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सिविल कानून

सामान्य भविष्य निधि नामांकन और पारिवारिक अधिकार

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 08-Dec-2025

श्रीमती बोल्ला मलाथी बनाम बी. सुगुना और अन्य 

"सामान्य भविष्य निधि में नामांकन तब अमान्य हो जाता है जब निर्दिष्ट स्थिति उत्पन्न होती हैभले ही अभिदाता ने औपचारिक रूप से इसे रद्द न किया होतथा सभी पात्र पारिवारिक सदस्यों के बीच समान वितरण की आवश्यकता होती है।" 

न्यायमूर्ति संजय करोल और नोंगमेइकापम कोटिस्वर सिंह 

स्रोत: उच्चतम न्यायालय  

चर्चा में क्यों? 

श्रीमती बोल्ला मालथी बनाम बी. सुगुना एवं अन्य (2025)के मामले में न्यायमूर्ति संजय करोल और नोंगमईकापम कोटिश्वर सिंह की पीठ ने निर्णय दियाकि एक बार कर्मचारी का विवाह हो जाने परमाता-पिता के पक्ष में किया गया नामांकन समाप्त हो जाएगाऔर सामान्य भविष्य निधि राशिसामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियम (केन्द्रीय सेवा) नियम, 1960 के नियम 33 के अधीन मृतक कर्मचारी की पत्नी और माता-पिता के बीच समान रूप से वितरित की जाएगी।  

श्रीमती बोल्ला मालथी बनाम बी. सुगुना एवं अन्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • यह मामला रक्षा लेखा विभाग के एक कर्मचारी से संबंधित थाजिसने वर्ष 2000 मेंअपनी माता (प्रत्यर्थी संख्या 1) को सामान्य भविष्य निधि (GPF), केंद्रीय सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना (CGEGIS) और मृत्यु सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (DCRG) के लिये नामांकित किया था। 
  • मृतक बोल्ला मोहन 29 फरवरी, 2000 को भारत सरकार के रक्षा लेखा विभाग में सम्मिलित हुए थे। 
  • सेवा में सम्मिलित होने परउन्होंने अपनी माता (प्रत्यर्थी) को अपने सामान्य भविष्य निधिकेंद्रीय सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना और मृत्यु सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी के प्राप्तकर्त्ता के रूप में नामित किया। 
  • नामांकन प्रपत्र में यह निर्दिष्ट किया गया था किअभिदाता द्वारा परिवार प्राप्त करने पर नामांकन अप्रभावी या अवैध हो जाएगा। 
  • 20 जून 2003 को मृतका ने अपीलकर्त्ता से विवाह कर लिया। 
  • 2003 में अपीलकर्त्ता से विवाह करने के बादउन्होंने केवल केंद्रीय सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना (CGEGIS) और मृत्यु सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (DCRG) के लिये नामांकन को अपनी पत्नी के पक्ष में अद्यतन कियालेकिन सामान्य भविष्य निधि (GPF) के लिये नहीं।  
  • मृतक की जुलाई 2021 को सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई। 
  • 2021 में पति की मृत्यु के पश्चात्पत्नी को अवकाश नकदीकरणकेंद्रीय सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना (CGEGIS), मृत्यु सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (DCRG) और चिकित्सा प्रतिपूर्ति सहित कुल 60 लाख रुपए के अन्य सभी सेवा लाभ प्राप्त हुएकिंतु सामान्य भविष्य निधि (GPF) से इंकार कर दिया गयाक्योंकि अधिकारियों ने माता के पक्ष में पुराने नामांकन पर विश्वास किया। 
  • जब अपीलकर्त्ता ने सितंबर, 2021 को सामान्य भविष्य निधि (GPF) राशि के लिये आवेदन कियातो रक्षा लेखा विभाग ने अभिलेख पर माता के नामांकन का हवाला देते हुए राशि जारी करने से इंकार कर दिया। 
  • केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण मुंबई ने माना कि मृतक कर्मचारी के विवाह के बाद सामान्य भविष्य निधि (GPF) नामांकन स्वतः ही अवैध हो जाता हैतथा पत्नी और माता के बीच निधि का समान वितरण करने का निदेश दिया। 
  • बॉम्बेउच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के आदेश को पलटते हुएकहा कि नामांकन तब तक जारी रहेगा जब तक कि कर्मचारी औपचारिक रूप से इसे रद्द नहीं कर देताजिसके कारण अपीलकर्त्ता-पत्नी को उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ा। 

न्यायालय की टिप्पणियां क्या थीं? 

