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बौद्धिक संपदा अधिकार

भारत में भौगोलिक उपदर्शन और भौगोलिक उपदर्शन संबधी विधि

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 23-Dec-2025

परिचय 

भौगोलिक उपदर्शन बौद्धिक संपदा संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण रूप है जो उत्पादों को उनके मूल स्थान से जोड़ता है। ये विशिष्ट क्षेत्रों में पारंपरिक ज्ञान की रक्षासांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करते है।  

  • भौगोलिक उपदर्शन प्रणाली यह मानती है कि कुछ उत्पादों के अनूठे गुण उस भौगोलिक स्थान से प्राप्त होते हैं जहाँ उनका उत्पादन होता हैऔर उन क्षेत्रों के उत्पादकों के भौगोलिक नाम का उपयोग करने के अधिकार की रक्षा करते है। 

भौगोलिक उपदर्शन 

  • भौगोलिक उपदर्शन (GI) बौद्धिक संपदा के संरक्षण का एक रूप है 
  • यह एक ऐसा पदनाम है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न उत्पादों पर लागू होता हैयह दर्शाता है कि उत्पादों की गुणवत्ता या प्रतिष्ठा स्वाभाविक रूप से उस विशेष मूल से जुड़ी हुई है। 
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) करार के अनुच्छेद 22(1) में भौगोलिक उपदर्शन (GI) को ऐसे संकेतों के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी वस्तु को किसी सदस्य के क्षेत्रया उस क्षेत्र में किसी क्षेत्र या स्थान में उत्पन्न होने के रूप में पहचानते हैंजहाँ वस्तु की दी गई गुणवत्ताप्रतिष्ठा या अन्य विशेषता अनिवार्य रूप से उसके भौगोलिक मूल के कारण होती है। 
  • भौगोलिक उपदर्शन (GI) कृषि उत्पादोंप्राकृतिक उत्पादों और हस्तशिल्प सहित निर्मित वस्तुओं पर लागू होता है जो मानव कौशलसामग्री और कुछ क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों पर आधारित होते हैं जो उत्पाद को अद्वितीय बनाते हैं। 

भौगोलिक उपदर्शन की श्रेणियाँ 

यूरोपीय संघ के कई देशों मेंभौगोलिक उपदर्शन को दो बुनियादी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: 

  • संरक्षित भौगोलिक उपदर्शन (PGI):वह क्षेत्र जहाँ उत्पादनप्रसंस्करण या तैयारी का कम से कम एक चरण उस क्षेत्र में होता है। 
  • संरक्षित मूल पदनाम (PDO):जहाँ उत्पादनप्रसंस्करण और तैयारी के सभी चरण विशिष्ट क्षेत्र में ही होने चाहिये 

भारत अपने विधिक ढाँचे के अधीन केवल संरक्षित भौगोलिक उपदर्शन (PGI) श्रेणी को ही मान्यता देता है। 

भौगोलिक उपदर्शन (GI) रजिस्ट्रीकरण के लिये पात्रता 

भारत में भौगोलिक उपदर्शन (GI) रजिस्ट्रीकरण के लिये किसी उत्पाद को पात्र होने के लिये कुछ आवश्यक मानदंडों को पूरा करना होगा: 

  • भौगोलिक उत्पत्ति:माल की उत्पत्ति एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रप्रदेश या जगह से होनी चाहिये 
  • गुणवत्ताप्रतिष्ठा या विशेषता:उत्पाद में एक निश्चित गुणवत्ताप्रतिष्ठा या अन्य विशेषता होनी चाहिये जो मूल रूप से उसके भौगोलिक मूल से संबंधित हो। 
  • विशिष्टता:उत्पाद में ऐसे अनूठे गुण होने चाहिये जो इसे अन्यत्र उत्पादित समान उत्पादों से अलग करते हों। 

