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अंतर्राष्ट्रीय कानून

गुप्तचरी

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 31-Oct-2023

स्रोत: द हिंदू

परिचय

हाल ही में कतर के न्यायालय ने गुप्तचरी के आरोप में 8 भारतीय नौसेना कर्मियों को फाँसी की सज़ा सुनाई। उन पर इज़राइल की ओर से पनडुब्बी कार्यक्रम की गुप्तचरी करने का आरोप है। कर्मियों को अगस्त 2022 में दोहा में हिरासत में लिया गया था। यह निर्णय विदेश मंत्रालय के लिये अचानक सामने आया और इसने भारत सरकार के राजनयिक कौशल को लागू करने की भी मांग की है।

गुप्तचरी क्या है?

  • गुप्तचरी (Espionage) से तात्पर्य विशेष रूप से राजनीतिक, सैन्य या आर्थिक उद्देश्यों के लिये जानकारी एकत्रित करने हेतु गुप्तचरी करने या गुप्त साधनों का उपयोग करने से है।
  • गुप्तचरी में शामिल व्यक्तियों को गुप्तचर कहा जाता है।
  • गुप्तचरी के माध्यम से प्राप्त जानकारी में सरकारी रहस्य, सैन्य योजनाएँ, आर्थिक डेटा तथा अन्य वर्गीकृत या संवेदनशील जानकारी शामिल हो सकती हैं।
  • राष्ट्र आमतौर पर अपने हितों की रक्षा के लिये वैध गुप्तचरी गतिविधियों को पूरा करने हेतु खुफिया एजेंसियों को बनाए रखते हैं।

सार्वजनिक अंतर्राष्ट्रीय विधि में गुप्तचरी की क्या स्थिति है?

  • परंपरागत रूप से, अंतर्राष्ट्रीय विधि राज्यों की संप्रभुता का सम्मान करने की नींव पर बनाया गया है।
  • हालाँकि, गुप्तचरी इस सिद्धांत को चुनौती देती है क्योंकि इसमें किसी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता और कभी-कभी उसके घरेलू कानूनों का उल्लंघन शामिल होता है।.
  • राज्यों का तर्क है कि इस तरह की कार्रवाइयाँ उनके आत्मनिर्णय के अधिकार और उनके राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा का उल्लंघन करती हैं।
  • गुप्तचरी में सीमा पार करना और अन्य राज्यों के आंतरिक मामलों में घुसपैठ करना, गोपनीयता की आवश्यकता तथा राज्य की संप्रभुता के सम्मान के बीच तनाव उत्पन्न करना शामिल है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2(4) में गैर-हस्तक्षेप का सिद्धांत कहा गया है,"सभी सदस्यों को अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में किसी भी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के विरुद्ध या संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों के साथ असंगत किसी अन्य तरीके से धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिये"।

सार्वजनिक अंतर्राष्ट्रीय विधि में गुप्तचरी की क्या चुनौतियाँ हैं?  

  • वैश्विक स्तर पर गुप्तचरी को नियंत्रित करने वाली एक व्यापक संधि की अनुपस्थिति एक कानूनी खालीपन छोड़ देती है जिसे राज्यों ने पारंपरिक अंतर्राष्ट्रीय विधि और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से पार कर किया है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर, राज्यों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांत पर ज़ोर देते हुए, गुप्तचरी को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं करता है।
  • गुप्तचरी को विनियमित करने में एक प्राथमिक चुनौती उस गोपनीयता में निहित है जो इन गतिविधियों को कवर करती है।.
  • गुप्तचरी अक्सर गुप्त रूप से होती है, जिससे ठोस सबूत एकत्रित करना और राज्यों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराना कठिन हो जाता है।

राज्य गुप्तचरी से कैसे निपटते हैं?  

  • चूँकि गुप्तचरी पर विशेष रूप से कोई व्यापक संधि नहीं है, इसलिये राज्य अक्सर द्विपक्षीय समझौतों का सहारा लेते हैं।
  • गुप्त रूप से बातचीत किये गए ये समझौते, खुफिया एजेंसियों के बीच जुड़ाव के नियमों की रूपरेखा तैयार करते हैं और इनका उद्देश्य राज्यों के बीच अनावश्यक घर्षण को रोकना है।

दोषी व्यक्तियों का स्थानांतरण समझौता क्या है?  

  • वर्ष 2015 में, भारत ने कतर के विदेश मंत्री के साथ "दोषी व्यक्तियों के स्थानांतरण" के लिये एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • इस समझौते के अनुसार, भारत के जिन व्यक्तियों को कतर में दोषी ठहराया गया है, उन्हें उनकी शेष सज़ा पूरी के लिये स्वदेश वापस भेजा जा सकता है, जबकि भारत में दोषी ठहराए गए कतर के नागरिकों को भी उनकी सज़ा पूरी करने के लिये उनके देश वापस भेजा जा सकता है।
  • यह व्यवस्था दोषी व्यक्तियों को उनके परिवारों से निकटता की सुविधा प्रदान करती है और उनकी सामाजिक पुनर्वास प्रक्रिया में योगदान करती है।
  • यदि भारत सरकार कतर सरकार के साथ बातचीत करके या न्यायालय के समक्ष साबित करके नौसेना कर्मियों की फाँसी की सज़ा को कम करने में सफल हो जाती है, तो वह इस समझौते को लागू कर सकती है और उन्हें देश में वापस ला सकती है।

आगे की राह

अंतर्राष्ट्रीय विधि के संदर्भ में गुप्तचरी से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिये, निरंतर राजनयिक प्रयासों, व्यापक वैश्विक समझौतों के विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं तथा राज्य संप्रभुता के सिद्धांतों के बीच एक नाज़ुक संतुलन की आवश्यकता है।