महिला आरक्षण
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महिला आरक्षण

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 03-May-2024

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बी.डी कौशिक

"सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा पारित किसी भी प्रस्ताव के बावजूद, कार्यकारी समिति में कुछ पद बार की महिला सदस्यों के लिये आरक्षित होने चाहिये”।

जस्टिस सूर्यकांत और के.वी. विश्वनाथन

स्रोतः उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जस्टिस सूर्यकांत और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा है कि "सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा पारित किसी भी प्रस्ताव के बावजूद, कार्यकारी समिति में कुछ पद बार की महिला सदस्यों के लिये आरक्षित होने चाहिये"।

  • उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बी.डी. कौशिक के मामले में दिया।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बी.डी. कौशिक मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • उच्चतम न्यायालय ने पहले 14 अगस्त 2023 के निर्णय के द्वारा चुनाव प्रक्रिया में सुधार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) सदस्यों से सुझाव आमंत्रित किये थे।
  • SCBA ने 30 अप्रैल 2024 को एक विशेष आम सभा की बैठक आयोजित की, जहाँ आठ प्रस्ताव प्रस्तुत किये गए, लेकिन सभी प्रस्ताव उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के आवश्यक 2/3 बहुमत को प्राप्त करने में विफल रहे।
    • ये प्रस्ताव SCBA पदाधिकारियों के लिये पात्रता मानदंड को संशोधित करने, प्रवेश और जमा शुल्क को संशोधित करने, बैठकें बुलाने के लिये आवश्यक सदस्यों की न्यूनतम संख्या बढ़ाने, कार्यकारी समिति का कार्यकाल बढ़ाने तथा महिलाओं के लिये आरक्षण की शुरुआत करने से संबंधित थे।

न्यायालय के निर्णय क्या थे?

  • उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) देश के सर्वोच्च न्यायिक फोरम का अभिन्न अंग है।
    • न्यायालय ने बार सदस्यों के सुझावों पर उचित विचार सुनिश्चित करते हुए उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिये SCBA में समय पर सुधार की आवश्यकता को स्वीकार किया।
  • तद्नुसार, निम्नलिखित प्रमुख निर्देश जारी किये गए:
    • SCBA कार्यकारी समिति को 19 जुलाई 2024 तक अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से सभी बार सदस्यों से सुझाव आमंत्रित करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें पहले से प्राप्त सुझाव भी शामिल थे।
    • संकलित सुझावों पर अन्य सुझाव 9 अगस्त 2024 तक आमंत्रित किये जाने थे।
    • SCBA शासन में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये, निम्नलिखित आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू किये गए:
      • कार्यकारी समिति में न्यूनतम 1/3 सीटें (9 में से 3)।
      • न्यूनतम 1/3 (6 में से 2) वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य।
      • पदाधिकारी का कम-से-कम एक पद चक्रीय आधार पर महिलाओं के लिये आरक्षित है।
      • वर्ष 2024-25 के चुनाव के लिये कोषाध्यक्ष का पद महिलाओं के लिये आरक्षित होगा।
    • वर्ष 2024-25 के लिये SCBA चुनाव 16 मई 2024 को 2023 मतदाता सूची के आधार पर आयोजित करने का निर्देश दिया गया था, जिसे 01 मार्च 2023 से 29 फरवरी 2024 तक पात्र सदस्यों को शामिल करने के लिये अद्यतन किया गया था।
    • उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री को 03 मई 2024 तक पात्र सदस्यों की अपेक्षित अद्यतन सूची प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।

भारत में महिला आरक्षण का कालक्रम क्या है?

  • राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना:
    • वर्ष 1988 में महिलाओं के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना ने पंचायत स्तर से संसद तक महिलाओं के लिये आरक्षण प्रदान करने की सिफारिश की।
  • 73वाँ और 74वाँ संवैधानिक संशोधन:
    • 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन,1992 ने सभी राज्यों को स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया।
    • अनुच्छेद 243D (2) और अनुच्छेद 243T (2) ने क्रमशः पंचायत तथा नगर पालिकाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान किया।
  • महिला आरक्षण विधेयक:
    • संसद और राज्य विधानसभाओं के लिये महिला आरक्षण विधेयक पहली बार वर्ष 1996 में प्रस्तुत किया गया था
    • हालाँकि बहुमत न होने के कारण यह पारित नहीं हो सका।
    • इसके बाद वर्ष 1998, 1999 और 2008 में प्रयास किये गए, लेकिन संबंधित लोकसभा के विघटन के साथ सभी विधेयक समाप्त हो गए।
    • राज्यसभा ने इसे वर्ष 2010 में पारित कर दिया था, लेकिन यह लोकसभा में लंबित रहा।
    • महिलाओं की स्थिति पर वर्ष 2013 की समिति सहित विभिन्न समितियों और रिपोर्टों ने सभी निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं के लिये कम-से-कम 50% आरक्षण की सिफारिश की।

महिला आरक्षण पर प्रमुख समितियाँ:

वर्ष 1971 भारत में महिलाओं की स्थिति पर समिति (CSWI):

  • इसकी स्थापना तत्कालीन शिक्षा और समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई थी, जिसने महिलाओं की सामाजिक स्थिति को प्रभावित करने वाले संवैधानिक, प्रशासनिक तथा विधिक प्रावधानों की जाँच की।
  • 'समानता की ओर' रिपोर्ट ने लैंगिक समानता की गारंटी देने में राज्य की अक्षमता की ओर ध्यान आकर्षित किया और स्थानीय अधिकारियों में महिलाओं के लिये आरक्षण का सुझाव दिया।

वर्ष 1987 में मार्गरेट अल्वा के अधीन समिति:

  • इस समिति ने महिलाओं के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना 1988-2000 प्रस्तुत की, जिसमें निर्वाचित निकायों में महिलाओं के लिये सीटें आरक्षित करने की सिफारिश शामिल थी।
  • इसके परिणामस्वरूप 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियमों,1992 के तहत स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीटें आरक्षित करना अनिवार्य हो गया।

वर्ष 1996 में गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली चयन समिति:

  • वर्ष 1996 में पहला महिला आरक्षण विधेयक गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति को भेजा गया था।
  • समिति ने उचित समय पर ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने पर विचार करने की सिफारिश की।

वर्ष 2013 में महिलाओं की स्थिति पर समिति:

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित महिलाओं की स्थिति पर वर्ष 2013 की समिति ने संसद और राज्य विधानसभाओं सहित सभी निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं के लिये कम-से-कम 50% आरक्षण सुनिश्चित करने की सिफारिश की।

महिला आरक्षण अधिनियम, 2023:

  • परिचय:
    • संविधान (106वाँ संशोधन) अधिनियम, 2023 एक ऐतिहासिक कानून है जो लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिये सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है, जिसे महिला आरक्षण अधिनियम, 2023 भी कहा जाता है।
    • इस अधिनियम का उद्देश्य देश के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि करना है।
  • सम्मिलित और संशोधित अनुच्छेद:
    • लोकसभा में आरक्षण के लिये अनुच्छेद 330A,
    • राज्य विधानसभाओं में आरक्षण के लिये अनुच्छेद 332A और
    • दिल्ली विधानसभा में आरक्षण के लिये अनुच्छेद 239AA में संशोधन किया गया।