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आपराधिक कानून
दंगा
« »13-Mar-2024
परिचय:
"अफ्रे" शब्द फ्राँसीसी शब्द "एफ्रेयर" से लिया गया है जिसका अर्थ भयभीत करना होता है और इसलिये कानूनी अर्थ में इसे लोगों को आतंकित करने वाला लोक अपराध माना जाता है।
- दंगे की परिभाषा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 159 में निहित है।
दंगे का अर्थ:
- ब्लैकस्टोन के अनुसार, अपराध लोकस्थान पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों की लड़ाई है, क्योंकि अगर लड़ाई निजी तौर पर हो, तो यह कोई दंगा नहीं बल्कि एक हमला है।
- अपराध का सार लोक में इसके कारण होने वाले आतंक में निहित है।
IPC की धारा 159:
- इस धारा में कहा गया है कि जब कि दो या अधिक व्यक्ति लोकस्थान में लड़कर लोक शांति में विघ्न डालते हैं, तब यह कहा जाता है कि वे दंगा करते हैं।
IPC की धारा 159 के आवश्यक तत्व:
- दो या दो से अधिक व्यक्तियों की लड़ाई।
- लड़ाई लोकस्थान पर होनी चाहिये।
- इस तरह की लड़ाई से लोक शांति विघ्न पड़ना चाहिये।
- निजी स्थानों पर कोई दंगा नहीं होता।
- झगड़ालू या धमकी भरी भाषा दंगा नहीं मानी जाएगा।
- यह एक संज्ञेय, ज़मानती, अशमनीय अपराध है।
दंगा करने के लिये सज़ा:
- IPC की धारा 160 दंगा करने के लिये सज़ा से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि जो कोई दंगा करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या ज़ुर्माने से, जो एक सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
निर्णयज विधि:
- सुनील कुमार मोहम्मद अलियास महाखुदा बनाम उड़ीसा राज्य, (2008) मामले में, यह माना गया कि जब एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को लोकस्थान में पीटता है, तो दंगे का कोई अपराध नहीं होता है, दंगे का अपराध केवल तब किया जाता है जब लोक में लड़ाई हो रही हो, लोक शांति में विघ्न पड़ रहा हो।