जिन उत्पादों को भौगोलिक उपदर्शन (GI) के रूप में रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जा सकता हैउनमें वे उत्पाद सम्मिलित हैं जिनका उपयोग धोखा देने या भ्रम उत्पन्न करने की संभावना रखता हैजो विधि के प्रतिकूल हैंजिनमें अपमानजनक या अश्लील सामग्री सम्मिलित हैसामान्य नामऐसे संकेत जो अपने मूल देश में संरक्षित नहीं रह गए हैंऔर मिथ्या भौगोलिक प्रतिनिधित्व। 

भौगोलिक उपदर्शन (GI) रजिस्ट्रीकरण के लिये कौन आवेदन कर सकता है? 

  • संबंधित वस्तुओं के उत्पादकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई भी व्यक्ति या उत्पादक संघया किसी भी विधि द्वारा स्थापित कोई भी संगठन या प्राधिकरणजो उस समय लागू होभौगोलिक उपदर्शन (GI) रजिस्ट्रीकरण के लिये आवेदन कर सकता है। 
  • जिस आवेदक का नाम भौगोलिक उपदर्शन रजिस्टर में दर्ज होता हैवह उस भौगोलिक उपदर्शन का रजिस्ट्रीकृत स्वामी बन जाता है। 

अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं के अधिकार 

  • एक अधिकृत उपयोगकर्त्ता को रजिस्ट्रीकृत भौगोलिक उपदर्शन का उपयोग उन माल के संबंध में करने का अनन्य अधिकार है जिनके लिये यह रजिस्ट्रीकृत है। 
  • अधिकृत उपयोगकर्त्ता सामान्यत: उस भौगोलिक क्षेत्र के उत्पादक होते हैं जिन्हें रजिस्ट्रीकृत स्वामी द्वारा अपने उत्पादों पर भौगोलिक उपदर्शन (GI) टैग का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है। 

भौगोलिक उपदर्शन (GI) संरक्षण की अवधि 

  • भौगोलिक उपदर्शन (GI) का रजिस्ट्रीकरण, रजिस्ट्रीकरण की तारीख से दस वर्ष की अवधि के लिये वैध होगा। 
  • विहित नवीकरण फीस का संदाय करके रजिस्ट्रीकरण को समय-समय पर दस-दस वर्षों की अतिरिक्त अवधियों के लियेअसीमित अवधि तक नवीनीकृत किया जा सकता है। 
  • यह नवीकरणीय संरक्षण पारंपरिक उत्पादों और क्षेत्रीय विरासत के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करता है। 

माल का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 

  • भारत में भौगोलिक उपदर्शन प्रणाली को नियंत्रित करने वाली प्रमुख विधि माल का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 है। 
  • यह अधिनियम 15 सितंबर, 2003 को लागू हुआ और इसका उद्देश्य भारत में माल से संबंधित भौगोलिक उपदर्शन के रजिस्ट्रीकरण और बेहतर संरक्षण के लिये प्रावधान करना है। 
  • यह अधिनियम TRIPS करार के अधीन भारत के दायित्त्वों को पूरा करने और भौगोलिक महत्त्व वाले उत्पादों के संरक्षण के लिये एक विधिक ढाँचा प्रदान करने के लिये बनाया गया था। 

अंतर्राष्ट्रीय ढाँचा  

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) में बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधी पहलुओं पर करार (TRIPS) के अधीन भौगोलिक उपदर्शन (GI) को नियंत्रित किया जाता है।  
  • औद्योगिक संपत्ति संरक्षण के लिये पेरिस अभिसमय अनुच्छेद 1(2) और 10 में औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक उपदर्शन के संरक्षण पर बल देता है। 
  • ये अंतर्राष्ट्रीय करार यह सुनिश्चित करते हैं कि सदस्य देशों में भौगोलिक पहचान चिह्नों को मान्यता दी जाए और उनकी रक्षा की जाएजिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाया जा सके और दुरुपयोग को रोका जा सके।