होम / करेंट अफेयर्स
सांविधानिक विधि
अनुकंपा नियुक्ति – विवाहित पुत्री की पात्रत
«25-Dec-2025
|
सुखविंदर कौर बनाम पंजाब राज्य और अन्य उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि अनुकंपा नियुक्ति एक अधिकार नहीं अपितु एक रियायत है जो नीति और न्यायिक अनुशासन द्वारा कठोरता से नियंत्रित होती है, जिसके लिये वास्तविक वित्तीय संकट और तत्काल आवश्यकता होनी चाहिये। न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ |
स्रोत: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ ने सुखविंदर कौर बनाम पंजाब राज्य और अन्य (2025) के मामले में अनुकंपा नियुक्ति की मांग करने वाली एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, यह मानते हुए कि अधिकारियों ने याचिकाकर्त्ता की वैवाहिक स्थिति, पति की सरकारी आय, भाई-बहनों के अस्तित्व और पृथक् निवास सहित महत्त्वपूर्ण कारकों पर विचार किया था जिससे तत्काल वित्तीय संकट की अनुपस्थिति का अवधारण किया जा सके।
सुखविंदर कौर बनाम पंजाब राज्य और अन्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- याचिकाकर्त्ता के पिता पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) के अंतर्गत वर्क चार्ज बुलडोजर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे और 26.03.2001 को ड्यूटी के दौरान उनका निधन हो गया।
- याचिकाकर्त्ता, जो एक विवाहित पुत्री है, ने दिनांक 27.10.2022 की नीति के अधीन अनुकंपा नियुक्ति के लिये आवेदन किया था।
- उसका दावा शुरू में इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि विवाहित पुत्री होने के नाते, वह 21.11.2002 की पॉलिसी के अधीन पात्र नहीं थी।
- CWP No. 9447/2025 में उच्च न्यायालय के पूर्व आदेश के अनुसार, मामले पर पुनर्विचार किया गया।
- दिनांक 06.10.2025 के आदेश द्वारा इस दावे को निम्नलिखित आधारों पर पुनः नामंजूर कर दिया गया:
- याचिकाकर्त्ता के चार भाई-बहन थे।
- वह अपनी माता से अलग पते पर रहती थी।
- उसकी निर्भरता और वित्तीय संकट की वास्तविकता को लेकर प्रश्न उठने लगे।
- याचिकाकर्त्ता ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 226/227 के अधीन उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर नामंजूरी आदेश को रद्द करने और क्लास-III के पद पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का निदेश देने की मांग की।
न्यायालय की क्या टिप्पणियां थीं?
- न्यायालय ने इस बात को दोहराया कि अनुकंपा नियुक्ति एक अधिकार नहीं है, अपितु यह परिवार के एकमात्र कमाने वाले की मृत्यु से उत्पन्न अचानक वित्तीय संकट से निपटने के लिये दी जाने वाली एक रियायत है, जिसका उद्देश्य नियोजन में अप्रत्यक्ष प्रवेश के बजाय तत्काल अनुतोष प्रदान करना है।
- न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के प्रमुख पूर्व निर्णयों का हवाला दिया:
- उत्तरांचल जल संस्थान बनाम लक्ष्मी देवी (2009) : अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित नियम अप्रत्यक्ष प्रवेश की अनुमति देते हैं और उनका कठोर निर्वचन किया जाना चाहिये।
- SAIL बनाम मधुसूदन दास (2008): अनुकंपा नियुक्ति एक रियायत है, अधिकार नहीं, और सभी आवेदकों को मानदंडों को पूरा करना होगा।
- कैनरा बैंक बनाम अजितकुमार जी.के. (2025) : जहाँ परिवार तत्काल आर्थिक संकट में नहीं है, वहाँ अनुकंपा नियुक्ति का मूल आधार ही समाप्त हो जाता है। आर्थिक स्थिति, जीविका के अन्य साधनों की उपलब्धता और वास्तविक निर्धनता महत्त्वपूर्ण कारक हैं।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनाम सोमवीर सिंह (2007) : परिवार गरीबी में जी रहा है या नहीं, यह तय करने के लिये अंतिम लाभ, निवेश, पारिवारिक पेंशन सहित मासिक पारिवारिक आय और अन्य स्रोतों से होने वाली आय पर विचार किया जाना चाहिये।
