इस दिवाली, पाएँ सभी ऑनलाइन कोर्सेज़ और टेस्ट सीरीज़ पर 50% तक की छूट। ऑफर केवल 14 से 18 अक्तूबर तक वैध।










होम / करेंट अफेयर्स

सांविधानिक विधि

धर्म का पालन करने का अधिकार

    «
 13-Oct-2025

मोहम्मद तैय्यब बनाम मध्य प्रदेश राज्य   

"हमारा सुविचारित मत है कि रिट न्यायालय ने रिट याचिका को खारिज करके सही किया है। याचिकाकर्त्ताओं का मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है। हमें रिट न्यायालय द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं दिखता।" 

न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी 

स्रोत: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही मेंन्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने उज्जैन की तकिया मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग वाली एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अनुच्छेद 25 के अधीन धार्मिक आचरण का अधिकार किसी विशिष्ट स्थान से बंधा नहीं है। 1978 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक निर्णय का हवाला देते हुएन्यायालय ने कहा कि मस्जिद वाली भूमि का अधिग्रहण धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है। 

  • मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय नेमोहम्मद तैय्यब बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2025)मामले में यह निर्णय दिया 

मोहम्मद तैय्यब बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी ? 

  • अपीलकर्त्तामोहम्मद तैय्यब और अन्यउज्जैन के स्थानीय निवासी हैंजो नियमित रूप से राजस्व मंडल-3, तहसील उज्जैन के सर्वेक्षण क्रमांक 2324-2329 पर स्थित तकिया मस्जिद में नमाज अदा करते थे। 
  • मस्जिद कीस्थापना लगभग 200 वर्ष पहले हुईथी और इसे 13 दिसंबर, 1985 की आधिकारिक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था। 
  • राज्य सरकार ने उज्जैन में महाकाल लोक परिषद के पार्किंग स्थल के विस्तार के लिये भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू कर दी है। 
  • राज्य ने एक निर्णय पारित कियाअतिक्रमणकारी बताए गए व्यक्तियों को प्रतिकर वितरित किया और 11 जनवरी, 2025 को मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। 
  • अपीलकर्त्ताओं ने रिट याचिका संख्या 1515/2025 दायर कर मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिये निदेश देने और उत्तरदायी सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध जांच शुरू करने की मांग की। 
  • राज्य ने तर्क दिया कि भूमि अधिग्रहण विधि सम्मत प्रक्रिया के तहत किया गया था तथा सभी संपत्तियां राज्य सरकार के पास थीं। 
  • राज्य ने आगे तर्क दिया कि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली प्रभावित व्यक्तियों द्वारा दायर कई रिट याचिकाएँ न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई थीं। 
  • मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 83(2) के अधीन मध्य प्रदेश राज्य वक्फ अधिकरण के समक्ष एक सिविल वाद दायर किया थाजिसमें मालिकाना हक और प्रतिकर प्राप्त करने के अधिकार का दावा किया गया था। 
  • एकल न्यायाधीश ने सितंबर, 2025 के आदेश के अधीन रिट याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि अधिग्रहण की कार्यवाही अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। 
  • अपीलकर्ताओं ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती देते हुए रिट अपील संख्या 2782/2025 दायर की। 
  • अपीलकर्त्ताओं ने गुरुवायूर देवस्वोम प्रबंध समिति मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए तर्क दिया कि भक्त होने के नाते उन्हें पुनर्निर्माण की मांग करने का अधिकार है। 
  • अपीलकर्त्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य की कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के अधीन प्रदत्त उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। 
  • अपीलकर्त्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि एक बार जब संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता हैतो वह सदैव के लिये वक्फ संपत्ति ही रहती है और इसलिये इसे सदोष तरीके से अर्जित किया गया है। 
  • राज्य ने मोहम्मद अली खान मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए तर्क दिया कि अपीलकर्त्ताओं के पास याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। 

न्यायालय की टिप्पणियां क्या थीं? 

