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आपराधिक कानून

जावेद अहमद हजाम बनाम महाराष्ट्र राज्य (2024)

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 10-Nov-2025

परिचय 

यह मामला अनुच्छेद 19(1)(क) के अधीन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं और भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 153-क के दायरे की जांच करता हैजो समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने से संबंधित है। यह निर्णय सरकारी निर्णयों के विरुद्ध असहमति के सांविधानिक अधिकार पर बल देता है औरन्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान द्वारा सुनाया गया।

तथ्य 

  • कोल्हापुर के संजय घोड़ावत कॉलेज के प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153-क के अधीन आरोप लगाया गया। 
  • 13-15 अगस्त, 2022 के बीचउन्होंने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर पोस्ट किया: 
    • "5 अगस्त - काला दिवस जम्मू और कश्मीर" 
    • "14 अगस्त - पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं" 
    • "अनुच्छेद 370 हटा दिया गयाहम खुश नहीं हैं" 
  • कोल्हापुर के हातकणंगले पुलिस थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई। 
  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने प्रथम सूचना रिपोर्ट रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी। 
  • अपीलकर्त्ता ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। 

सम्मिलित विवाद्यक 

  • क्या ये कथन भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153-क के अंतर्गत अपराध है? 
  • सरकारी निर्णयों के विरुद्ध असहमति व्यक्त करने में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा क्या है? 

न्यायालय की टिप्पणियाँ 

विधिक ढाँचा: 

  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153-क केअधीन धर्ममूलवंशभाषा इत्यादि के आधार पर समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने केआशय की आवश्यकता होती है। 
  • न्यायालय ने " विवेकशील व्यक्ति" कसौटी लागू कीशब्दों का मूल्यांकन विवेकशीलदृढ़-चित्त लोगों पर उनके प्रभाव के आधार पर किया जाना चाहियेन कि कमज़ोर दिमाग वाले लोगों पर 
  • पूर्व निर्णय उद्धृत:मंजर सईद खान बनाम महाराष्ट्र राज्य (2007)औरपेट्रीसिया मुखिम बनाम मेघालय राज्य (2021) 

कथनों का विश्लेषण: 

"काला दिवस" ​​और अनुच्छेद 370 पर: 

  • कथनों में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की आलोचना की गई है - जो अनुच्छेद 19(1)(क) के अधीन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का वैध प्रयोग है। 
  • वे किसी धर्ममूलवंश या समुदाय का उल्लेख नहीं करते। 
  • 5 अगस्त को "काला दिवस" ​​कहना विरोध और पीड़ा की अभिव्यक्ति है। 
  • प्रत्येक नागरिक को राज्य के कार्यों की आलोचना करने का अधिकार है। यदि हर आलोचना को अपराध माना जाएगातो लोकतंत्र जीवित नहीं रह पाएगा। 

पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएँ: 

  • नागरिकों को दूसरे देशों के स्वतंत्रता दिवस पर उनके प्रति सद्भावना व्यक्त करने का अधिकार है। 
  • इस तरह के कदम धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य उत्पन्न नहीं कर सकते। 
  • केवल धार्मिक पहचान के आधार पर उद्देश्यों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। 

प्रमुख सिद्धांत 

  • वैध तरीके सेअसहमति का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(क) और अनुच्छेद 21 (गरिमापूर्ण जीवन) का अभिन्न अंग है। 
  • इसका परीक्षण बड़ी संख्या में विवेकशील लोगों पर पड़ने वाले सामान्य प्रभाव से हैन कि कुछ कमज़ोर दिमाग वाले व्यक्तियों पर। 
  • पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रताऔर लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में शिक्षित कियाजाना चाहिये । 
  • अभियोजन जारी रखनाविधि की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोगथा । 

निष्कर्ष 

  • उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के निर्णय को अपास्त कर दिया औरप्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) को रद्द कर दिया। 
  • सभी कार्यवाही समाप्त कर दी गई। 
  • न्यायालय ने पुनः पुष्टि की किअनुच्छेद 370 को निरस्त करने सहित सरकार के कार्यों की आलोचना सांविधानिक रूप से संरक्षित भाषण है और यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153-क के अधीन वैमनस्य को बढ़ावा देने के अंतर्गत नहीं आता है।