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सिविल कानून
डाकघर विधेयक, 2023
« »06-Dec-2023
स्रोत- द हिंदू
परिचय
हाल ही में, राज्यसभा ने भारतीय डाकघर अधिनियम (Indian Post Office Act), 1898 को बदलने के उद्देश्य से डाकघर विधेयक, 2023 पारित किया है जो वर्तमान में भारत में डाक सेवाओं को नियंत्रित करता है।
- संदेशवाहक सेवा और बैंकिंग सुविधाएँ प्रदाता के रूप में डाक विभाग के प्रभावी कामकाज के लिये यह विधेयक पेश किया गया है।
भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 क्या है?
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डाकघर विधेयक, 2023 के प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- यह विधेयक डाक सेवाओं के महानिदेशक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न अतिरिक्त सेवाओं की पेशकश के लिये आवश्यक गतिविधियों से संबंधित नियम बनाने के साथ-साथ इन सेवाओं के लिये शुल्क तय करने का अधिकार देता है।
- यह अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्र में अपनी सेवाओं की कीमतों को निर्धारित करने और बदलने के लिये आवश्यक अनुकूलता प्रदान करके डाक विभाग को मज़बूत करता है। ऐसी शक्ति से डाक विभाग बाज़ार की मांगों को तुरंत पूरा करने में सक्षम होगा।
- विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार, अधिसूचना द्वारा, किसी भी अधिकारी को राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा या इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन की घटना के कारण डाकघर द्वारा प्रसारण के दौरान किसी भी वस्तु को रोकने, खोलने या हिरासत में लेने का अधिकार दे सकती है।
- इसमें एक व्यापक प्रावधान शामिल है जिसका उद्देश्य तस्करी एवं डाक पैकेजों के माध्यम से मादक पदार्थों और प्रतिबंधित वस्तुओं के अवैध प्रसारण को रोकना है।
- विधेयक की धारा–5 की उपधारा-1 में कहा गया है कि वस्तुओं पर पते के लिये मानक, पता पहचानकर्त्ता और पोस्टकोड का उपयोग, केंद्र सरकार निर्धारित कर सकती है।
- बिल में डाकघर के किसी अधिकारी द्वारा डाक वस्तुओं की चोरी, हेराफेरी या क्षति के लिये सज़ा का प्रावधान नहीं है जो मूल अधिनियम का हिस्सा था।
- इसमें धारा–7 के तहत केवल एक दंड शामिल है जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति जो डाकघर द्वारा प्रदान की गई सेवा का लाभ उठाता है, ऐसी सेवा के संबंध में शुल्क का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी होगा।
- यदि कोई व्यक्ति शुल्क अदा करने से इनकार करता है या उपेक्षा करता है तो ऐसी रकम ऐसे वसूल की जाएगी मानो वह उससे देय भू-राजस्व का बकाया हो।
डाकघर विधेयक, 2023 के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- यह विधेयक भारतीय डाक के माध्यम से प्रेषित लेखों की रोकथाम के लिये प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को निर्दिष्ट नहीं करता है। सुरक्षा उपायों की कमी से वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व व्यक्तियों की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
- अवरोधन के आधारों में आपात्कालीन स्थितियाँ शामिल हैं, जो उचित प्रतिबंधों से परे हो सकती हैं।
- यह विधेयक भारतीय डाक को डाक सेवाओं में चूक के लिये दायित्व से छूट देता है। इससे उपभोक्ताओं की निजता के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- इस विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत अन्य कूरियर सेवा संस्थाएँ स्वयं को केंद्र सरकार के तहत पंजीकृत कराएंगी जिससे उन्हें जवाबदेह बनाया जा सके।
निष्कर्ष
यह विधेयक समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप भारत की डाक सेवाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़े कदम का प्रतिनिधित्व करता है। यह मोबाइल फोन तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में विकास के अनुरूप एक मज़बूत विधिक ढाँचे के रूप में कार्य करेगा व राष्ट्रीय सुरक्षा में भी योगदान देगा। इस विधेयक के लागू होने के बाद भू-स्थानिक कोड (Geo-spatial Code) का कार्यान्वयन सफल होने पर सरकार ड्रोन के माध्यम से पार्सल भेजने में सक्षम होगी।