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आपराधिक कानून
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 के अधीन बैंक खाते फ्रीज करने हेतु पुलिस की शक्तियां
«11-Dec-2025
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पश्चिम बंगाल राज्य बनाम अनिल कुमार डे "दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन अभिग्रहण की शक्तियां और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अधीन कुर्की की शक्तियां पृथक्-पृथक् और विशिष्ट हैं, और दोनों परस्पर विरोधी हुए बिना सह-अस्तित्व में रह सकती हैं।" न्यायमूर्ति संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
न्यायमूर्ति संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य बनाम अनिल कुमार डे (2025) के मामले में निर्णय दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अधीन आरंभ किये गए मामलों में पुलिस और अन्वेषण अभिकरणों को दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 102 (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 106) के अधीन बैंक खातों को फ्रीज करने का अधिकार है।
पश्चिम बंगाल राज्य बनाम अनिल कुमार डे (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- इस मामले में पुलिस इंस्पेक्टर प्रबीर कुमार डे सरकार पर 2007-2017 की अवधि के दौरान अपनी ज्ञात आय से अधिक संपत्ति जमा करने का अभिकथन किया गया था।
- अन्वेषण के दौरान, उनके पिता अनिल कुमार डे (प्रत्यर्थी) द्वारा धारित कई फिक्स्ड डिपॉजिट को भ्रष्टाचार विरोधी शाखा द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 के अधीन फ्रीज कर दिया गया था।
- प्रत्यर्थी ने संपत्ति ज़ब्त करने के आदेशों को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामलों में कुर्की केवल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 18क के अधीन विशेष प्रक्रिया का पालन करते हुए ही की जानी चाहिये।
- कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रतन बाबूलाल लाथ बनाम कर्नाटक राज्य (2022) के मामले में दिये गए अवलोकन पर विश्वास करते हुए खातों को डी-फ्रीज करने का आदेश दिया।
- उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एक संपूर्ण संहिता है और इसलिये दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन खाता फ्रीज करना अग्राह्य है।
- पश्चिम बंगाल राज्य ने उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की।
न्यायालय की क्या टिप्पणियां थीं?
- उच्चतम न्यायालय ने यह माना कि दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन अभिग्रहण की शक्ति और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अधीन कुर्की की शक्ति पृथक्-पृथक् और विशिष्ट शक्तियां हैं जो सह-अस्तित्व में हैं और परस्पर अनन्य नहीं हैं।
- पीठ ने टिप्पणी की कि अन्वेषणकर्त्ताओं को धारा 102 के अधीन कार्रवाई करने से पहले धारा 18क के अधीन विशेष कुर्की प्रक्रिया का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि दोनों सांविधिक मार्ग स्वतंत्र रूप से संचालित होते हैं।
- न्यायालय ने कहा कि अन्वेषण के दौरान संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिये संदिग्ध अवैध धन को तुरंत फ्रीज करना अक्सर आवश्यक होता है।
- उच्चतम न्यायालय ने रतन बाबूलाल लाथ बनाम कर्नाटक राज्य के मामले पर प्रत्यर्थी के विश्वास को नामंजूर कर दिया, यह मानते हुए कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम को एक संपूर्ण संहिता मानने संबंधी टिप्पणी अनुच्छेद 141 के अधीन बाध्यकारी पूर्व निर्णय नहीं है, क्योंकि यह विस्तृत विश्लेषण के बिना की गई थी।
- उच्च न्यायालय के निर्णय को अपास्त करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने पुलिस द्वारा जारी किये गए फ्रीजिंग आदेशों को बरकरार रखा और अभियुक्त लोक सेवक द्वारा उठाई गई चुनौती को खारिज कर दिया।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 क्या है?
बारे में:
- दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 102 अन्वेषण के दौरान कुछ संपत्ति अभिगृहीत करने के लिये पुलिस अधिकारियों की शक्ति से संबंधित है।
- इस उपबंध को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 106 द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है, जो 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हुई है।
- यह धारा पुलिस अधिकारियों को ऐसी किसी भी संपत्ति को अभिगृहीत करने का अधिकार देती है जिसके बारे में यह अभिकथित किया गया हो या संदेह हो कि वह चोरी की गई है, या जो ऐसी परिस्थितियों में पाई जाती है जिससे किसी अपराध के घटित होने का संदेह उत्पन्न होता है।
- यह अन्वेषण के प्रारंभिक प्रक्रम में अन्वेषण अधिकारियों को उपलब्ध एक सामान्य अभिग्रहण की शक्ति है।
- इस उपबंध का उद्देश्य आपराधिक अन्वेषण के दौरान संपत्ति के दुरुपयोग को रोकना और साक्ष्यों को सुरक्षित रखना है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 106 (संबंधित उपबंध):
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 106 दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 का उत्तराधिकारी उपबंध है।
- यह उपबंध दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 के समान ही आवश्यक शक्तियों को बरकरार रखता है, जिससे पुलिस अधिकारियों को अपराधों में सम्मिलित होने के संदेह वाली संपत्ति को अभिगृहीत करने की अनुमति मिलती है।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता भारत में दण्ड प्रक्रिया विधियों के आधुनिकीकरण का प्रतिनिधित्व करता है, जो औपनिवेशिक काल की दण्ड प्रक्रिया संहिता का स्थान लेता है।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 106 के अधीन अभिग्रहण की शक्तियां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अधीन मामलों सहित सभी दाण्डिक अन्वेषणों पर लागू होती हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 और बैंक खाते को फ्रीज करना:
- उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 पुलिस को भ्रष्टाचार के मामलों में बैंक खातों को फ्रीज करने का अधिकार देती है, जो उनकी सामान्य अभिग्रहण शक्तियों का भाग है।
- यह शक्ति स्वतंत्र रूप से कार्य करती है और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 18क के अधीन प्रदान किये गए विशेष कुर्की तंत्र द्वारा विस्थापित नहीं होती है।
- दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन सामान्य अभिग्रहण शक्ति और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अधीन विशेष कुर्की शक्ति दोनों सह-अस्तित्व में रह सकती हैं और परस्पर विरोधी नहीं हैं।
- अन्वेषणकर्त्ताओं को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 के अधीन कार्यवाही करने से पहले धारा 18क के अधीन विशेष कुर्की प्रक्रिया का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं है।
- धारा 102 के अधीन संदिग्ध अवैध निधियों को तुरंत फ्रीज करना अन्वेषण के दौरान संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिये आवश्यक है।
- धारा 102 के अधीन अभिगृहीत और धारा 18क के अधीन कुर्की का प्रभाव समान प्रतीत हो सकता है (संपत्ति को अभिरक्षा में लिया जाना), किंतु शक्तियां स्वयं पृथक् और विशिष्ट हैं।
- यह निर्णय अन्वेषण अभिकरणों को भ्रष्टाचार के अन्वेषण के प्रारंभिक प्रक्रम में तेजी से कार्यवाही करने के लिये एक प्रभावी तंत्र प्रदान करता है, जिससे वे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अधीन विशेष प्रक्रियाओं तक सीमित नहीं रहेंगी।