तुत किया जाता है, जिसे विशेष मामले में न्यायालय उचित मानता है, तो न्यायालय यह मान सकता है कि ऐसे दस्तावेज़ के हस्ताक्षर और हर दूसरे भाग, जो कि होने का तात्पर्य है, किसी विशेष व्यक्ति की लिखावट में, उस व्यक्ति की लिखावट में है, और, निष्पादित या सत्यापित दस्तावेज़ के मामले में, यह उन व्यक्तियों द्वारा विधिवत निष्पादित एवं सत्यापित किया गया है, जिनके द्वारा इसे निष्पादित एवं सत्यापित किया जाना चाहिये।
  • इस धारा के स्पष्टीकरण में कहा गया है कि दस्तावेज़ों को उचित अभिरक्षा में कहा जाता है, यदि वे उस स्थान पर हैं और उस व्यक्ति की देखरेख में हैं जिसके साथ वे स्वाभाविक रूप से होंगे, लेकिन कोई भी अभिरक्षा अनुचित नहीं है, अगर यह सिद्ध हो जाए कि इसकी वैध उत्पत्ति हुई है, या यदि विशेष मामले की परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि, ऐसी उत्पत्ति संभावित है।
  • स्पष्टीकरण:
    • ‘क’ उस भूसंपत्ति से संबंधित विलेख प्रस्तुत करता है, जिसका वह बंधकदार है, उस पर बंधककर्त्ता का कब्ज़ा है तथा अभिरक्षा उचित है।

IEA की धारा 90 के आवश्यक तत्व:

  • इस धारा का आधार यह है कि जैसे-जैसे समय बीतता है, निष्पादक, विक्रेता, साक्षी, स्वामित्व आदि सिद्ध करने के लिये उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
  • धारा 90 में अंतर्निहित सिद्धांत यह है कि यदि कोई दस्तावेज़, 30 वर्ष या उससे अधिक पुराना है, तथा उचित अभिरक्षा से प्रस्तुत किया जाता है और संदेह से मुक्त है, तो न्यायालय यह मान सकती है कि इसे विधिवत निष्पादित एवं सत्यापित किया गया है।
  • इस धारा के अधीन शक्ति केवल विवेकाधीन है तथा अनिवार्य नहीं है।
  • यह खंड कहीं भी यह प्रावधान नहीं करता है कि दस्तावेज़ में निहित कथनों की प्रामाणिकता मानी जानी चाहिये।

IEA की धारा 90 के लिये शर्तें:

  • जिन शर्तों पर निष्पादन माना जा सकता है, वे हैं:
    • यह 30 वर्ष या उससे अधिक समय से अस्तित्व में रहा होगा।
    • इसे उचित अभिरक्षा से न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
    • दस्तावेज़ दिखने में संदेह से मुक्त होना चाहिये।

निर्णयज विधि:

  • आशुतोष सामंत बनाम रंजन बाला दासी एवं अन्य, (2021) के मामले में तीस वर्ष से अधिक पुराने दस्तावेज़ों की वास्तविकता के संबंध में IEA की धारा 90 के अधीन उच्चतम न्यायालय की धारणा, वसीयत पर लागू नहीं होती है