- न्यायालय ने पाया कि दिनांक 06.10.2025 के नामंजूरी आदेश में सुसंगत कारकों पर उचित रूप से विचार किया गया था:
- याचिकाकर्त्ता विवाहित है और उसका पति सरकारी सेवा में है, जिसने अपनी वार्षिक आय का प्रकटन किया है।
- चार भाई-बहन हैं, जिनमें से कुछ नौकरी करते हैं।
- माता से अलग रहने से निरंतर निर्भरता के संबंध में वैध संदेह उत्पन्न हुआ।
- नीति के अनुसार, सामाजिक और आर्थिक कारकों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत योग्यता-आधारित परीक्षा आवश्यक है।
- न्यायालय ने माना कि भाई-बहनों और पते के अप्रासंगिक होने के संबंध में दिया गया तर्क गलत था, क्योंकि ये कारक वास्तविक दरिद्रता और निर्भरता को निर्धारित करने से प्रत्यक्षत: संबंधित हैं।
- न्यायालय ने गौर किया कि याचिकाकर्त्ता के पिता की मृत्यु 2001 में हुई थी और दावा दो दशक बाद दायर किया गया था। कैनरा बैंक (उपरोक्त) का हवाला देते हुए न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि लंबे विलंब के बाद अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जानी चाहिये क्योंकि इससे संकट की तात्कालिकता समाप्त हो जाती है।
- उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति एक ऐसा अनुतोष है जो नीति और न्यायिक अनुशासन द्वारा कठोरता से नियंत्रित होता है, न कि स्वतः प्राप्त होने वाला अधिकार।
अनुकंपा नियुक्ति क्या है?
बारे में:
- अनुकंपा नियुक्ति एक ऐसी योजना है जो किसी सरकारी कर्मचारी के आश्रित परिवार के सदस्य को नियोजन प्रदान करती है, जिसकी सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या जो सेवा के दौरान स्थायी रूप से अक्षम हो जाता है।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य परिवार के मुखिया की मृत्यु के कारण अचानक आर्थिक संकट का सामना कर रहे शोक संतप्त परिवार को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- यह सामान्य भर्ती प्रक्रिया का अपवाद है और योग्यता-आधारित चयन के नियमित सिद्धांतों द्वारा शासित नहीं है।
विधिक स्वरूप:
- अनुकंपा नियुक्ति एक रियायत या विशेषाधिकार है, न कि कोई निहित अधिकार या विधिक हक।
- इसे नियोक्ता संगठन की लागू नीति और नियमों के अनुसार ही प्रदान किया जाना चाहिये।
- यह योजना लोक नियोजन में अप्रत्यक्ष प्रवेश की अनुमति देती है, और इसलिये इसका कठोरता से निर्वचन आवश्यक है।
- न्यायालय नियोक्ताओं को उनकी नीति के विपरीत अनुकंपा नियुक्ति देने के लिये बाध्य नहीं कर सकते।
आवश्यक शर्ते :
- तत्काल वित्तीय संकट : परिवार को वास्तविक और तत्काल वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ रहा होगा जिसके लिये तत्काल सहायता की आवश्यकता है।
- सेवा के दौरान मृत्यु : कर्मचारी की मृत्यु सेवा के दौरान हुई हो या वह स्थायी रूप से अक्षम हो गया हो।
- आश्रित परिवार सदस्य : आवेदक को संबंधित नीति में परिभाषित अनुसार आश्रित परिवार सदस्य होना चाहिये।
- समय पर आवेदन : तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिये दावा उचित समय के भीतर किया जाना चाहिये; लंबे समय तक देरी से तात्कालिकता का आधार कमजोर हो जाता है।
- वास्तविक निर्धनता : अधिकारियों को यह सत्यापित करना होगा कि परिवार के पास आजीविका या भरण-पोषण का कोई अन्य पर्याप्त साधन नहीं है।