  • न्यायालय ने कहा कि मस्जिद और भूमि का अधिग्रहण विधि सम्मत प्रक्रिया के अधीन किया गया था तथा भूमि पर कब्जा रखने वाले अनेक व्यक्तियों को प्रतिकर वितरित किया गया था। 
  • न्यायालय ने कहा कि यद्यपि अपीलकर्त्ता अधिग्रहण कार्यवाही को चुनौती दे रहे थेलेकिन वेअनुतोष खण्ड में इसे रद्द करने की मांग नहीं कर रहे थे। 
  • न्यायालय ने कहा कि अधिग्रहण कार्यवाही और पंचाट को रद्द करने के लिये अनुतोष मांगे बिनापुनर्स्थापन और परिणामी निर्माण का अनुतोष प्रदान नहीं की जा सकता 
  • न्यायालय ने धर्म के पालन के अधिकार के संबंध में मोहम्मद अली खान मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय से पूर्ण सहमति व्यक्त की। 
  • न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 25 के अधीन प्रत्याभूत धर्म का पालनआचरण और प्रचार एक व्यक्तिगत अधिकार है जिसका किसी विशेष स्थान या क्षेत्र से कोई संबंध नहीं है। 
  • न्यायालय ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी मस्जिद मेंअपने घर में या अन्यत्र नमाज अदा कर सकता हैतथा वह किसी विशेष स्थान तक सीमित नहीं है। 
  • न्यायालय ने कहा कि जिस भूमि पर मस्जिद हैउसका अधिग्रहण किसी व्यक्ति को उसके धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने के अधिकार से वंचित करने के रूप में नहीं माना जा सकता। 
  • न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 25 अनुच्छेद 31 के अधीन हैतथा अनुच्छेद 25 के अधीन प्रत्याभूत स्वतंत्रता राज्य के वैध रूप से संपत्ति अर्जित करने के अधिकार को नहीं छीन सकती। 
  • न्यायालय ने कहा कि धर्म का पालन करने के अधिकार में कहीं भी इसका पालन करने की स्वतंत्रता सम्मिलित हैन कि किसी विशेष स्थान पर इसका पालन करने की स्वतंत्रता। 
  • न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्त्ताओं को मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है। 
  • न्यायालय को रिट याचिका को खारिज करने वाले एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला। 
  • न्यायालय ने लागत के संबंध में कोई आदेश दिये बिना रिट अपील को खारिज कर दिया। 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के अधीन प्रदत्त अंतःकरण और धार्मिक स्वतंत्रता का दायरा और महत्त्व क्या है? 

  • भारत के संविधान के भाग में मौलिक अधिकार सम्मिलित हैंऔर अनुच्छेद 25 के अधीन प्रत्याभूत स्वतंत्रता भाग में निहित अन्य प्रावधानों के अधीन है। 
  • अनुच्छेद 25 - अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता।  
  • खण्ड (1) - सामान्य अधिकार: 
    • अनुच्छेद 25(1) सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से माननेआचरण और प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता को प्रत्याभूत करता है 
    • अनुच्छेद 25(1) के अधीन स्वतंत्रता लोक व्यवस्थानैतिकतास्वास्थ्य और संविधान के भाग के अन्य उपबंधों के अधीन है। 
    • अनुच्छेद 25(1) के अधीन प्रत्याभूत अधिकार सभी व्यक्तियों को उनकी धार्मिक संबद्धता के होते हुए भी समान अधिकार सुनिश्चित करता है। 
  • खण्ड (2) - विनियमन करने की राज्य की शक्ति: 
    • अनुच्छेद 25(2) राज्य को धार्मिक आचरण से जुड़ी किसी भी आर्थिकवित्तीयराजनीतिक या अन्य पंथनिरपेक्ष गतिविधि को विनियमित या प्रतिबंधित करने के लिये विधि बनाने का अधिकार देता है। 
    • अनुच्छेद 25(2) राज्य को सामाजिक कल्याण और सुधार के लिये और लोक स्वरूप की हिंदू धार्मिक संस्थाओं को हिंदुओं के सभी वर्गों और अनुभागों के लिये खोलने हेतु विधि बनाने की अनुमति देता है। 
    • अनुच्छेद 25 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी विद्यमान विधि के संचालन को प्रभावित करे या राज्य को नियामक विधि बनाने से रोके। 
  • स्पष्टीकरण: 
    • स्पष्टीकरण में यह उपबंधित किया गया है कि कृपाण धारण करना और लेकर चलना सिख धर्म के मानने का अंग समझा जाएगा। 
    • स्पष्टीकरण में यह उपबंधित है कि हिंदुओं और हिंदू धार्मिक संस्थाओं के संदर्भ में सिखजैन या बौद्ध धर्म को मानने वाले व्यक्ति और उनकी संबंधित धार्मिक संस्थाएँ सम्मिलित होंगी। 
  • निर्वचनात्मक सिद्धांत: 
    • धर्म को मानने की स्वतंत्रता का अर्थ है अपनी धार्मिक मान्यताओं और विश्वास को खुले तौर पर और स्वतंत्र रूप से घोषित करने का अधिकार। 
    • धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता में अपने धार्मिक विश्वासों के अनुसार कार्य करने और धार्मिक अनुष्ठान करने का अधिकार सम्मिलित है। 
    • धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता में अपने धार्मिक विश्वासों को दूसरों तक संप्रेषित करने और फैलाने का अधिकार भी सम्मिलित है। 
    • अनुच्छेद 25 व्यक्तियों को अनुच्छेद 26 के अधीन सामूहिक या संस्थागत अधिकारों से भिन्न व्यक्तिगत अधिकार प्रदान करता है। 
    • अनुच्छेद 25 के अधीन स्वतंत्रता एक व्यक्तिगत अधिकार है जिसका किसी विशेष स्थान या क्षेत्र से कोई आवश्यक संबंध नहीं है जहाँ इसका प्रयोग किया जाता है।