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ज्यूडिशियरी मेन्स की तैयारी कैसे करें?

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   17-Nov-2023 | अनुज वाजपेयी



न्यायिक परीक्षा की तैयारी शुरू करते समय सबसे पहली और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आप उस राज्य का चयन करें जिसमें आप शामिल होना चाहते हैं। राज्य का चयन करने के बाद तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के मन में अगला सवाल यह उठता है कि तैयारी कैसे शुरू करें और कौन सी किताबें पढ़ें व कितना पढ़ें। जैसा कि हम जानते हैं कि न्यायिक सेवा परीक्षा में तीन चरण होते हैं यानी प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। वैसे तो हर राज्य का पाठ्यक्रम थोड़ा बहुत अलग है पर मुख्य परीक्षा का तरीका सबका कमोबेश एक जैसा ही है। इस विविधता को देखते हुए आज हम इस लेख में न्यायिक सेवा की मुख्य परीक्षा से जुड़े कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे जो आपकी तैयारी को सही दिशा देने में सहायक होंगे-

पाठ्यक्रम

किसी भी परीक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक उसका पाठ्यक्रम होता है तो सबसे पहले आप जिस भी राज्य की परीक्षा देने जा रहें हैं, उसका पाठ्यक्रम आपको अच्छे से पता होना चाहिए। पाठ्यक्रम 'क्या पढ़ें और कितना पढ़ें' की दुविधा से आपको बचाता है जिससे आप केंद्रित होकर तैयारी कर पाएँगे। यह कहना उचित ही होगा कि पाठ्यक्रम उस सारथी की तरह है जो आपको अनावश्यक भटकाव से बचाते हुए लक्ष्य तक पहुँचाने में मदद करता है।

विगत वर्षों के प्रश्नपत्र

पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से समझने के बाद आप विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण करें। पुराने प्रश्नपत्रों के अभ्यास करने के दौरान आप समझ पाएँगे कि परीक्षा में सवाल कहाँ से और कौन से खंड से सवाल पूछे जा रहे हैं। लेकिन इसका तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं है कि आप अन्य खंडों को छोड़ दें या उन पर ध्यान न दें। इसके अतिरिक्त, जिस राज्य की न्यायिक परीक्षा में आप शामिल होने जा रहे हैं उनके विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को देखने के साथ अन्य राज्यों के प्रश्नपत्रों का भी विश्लेषण करें, इससे आपको ज्ञात होगा कि किस प्रकार के प्रश्न परीक्षा में आने की सम्भावनाएँ हैं और साथ ही आप हर प्रकार के प्रश्नों को हल करने की समझ विकसित कर पाएँगे। इससे आप परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त कर सकेंगे।

पुस्तकों का चयन

पाठ्यक्रम और विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को पढ़ने और समझने के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण सवाल यह उत्पन्न होता है कि किस तरह की और किन किताबों का अध्ययन किया जाए? प्रतियोगी अक्सर पाठ्यसामग्री को लेकर दुविधा में रहते हैं, तो बेहतर यही होगा कि अपने राज्य के पाठ्यक्रम के हिसाब से ज़रूरी किताबों को ही खरीदें और पहले बेसिक किताबों (जैसे बेयर एक्ट) को पढ़ें तथा जब आधारभूत अवधारणाएँ स्पष्ट हो जाएँ तो ही स्टैंडर्ड किताबों की ओर रुख करें। वहीं, अक्सर देखा जाता है कि प्रतियोगी एक विषय के लिए अनेक तरह की कई किताबें खरीद लेते हैं और किसी भी किताब को सही समय सीमा के अंदर तरीके से नहीं पढ़ पाते हैं, तो ज़रूरी यह है कि तरह-तरह की किताबों को पढ़ने की बजाय एक ही किताब को कई बार पढ़ा जाए और साथ-साथ नोट्स बनाएँ जाएँ। आप अपनी तैयारी को बेहतर बनाने के लिए इन किताबों का भी अध्ययन कर सकते हैं-

भारतीय दंड संहिता- के.डी. गौर

इंडियन एविडेंस एक्ट- बटुकलाल

भारतीय अनुबंध अधिनियम- आर.के. बंगिया

आधुनिक हिंदू कानून- पारस दीवान

परिसीमन अधिनियम- जेडी जैन

सिविल प्रोसीजर विद लिमिटेशन एक्ट- सी.के. तकवानी

भारत के संविधान का परिचय- दुर्गादास बसु

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम- आर.के. सिन्हा

अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार- डॉ. एच.ओ. अग्रवाल

प्रशासनिक कानून- डॉ. यू.पी.डी. केसरी

भारतीय भागीदारी अधिनियम- अवतार सिंह

नोट्स कैसे बनाएँ?

मुख्य परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रभावी नोट्स बनाना बहुत ज़रूरी है। नोट्स तभी बनाएँ जब पाठ्य सामग्री को चार से पाँच बार पढ़ने के बाद आपकी अवधारणात्मक समझ मज़बूत हो जाए और संबंधित विषय की जानकारी तथा मुख्य आधार स्पष्ट होने लगे। नोट्स बनाने के लिए हम निम्न बिंदुओं पर गौर कर सकते हैं-

हम जो भी नोट्स बना रहे हैं वे टू द पॉइंट और कॉम्प्रिहेंसिव यानी व्यापक हों।

प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के नोट्स अलग-अलग बनाने चाहिए।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए बनाएँ नोट्स संक्षिप्त हों, जबकि मुख्य परीक्षा के नोट्स सारगर्भित और पॉइंटर फॉर्मेट में हों ताकि रिवीज़न में आसानी रहे।

नोट्स इस तरह से तैयार करें कि अपने नोट्स की जानकारी से ही बेहतर उत्तर लिखा जा सके।

