एडमिशन ओपन: UP APO प्रिलिम्स + मेंस कोर्स 2025, बैच 6th October से   |   ज्यूडिशियरी फाउंडेशन कोर्स (प्रयागराज)   |   अपनी सीट आज ही कन्फर्म करें - UP APO प्रिलिम्स कोर्स 2025, बैच 6th October से










होम / एडिटोरियल

सिविल कानून

दूरसंचार विभाग का व्हाट्सएप सिम-बाइंडिंग आदेश: सुरक्षा बनाम सुविधा

    «
 03-Dec-2025

स्रोत:द इंडियन एक्सप्रेस 

परिचय 

28 नवंबर, 2025 कोदूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024 के अधीन निदेश जारी कियेजिसमें व्हाट्सएपटेलीग्रामसिग्नल और अन्य प्रमुख मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के लिये "सिम बाइंडिंग"अनिवार्य कर दिया गया । इस निदेश के अधीन इन ऐप्स को सक्रिय सिम कार्ड्स के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखना होगाजिससे वर्तमान चलनजिसमें ऐप्स प्रारंभिक पंजीकरण के बाद स्वतंत्र रूप से काम करते हैंप्रभावी रूप से समाप्त हो जाएगा। 

  • इस उपाय का उद्देश्य साइबर कपट से निपटना हैजिससे भारत को 2024 में 22,800 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान होगा। इस उपाय ने निदेश का समर्थन करने वाले दूरसंचार ऑपरेटरों और नियामक अतिक्रमण तथा वैध उपयोगकर्त्ताओं के लिये महत्त्वपूर्ण व्यवधान की चेतावनी देने वाली प्रौद्योगिकी फर्मों के बीच एक तीव्र विभाजन उत्पन्न कर दिया है। 

सिम बाइंडिंग क्या है? 

तकनीकी आवश्यकताएं: 

  • निदेश में निरंतर सत्यापन अनिवार्य किया गया है कि मैसेजिंग ऐप्स अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल सब्सक्राइबर आइडेंटिटी (IMSI) नंबर का उपयोग करके सक्रिय सिम कार्ड से जुड़े रहें। 
  • ऐप्स को सिम की उपस्थिति को निरतंर सत्यापित करना होगान कि केवल प्रारंभिक ओटीपी-आधारित पंजीकरण के दौरान। 
  • वेब या डेस्कटॉप संस्करणों को प्रत्येक छह घंटे में उपयोगकर्त्ताओं को स्वचालित रूप से लॉग आउट करना होगाजिसके लिये मोबाइल डिवाइस के साथ क्यू.आर. कोड (QR code) स्कैनिंग के माध्यम से पुनः प्रमाणीकरण की आवश्यकता होगी। 

कार्यान्वयन समयरेखा: 

  • 90 दिनों के भीतर (26 फरवरी, 2026 तक) पूर्ण कार्यान्वयन। 
  • 120 दिनों के भीतर (28 मार्च, 2026 तक) अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें। 

प्रभावित प्लेटफ़ॉर्म: 

  • WhatsApp, Telegram, Signal, Arattai, Snapchat, ShareChat, JioChat, और Josh विशेष रूप से निदेश के अंतर्गत आते हैं। 

सरकार सिम बाइंडिंग क्यों चाहती है? 

सुरक्षा कमजोरियों का समाधान: 

  • दूरस्थ खाते का दुरुपयोग (Remote Account Misuse):वर्तमान मेंसंबंधित सिम कार्ड हटा दिये जानेनिष्क्रिय कर दिये जाने या विदेश स्थानांतरित कर दिये जाने के बाद भी मैसेजिंग खाते काम करते रहते हैं। इससे अपराधी विदेशी स्थानों से भारतीय नंबरों का उपयोग करके "डिजिटल गिरफ्तारी" कपट और प्रतिरूपण घोटाले करने में सक्षम हो जाते हैं। 
  • लंबे समय तक चलने वाले वेब सेशन (Long-lived Web Sessions):भारत में एक बार प्रमाणित किये गए वेब सेशनबिना किसी नए सत्यापन केविदेश से अनिश्चित काल तक संचालित हो सकते हैंजिससे अपराधी पीड़ितों के खातों को दूर से ही नियंत्रित कर सकते हैं। 
  • ट्रेसेबिलिटी गैप (Traceability Gap):निरंतर सिम लिंकेज के बिनाविधि प्रवर्तन एजेंसियों को कपटपूर्ण खातों को KYC-सत्यापित पहचानों तक ट्रेस करने में कठिनाई होती है। 

अपेक्षित लाभ: 

  • प्रत्येक सक्रिय खाते को एक सक्रिय, KYC -सत्यापित सिम से जोड़ेंजिससे पता लगाने की क्षमता बहाल हो सके।  
  • अपराधियों को बार-बार डिवाइस/सिम नियंत्रण साबित करने के लिये विवश करनाजिससे पता लगाने का जोखिम बढ़ जाता है। 
  • दूरस्थ पहुँच के दुरुपयोग के लिये उपयोग किये जाने वाले लंबे वेब सेशनों को बंद करें। 
  • खाता अधिग्रहण और म्यूल-अकाउंट संचालन को रोकना 
  • संचार ऐप्स को बैंकिंग और UPI प्रणालियों में पहले से ही अनिवार्य सुरक्षा प्रथाओं के साथ संरेखित करें। 

वे विधिक ढाँचे क्या हैं जिनका उल्लेख किया गया है? 

