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सांविधानिक विधि

अनुच्छेद 19(1)(छ) के अधीन अधिकार

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 10-Jun-2025

हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (बिस्किट डिवीजन) एवं अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य 

अनुच्छेद 19(1) (छ) के अधीन कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारबार को चलाने के सांविधानिक अधिकार में कारबार को बंद करने का अधिकार भी सम्मिलित है।” 

न्यायमूर्ति संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा 

स्रोत: उच्चतम न्यायालय 

चर्चा में क्यों? 

उच्चतम न्यायालय ने हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (बिस्किट डिवीजन) एवं अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य (2025)मामले मेंन्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा कीदो न्यायाधीशों वाली पीठ द्वारायह निर्णय दिया कि अनुच्छेद 19(1)() के अधीन कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारबार को चलाने के सांविधानिक अधिकार में कारबार को बंद करने का अधिकार भी सम्मिलित है 

हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (बिस्किट डिवीजन) एवं अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (बिस्किट डिवीजन)द्वारा अपने कारबार को बंद करने से संबंधित बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुएउच्चतम न्यायालय में अपील दायर की गई। 
  • हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (Harinagar Sugar Mills Ltd. (HSML)) 30 वर्षों से अधिक समय से जॉब वर्क एग्रीमेंट्स (Job Work Agreements (JWAs)) के अधीन विशेष रूप से ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Britannia Industries Limited (BIL)) के लिये बिस्कुट निर्माण इकाई का संचालन कर रहा है। 
  • 2019 में, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जॉब वर्क एग्रीमेंट्स को समाप्त कर दिया, जिसके कारण हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड नेऔद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अधीनसमापन कार्यवाही शुरू की । 
  • हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (HSML) नेमहाराष्ट्र औद्योगिक विवाद नियमों के अधीन आवश्यक फॉर्म 24-ग  का उपयोग करते हुए 28 अगस्त 2019 को अपनासमापन आवेदन प्रस्तुत किया । 
  • महाराष्ट्र सरकार के उप सचिव ने अपूर्णता का हवाला देते हुएआवेदन को खारिज कर दियातथा संशोधित प्रस्तुतिकरण की मांग की। 
  • यद्यपि कंपनी द्वारा अतिरिक्त विवरण प्रस्तुत किया गया, तथापि प्रक्रिया में विलंब होता रहा और कारबार बंद करने की कोई औपचारिक समापन अनुमोदन नहीं दिया गया। 
  • इस बीच, श्रमिक संघों ने औद्योगिक अधिकरण से संपर्क करबंद करने पर रोक (stay) लगाने की मांग की,जिसे अधिकरण ने मंजूर कर लिया। 
  • अधिकरण के अंतरिम आदेश और आवेदन की अस्वीकृति को हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (HSML) द्वारा दी गई चुनौती को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय में अपील की गई। 

हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (HSML) के तर्क: 

  • उनका अंतिम आवेदन 28 अगस्त, 2019 तक वैध और पूर्ण था । 
  • अक्टूबर 2019 में समापन करने की सांविधिक 60-दिवसीय अवधि समाप्त हो गई थी, और इस प्रकार, समापन करना प्रभावी होना चाहिये था। 
  • केवल प्रभारी मंत्री के पास ही आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करने का विधिक अधिकार था - उप सचिव के पास संशोधन की मांग करने या समापन में बाधा डालने का कोई अधिकार नहीं था। 
  • हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (HSML) ने इस बात पर बल दिया कि ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (BIL)के लिये दशकों तक विशेष कार्य करने के बाद, इस बर्खास्तगी के कारण उनके पास कोई व्यवहार्य कारबार विकल्प नहीं बचा, जिससे समापन अपरिहार्य हो गया। 

प्रत्यर्थियों (सरकार और श्रमिकों) के तर्क: 

  • समापन आवेदन अपूर्ण था, और इस प्रकार, 60-दिवसीय स्वीकृत नियम लागू नहीं हुआ। 
  • सरकार ने समापन करने पर संयम बरतने का आग्रह किया तथा श्रमिकों के अधिकारों और रोजगार की सुरक्षा पर बल दिया। 
  • श्रमिकों और उनके संघों ने श्रम विधियों के अधीन सांविधिक संरक्षण का हवाला देते हुए समापन का विरोध किया। 

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं? 

