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आपराधिक कानून

संयुक्त दायित्व का सिद्धांत

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 11-Mar-2024

परिचय:

संयुक्त दायित्व का सिद्धांत आपराधिक विधि में एक मौलिक सिद्धांत है, जो सामूहिक रूप से किये गए आपराधिक अपराध के लिये कई व्यक्तियों को उत्तरदायी ठहराता है। भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) के तहत यह सिद्धांत किसी आपराधिक कृत्य में सह-साज़िशकर्त्ताओं या प्रतिभागियों के बीच साझा उत्तरदायित्व और दोषिता की अवधारणा को स्पष्ट करता है। सिद्धांत यह भी सुनिश्चित करता है कि न्याय मिले, भले ही व्यक्ति गैर-कानूनी गतिविधियों में संलग्न हो।

वैधानिक प्रावधान:

  • धारा 34: सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किया गया कार्य।
    • IPC की धारा 34 संयुक्त दायित्व का सार प्रस्तुत करती है।
    • इसमें कहा गया है कि जब कोई आपराधिक कृत्य एक सामान्य आशय को आगे बढ़ाने के लिये कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है तो उनमें से प्रत्येक को अपराध किया हुआ माना जाता है।
    • यह धारा एक साझा आपराधिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये मिलकर कार्य करने वाले व्यक्तियों के जनसमूह के दोषपूर्ण कृत्यों पर ज़ोर देती है।
  • धारा 149: विधिविरुद्ध जनसमूह का प्रत्येक सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किये गए अपराध का दोषी।
    • धारा 149 विधिविरुद्ध जनसमूह के प्रत्येक सदस्य को सभा के सामान्य उद्देश्य की प्राप्ति में किये गए अपराधों के लिये उत्तरदायी ठहराती है।
    • भले ही कोई व्यक्ति अपराध में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेता है लेकिन उनकी उपस्थिति और विधिविरुद्ध जनसमूह के साथ जुड़ाव उन्हें समूह द्वारा किये गए अपराधों के लिये उत्तरदायी बनाता है।
  • धारा 120B: आपराधिक षणयंत्र का दण्ड
    • धारा 120B आपराधिक षणयंत्र को संबोधित करती है, जिसमें व्यक्ति विधिविरुद्ध कार्य करने का षणयंत्र रचते हैं।
    • यह धारा मुख्य रूप से षणयंत्र पर ही केंद्रित है, षणयंत्र में शामिल व्यक्तियों को षणयंत्र को आगे बढ़ाने में किये गए बाद के आपराधिक कृत्यों के लिये संयुक्त रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
    • जो कोई उपरोक्तानुसार दण्डनीय अपराध करने के आपराधिक षणयंत्र के अतिरिक्त किसी आपराधिक षणयंत्र में भागीदार है, उसे छह माह से अधिक की अवधि के लिये कारावास, या ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

निष्कर्ष:

अंततः संयुक्त दायित्व का सिद्धांत भारतीय कानूनी ढाँचे के भीतर समानता और जवाबदेहिता के सिद्धांतों का उदाहरण प्रस्तुत करता है। जैसा कि IPC में निहित है और न्यायिक दृष्टांतों के माध्यम से प्रबलित है, संयुक्त दायित्व यह सुनिश्चित करता है कि जनसमूह के द्वारा किये गए दोषपूर्ण कृत्य के मामलों में न्याय स्थिर रहे।