  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नामांकन फॉर्म में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यदि अंशदाता विवाह या अन्य माध्यम से परिवार बना लेता है तो यह अवैध हो जाएगाजिससे 2003 में यह अपने आप ही अवैध हो गया। 
  • पीठ ने कहा कि "प्रत्यर्थी संख्या 1 (मृतक की माता) के पक्ष में नामांकनउसके (मृतक कर्मचारी) परिवार (विवाह या अन्य) बनने पर अवैध हो जाएगा।" 
  • न्यायालय ने स्थापित विधिक स्थिति को दोहराया किनामांकन सामान्य भविष्य निधि पर श्रेष्ठ दावा प्रदान नहीं करता हैतथा कहा कि प्रत्यर्थी संख्या 1 (मृतक की माता) अपीलकर्त्ता (मृतक की पत्नी) पर प्राथमिकता का दावा नहीं कर सकती। 
  • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि मृतक के परिवार हो जाने पर उसकी माता के पक्ष में किया गया पूर्व नामांकन समाप्त हो गयाजिससे सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियम, 1960 का नियम 33 लागू हो गयाजो पात्र परिवार के सदस्यों के बीच सामान्य भविष्य निधि (GPF) के समान वितरण को अनिवार्य बनाता है। 
  • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियम के नियम 33 में यह अनिवार्य किया गया है कि जब कोई वैध नामांकन नहीं होता हैतो राशि सभी परिवार के सदस्यों को समान अंशों में देय हो जाती है। 
  • न्यायालय ने स्थापित विधिक सिद्धांत का हवाला दिया कि नामांकन केवल राशि प्राप्त करने के लिये अधिकृत व्यक्ति को इंगित करता है और लाभकारी हित प्रदान नहीं करता हैजैसा किसरबती ​​देवी बनाम उषा देवी (1984)औरशक्ति येजदानी बनाम जयानंद जयंत सलगांवकर (2024) में कहा गया है। 
  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रत्यर्थी प्राधिकारी अभिदाताओं से नामांकन में परिवर्तन करने के लिये कहने के लिये बाध्य नहीं हैं तथा ऐसे परिवर्तन करना अभिदाताओं का कर्त्तव्य है। 
  • तदनुसारपीठ ने कहा कि "मृतक का सामान्य भविष्य निधि (GPF) अपीलकर्त्ता और प्रत्यर्थी संख्या के बीच वितरित किया जाएगा।" 
  • उच्चतम न्यायालय नेउच्च न्यायालय के निर्णय को अपास्त कर दिया और केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के आदेश को बरकरार रखाजिसमेंअपीलकर्त्ता पत्नी और माता के बीच सामान्य भविष्य निधि (GPF) राशि के समान वितरण का निदेश दिया गया थाजिससे कर्मचारी के विवाह के बाद सामान्य भविष्य निधि राशि में पत्नी और माता-पिता को समान अधिकार की गारंटी मिल सके। 

सामान्य भविष्य निधि क्या है? 

बारे में: 

  • सामान्य भविष्य निधि भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिये एक सेवानिवृत्ति लाभ योजना है जो सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियम, 1960 द्वारा शासित है। 
  • सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान अपने वेतन का एक भाग सामान्य भविष्य निधि (GPF) में जमा करते हैंजो समय के साथ ब्याज सहित बढ़ता जाता है।  
  • सेवानिवृत्तित्यागपत्र या मृत्यु परसंचित राशि ब्याज सहित अभिदाता या उनके विधिक प्रतिनिधियों को देय हो जाती है। 

सामान्य भविष्य निधि (GPF) नियमों के अधीन नामांकन: 

  • सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियमावली के नियम के अधीन अंशधारकों को अपनी मृत्यु की स्थिति में सामान्य भविष्य निधि राशि प्राप्त करने के लिये एक या एक से अधिक व्यक्तियों को नामांकित करने की अनुमति है। 
  • एक अभिदाता ऐसी शर्तें निर्दिष्ट कर सकता है जिनके अधीन नामांकन अवैध हो जाता हैजैसे विवाह के माध्यम से परिवार प्राप्त करना। 
  • नियम 5(5)(ख) में उपबंध है कि अभिदाता द्वारा निर्दिष्ट आकस्मिकता की स्थिति में नामांकन अमान्य हो जाएगा। 
  • नियम 5(6) के अनुसारजब किसी घटना के कारण पिछला नामांकन अवैध हो जाता हैतो अभिदाता को नामांकन रद्द करने के लिये लिखित नोटिस भेजना होगा तथा नया नामांकन प्रस्तुत करना होगा। 

अभिदाता की मृत्यु पर वितरण: 

  • सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियम का नियम 33, अभिदाता की मृत्यु पर प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। 
  • जब परिवार के सदस्यों के पक्ष में वैध नामांकन विद्यमान रहता हैतो सामान्य भविष्य निधि (GPF) राशि निर्दिष्ट अनुपात में नामित व्यक्ति को देय हो जाती है। 
  • यदि परिवार के सदस्यों के पक्ष में कोई नामांकन नहीं होता हैतो गैर-परिवार के सदस्यों के पक्ष में किसी भी नामांकन के होते हुए भीपूरी राशि सभी परिवार के सदस्यों को समान अंशों में देय हो जाती है।