  • न्यायालयने संतुलन की आवश्यकता को स्वीकार किया : 
  • अनुच्छेद 19(1)(छ) के अधीन कारबार के संचालन या समापन करने का सांविधानिक अधिकार। 
    • कर्मचारियों की सुरक्षा औरवैधानिक अनुपालनसुनिश्चित करने के उद्देश्य से उचित प्रतिबंधों के साथ । 
  • निर्णय दिया गया कि दिनांक 28 अगस्त 2019 को दिया गया समापन आवेदन : 
    • पूर्ण एवं वैध ।  
    • औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25-ण के अंतर्गत 60-दिवसीय सांविधिक अवधि लागू की गई। 
    • परिणामस्वरूप अक्टूबर 2019 से प्रभावी रिप से इसका समापन माना गया। 
  • उपसचिवधारा 25-ण के अंतर्गतउपयुक्त सरकार” नहींथे । 
    • उनके पास संशोधन की मांग करने या समापन आवेदन को अस्वीकार करने का विधिक अधिकार नहीं था। 
    • इस प्रकार उप सचिव द्वारा जारी संसूचना को अवैध माना गया। 
  • प्रभारी मंत्री निम्न कार्यकरनेमें असफल रहे: 
    • स्वतंत्र रूप से अपने विचार का उपयोग करना।  
    • उप-सचिव को निर्णय लेने का अधिकार अवैध रूप से प्रत्यायोजित किया  गया, जो एक विधिक दोष के समान है। 
  • न्यायालय ने हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (HSML) कीबाध्यकारी परिस्थितियों कोमान्यता दी : 
    • ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ अपने दीर्घकालिक करार की समाप्ति के पश्चात्, हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (HSML) के पास कोई वैकल्पिक व्यावसायिक रास्ता नहीं था। 
  • उच्चतमन्यायालय ने अपील की अनुमति दी , और: 
    • बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश कोअपास्त कर दिया 
    • 28 अगस्त, 2019 से समापन को वैध घोषित किया गया । 
    • इस बात की पुष्टि की गई कि माना गया (deemed closure) समापन अक्टूबर 2019 में प्रभावी हो गया।  
  • संशोधन की मांग करने और समापन में विलंब करने में उपसचिव के हस्तक्षेप कोअनधिकृत और अधिकारातीत माना गया। 
  • कर्मचारी प्रतिकर: 
    • न्यायालय ने निर्णय दिया कि मुकदमे के दौरान दिया गया कोई भी प्रतिकर श्रमिकों से वसूल नहीं किया जा सकता। 
    • हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (HSML) के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए न्यायालय ने श्रमिकों को प्रतिकर के रूप में अतिरिक्त 5 करोड़ रुपए देने का निदेश दिया। 
    • यह राशि आठ सप्ताह के भीतर वितरित की जानी है। 

संबंधित विधिक उपबंध क्या हैं? 

भारत के संविधान का अनुच्छेद 19: 

  • भारतीय संविधान, 1950 का अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को प्रत्याभूत करता है और इसका प्रयोग सामान्यत: राज्य के विरुद्ध किया जाता है। 
    • अनुच्छेद 19(1)के अनुसार , सभी नागरिकों को यह अधिकार होगा: 
      (क) वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य; 
      (ख) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मलेन का; 
      (ग) संगम या संघ बनाने का; 
      (घ) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अवाध संचरण का; 
      (ङ) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का; और  
      (च) लुप्त किया गया 
      (छ) कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारबार करने का 

भारत के संविधान का अनुच्छेद 19(1)(): 

  • भारतीय संविधान काअनुच्छेद 19(1)() सभी नागरिकों कोकोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारबार करने का अधिकार देता है। 
  • यह अधिकारअनुच्छेद 19(6) के अधीनहै, जो राज्य कोआम जनता के हित मेंउचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है। 
  • अनुच्छेद 19(1)(छ) के अधीन अधिकार है: 
    • व्यापक और सामान्य, व्यक्तियों को अपना कारबार या वृत्ति चुनने की अनुमति देता है। 
    • पूर्णतः लागू नहीं - यहविधि द्वारा निषिद्धअवैध गतिविधियों या कारबारों पर लागू नहीं होता । 
  • परिसीमाएँ और स्पष्टीकरण : 
    • नागरिकअपनी पसंद का कोई विनिर्दिष्ट पद या नौकरी पाने का अधिकारनहीं मांग सकते । 
    • राज्य या किसी सांविधिक निकाय परकोई दायित्त्व नहीं है : 
      • किसी कारबार को लाभदायक बनाएं, या 
      • कारबार हेतु ग्राहक अथवा व्यावसायिक अवसर प्रदान करें। 
  • यदि किसी व्यक्ति काकिसी स्थान पर कब्ज़ा विधिविरुद्ध है, तो वेवहाँ कारबार करने को उचित ठहराने के लियेअनुच्छेद 19(1)(छ) का हवाला नहीं दे सकते। 
  • मौलिक अधिकारों काउपयोग निम्नलिखित के लिये नहीं किया जा सकता: 
    • अवैध कृत्यों कोउचित ठहराना , या 
    • प्राधिकारियों को उनके सांविधिक कर्त्तव्यों कापालन करने सेरोकना । 
  • उच्चतमन्यायालय नेभारत की नियंत्रित एवं नियोजित अर्थव्यवस्था को मान्यता देते हुए कहा है: 
    • निजी उद्यम परसामाजिक नियंत्रणके उद्देश्य सेबनाई गई विधि को बरकरार रखा । 
    • राज्य नीति के निदेशक तत्त्वों केअनुरूपनिजी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगानेकी अनुमति दी गई । 
  • अनुच्छेद 19(6)अनुमति देता है: 
    • राज्य द्वारा व्यापारिक अधिकारों परयुक्तियुक्त प्रतिबंधलगाना । 
    • कुछ व्यवसायों में कार्य करने के लिये आवश्यकव्यावसायिक या तकनीकी योग्यताओंसे संबंधित विधियों का अधिनियमन ।