जटिल कानूनी अवधारणाओं को आसानी से याद रखने के लिए फ्लोचार्ट और डायग्राम का अधिक-से-अधिक उपयोग करें।

हाल-फिलहाल की घटनाओं पर नज़र रखें और आवश्यकतानुसार उसे अपने नोट्स में जोड़ते रहें।

समय की बचत के लिए आप डिजिटल नोट्स भी बना सकते हैं।

उत्तर लेखन का अभ्यास

बात चाहे न्यायिक परीक्षा की हो या सिविल सेवा कि इसका सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष होता है- उत्तर लेखन। उत्तर लेखन ही तय करता है कि आप चयनित होंगे या नहीं। एक बार आधारभूत अवधारणात्मक समझ विकसित करने के बाद आप उत्तर लेखन शुरू कर सकते हैं। जितना ज़्यादा उत्तर लेखन का अभ्यास आप करेंगे उतनी ही आप के चयन की संभावना भी बढ़ती जाएगी। यह भी सत्य है कि आप पहले दिन से ही बहुत अच्छा उत्तर नहीं लिखने लगेंगे पर सतत अभ्यास से आप अपने उत्तर लेखन की गुणवत्ता में वृद्धि कर पाएँगे, कवि वृंद की ये पंक्तियाँ उत्तर लेखन के लिए सटीक प्रतीत होती हैं “करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निशान।” मुख्य परीक्षा में बेहतर उत्तर लेखन के लिए आप इन बिंदुओं पर ध्यान दे सकते हैं-

1- जिस भी राज्य की मुख्य परीक्षा में आप शामिल हो रहे हैं उस राज्य के कम-से-कम पिछले दस साल में पूछे गए प्रश्नों को ज़रूर हल करे और उनसे संबंधित सभी आवश्यक जानकारी का अध्ययन करें।
2- पूछे गए प्रश्न को दो से तीन बार पढ़ें व मुख्य शब्दों (वर्णन, आलोचनात्मक समीक्षा और परिभाषित करना आदि) पर विशेष ध्यान दें।
3- पूछें गए प्रश्न का सही से विश्लेषण करें और जो पूछा जाए वही लिखें अर्थात प्रश्न के मुख्य बिंदु से न भटकें।
4- प्रश्न में जितने भी खंड दिए गए हों उन सभी को अपने उत्तर में समाहित करने की कोशिश करें।
5- बेहतर प्रस्तुतीकरण व रोचकता के लिए आप किसी सेक्सन/ प्रोविजन या केस लॉ से अपने उत्तर की शुरुआत कर सकते हैं।
6- सुप्रीम कोर्ट और अन्य कोर्ट के दिए गए लैंडमार्क जजमेंट्स को अपने उत्तरों में शामिल करें।
7- मैक्सिम और सेक्सन नंबर को प्रश्न के मुख्य भाग में लिखने की कोशिश करें।
8- समस्या आधारित प्रश्नों में अगर एक से ज़्यादा मुद्दे हों तो उन्हें लिखें और उनसे संबंधित कानूनों को भी लिखें।
9- अंतर वाले प्रश्नों को टेबुलर फॉर्मेट में लिखें।
10- उदार भावना दर्शाने के साथ उचित निष्कर्ष लिखें, प्रयास करें कि निष्कर्ष सटीक शब्दों में लिखा गया हो।
11- समय प्रबंधन के साथ उत्तर लिखने का अभ्यास करें।
12- हाल फिलहाल के घटनाक्रमों पर नज़र बनाए रखें और उन्हें अपने उत्तरों में शामिल करें।
13- रटे-रटाए उत्तर न लिखकर मौलिकता पर ध्यान दें।
14- जटिल कानूनी अवधारणाओं को समझाने के लिए फ्लोचार्ट और डायग्राम का अधिक-से-अधिक उपयोग करें।

अंत में, प्रतिदिन पाठ्यक्रम के अनुसार सभी विषयों का अध्ययन करने के लिए एक समय सारणी यानी शैड्यूल तैयार करें। समर्पण के साथ कम-से-कम 10-12 घंटे की पढ़ाई आवश्यक है। सामान्य ज्ञान, हालिया निर्णय और समाचार पत्र पढ़ने के लिए 2-3 घंटे ज़रूर दें। न्यायपालिकीय प्रणाली की अच्छी समझ विकसित करने के लिए करेंट अफेयर्स पर विशेष ध्यान दें। इसके अलावा,अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा के पेपरों का अधिक-से-अधिक अभ्यास करें और निबंध की तैयारी पर विशेष ध्यान दें। क्योंकि निबंध और भाषा के प्रश्नपत्रों को कम समय में तैयार करके अच्छे अंक प्राप्त किए जा सकते हैं।

अपनी क्षमता और कमज़ोरियों को पहचाने, क्योंकि यह परीक्षा एक दिवसीय न होकर मैराथन की तरह है, जहाँ आपको हर दिन नई चुनौतियों से जूझना पड़ेगा। मुख्य परीक्षा आपसे गहन विश्लेषण और मौलिकता की माँग करती है जो एक दिन में विकसित नहीं हो सकते। इसलिए अपनी रणनीति पर अमल करने के साथ उस पर डटे रहें। उचित समय प्रबंधन, पाठ्यक्रम और पाठ्यसामग्री की बेहतर समझ और उत्तर लेखन का सतत अभ्यास ही मुख्य परीक्षा को पास करने की कुंजी हैं। मुख्य परीक्षा का चरण ही तय करता है कि आपका नाम लिस्ट में आएगा या नहीं। अतः अपना आत्मविश्वास बनाए रखें, निरंतर अभ्यास करते रहने से आप सफलता को जल्द ही प्राप्त कर सकेंगे।



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