दूरसंचार अधिनियम, 2023: 

  • 24 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई। 
  • धारा 22(1) केंद्र सरकार को दूरसंचार साइबर सुरक्षा के लिये उपाय निर्धारित करने का अधिकार देती है। 

दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024: 

  • दूरसंचार अधिनियम, 2023 की धारा 56(2)(v) के साथ पठित धारा 22(1) के अंतर्गत 21 नवंबर, 2024 को अधिसूचित किया गया। 
  • नियम दूरसंचार संस्थाओं को साइबर सुरक्षा नीतियां अपनानेजोखिमों की पहचान करनेसुरक्षा घटनाओं का समाधान करने और सरकारी निदेशों को लागू करने के लिये बाध्य करता है। 
  • नियम साइबर सुरक्षा के लिये केंद्र सरकार को डेटा संग्रहण की शक्तियां प्रदान करता हैजिसे विधि प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा करने की अनुमति है। 
  • नियम के अनुसार सुरक्षा घटनाओं की सूचना घंटे के भीतर देनी होगी। 
  • नियम साइबर सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करने वाले दूरसंचार पहचानकर्ताओं को निलंबित या समाप्त करने की अनुमति देता है। 
  • अनुपालन न करने पर जुर्माना: प्रथम अपराध पर 25,000 रुपए तकतथा उसके बाद के अपराधों पर 50,000 रुपए प्रतिदिन तक। 

इससे संबंधित अधिकारिता संबंधी चिंताएँ क्या हैं? 

  • OTT प्लेटफॉर्म सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत आते हैंजो IT मंत्रालय की अधिकारिता में आता है। 
  • दूरसंचार अधिनियम में OTT संचार प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिये विधायी आधार का अभाव है। 
  • इस उपाय के लिये विधायी मंजूरी की आवश्यकता है तथा अधिकारिता की सीमाओं का सम्मान किया जाना चाहिये 

इस विकास का उपभोक्ता पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 

  • यात्री और अनिवासी भारतीय:जब भारतीय नंबरों के लिये Wi-Fi पर निर्भर रहते हुए विदेश में स्थानीय सिम कार्ड डाले जाते हैं तो खाते अप्राप्य हो जाते हैं। 
  • मल्टी-डिवाइस उपयोगकर्त्ता:प्राथमिक सिम को मैसेजिंग नंबरों से अलग करने वाले परिवारों को व्यवधान का सामना करना पड़ता है। 
  • व्यावसायिक उपयोगकर्त्ता:हर छह घंटे में जबरन पुनः प्रमाणीकरण से 8-10 घंटे का कार्यदिवस बाधित होता है। 
  • संवेदनशील उपयोगकर्त्ता:वृद्धजन या कम साक्षरता वाले उपयोगकर्त्ताओं को बार-बार पुनः प्रमाणीकरण से परेशानी होती है।   
  • केवल Wi-Fi डिवाइस:टैबलेट और द्वितीयक फोन पर संदेश भेजने की सुविधा पूरी तरह समाप्त हो जाती है। 

निजता संबंधी चिंताएँ क्या हैं? 

  • यह सरकार को स्पष्ट परिभाषा के बिना "ट्रैफिक डेटा" और "कोई अन्य डेटा" एकत्र करने की अनुमति देता हैजिसमें संभवतः मैसेज की सामग्री भी शामिल है। 
  • डेटा रखने के समय पर कोई परिसीमा नहींजिससे इसे सदैव के लिये स्टोर किया जा सकता है। 
  • विधि प्रवर्तन में लगी किसी भी केंद्रीय सरकारी एजेंसी के साथ डेटा साझा करने की अनुमतिजिससे दुरुपयोग की चिंताएँ बढ़ गईं। 
  • समीक्षा तंत्र में न्यायपालिका या नागरिक समाज की स्वतंत्र निगरानी का अभाव हैजिसमें केवल कार्यपालिका सदस्य ही शामिल होते हैं। 

वैश्विक संदर्भ क्या है? 

  • ऐसा माना जा रहा है कि भारत वैश्विक मैसेजिंग ऐप्स के लिये निरंतर सिम लिंकेज को अनिवार्य करने वाला पहला देश है। 
  • रूस जैसे कुछ देशों में सरकारी मैसेजिंग खातों को फोन नंबरों से जोड़ने की आवश्यकता होती हैलेकिन कोई भी देश भौतिक सिम कार्ड से जुड़े सतत सत्यापन की मांग नहीं करता है। 
  • यह उपाय व्यापारिक यात्रियोंविदेश में छात्रोंअनिवासी भारतीयों और अंतर्राष्ट्रीय दूरस्थ श्रमिकों के लिये विदेश में उपयोग को काफी जटिल बना सकता है। 

निष्कर्ष 

दूरसंचार विभाग का सिम बाइंडिंग निदेश साइबर सुरक्षा विनियमन के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है। सरकार का तर्क—कि ₹22,800 करोड़ के वार्षिक साइबर कपट के नुकसान से निपटने के लिये डिजिटल पहचान को KYC-सत्यापित सिम से जोड़ना—सिद्धांत रूप में काफी मज़बूत है। 

तथापिविनियामक अधिकारितालोक परामर्श का अभावकार्यान्वयन की कड़ी समयसीमातथा चयनात्मक प्लेटफार्म अनुप्रयोग के बारे में वैध चिंताएँ नीति-निर्माण प्रक्रिया में संभावित अंतराल को उजागर करती हैं। 

जैसे-जैसे भारत स्वयं को एक वैश्विक डिजिटल नेता के रूप में स्थापित कर रहा हैयह निदेश इस बात का परीक्षण करेगा कि विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र साइबर सुरक्षा नियमों को कैसे लागू करता है। सफलता केवल तकनीकी कार्यान्वयन पर ही नहींअपितु सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने पर भी निर्भर करती हैसाथ ही उस खुलेपन और सुगमता को भी बनाए रखना होगा जिसने डिजिटल संसूचना को आधुनिक भारतीय जीवन के लिये अपरिहार्य बना दिया है।