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सांविधानिक विधि
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एन.सी.आर. में पटाखों पर प्रतिबंध में ढील दी
«16-Oct-2025
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
परिचय
भारत के उच्चतम न्यायालय ने दिवाली 2025 के लिये दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध में अस्थायी रूप से ढील देकर एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया है। 15 अक्टूबर, 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने परीक्षण के आधार पर सरकार द्वारा अनुमोदित "हरित पटाखों" के विक्रय और उपयोग की अनुमति दे दी। यह आदेश त्योहारों की परंपराओं, पटाखा उद्योग के श्रमिकों की आजीविका और क्षेत्र में वायु प्रदूषण से उत्पन्न गंभीर जन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है।
दिल्ली-एन.सी.आर. में पटाखों पर प्रतिबंध के पीछे क्या पृष्ठभूमि थी?
- दिल्ली में पटाखों को लेकर विधिक लड़ाई 2015 में शुरू हुई, जब तीन शिशुओं ने अपने माता-पिता के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर हानिकारक वायु प्रदूषण के प्रभावों से सुरक्षा की मांग की।
- 2018 में, उच्चतम न्यायालय ने पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया और दिवाली के दौरान उन्हें फोड़ने के लिये दो घंटे की समय सीमा के साथ "ग्रीन क्रैकर्स" की अवधारणा पेश की।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 2020 में दिवाली के दौरान एन.सी.आर. में पटाखों के विक्रय और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
- तब से दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने हर वर्ष के आखिरी कुछ महीनों के लिये पूर्ण प्रतिबंध जारी करना शुरू कर दिया।
- अप्रैल 2025 में, उच्चतम न्यायालय ने इस प्रतिबंध को एन.सी.आर. क्षेत्र में पूरे वर्ष के लिये बढ़ा दिया।
- इन प्रतिबंधों के होते हुए भी, इनका क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण बना रहा और वायु गुणवत्ता के आंकड़ों से पता चला कि दिवाली पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 2016 से निरंतर "बहुत खराब" या "गंभीर" श्रेणी में रहा।
न्यायालय की टिप्पणियां क्या हैं?
- न्यायालय ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध से वास्तव में पटाखों का उपयोग बंद नहीं हुआ, अपितु इसके बजाय एन.सी.आर. में पारंपरिक, अत्यधिक प्रदूषणकारी पटाखों की तस्करी को बढ़ावा मिला।
- पीठ ने कहा कि 2018 (जब हरित पटाखों की अनुमति थी) और 2024 (जब पूर्ण प्रतिबंध था) के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्तर में कोई खास अंतर नहीं था।
- न्यायालय ने माना कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों ने प्रतिबंध में सशर्त छूट का समर्थन किया है।
- पीठ ने पटाखा उद्योग और उसके श्रमिकों, विशेषकर समाज के हाशिए पर स्थित वर्गों के श्रमिकों के समक्ष आ रही आर्थिक कठिनाई को स्वीकार किया।
- न्यायालय ने एक "संतुलित दृष्टिकोण" की आवश्यकता पर बल दिया जो पर्यावरणीय चिंताओं से समझौता किए बिना परस्पर विरोधी हितों पर विचार करे।
- पीठ ने हरियाणा और राजस्थान की चिंताओं पर ध्यान दिया, जहाँ कई जिले एन.सी.आर. में आते हैं और प्रतिबंध से प्रभावित हैं।
ग्रीन पटाखे क्या हैं?
- ग्रीन पटाखे प्रदूषण मुक्त नहीं हैं, परंतु पारंपरिक पटाखों की तुलना में इनका पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है।
- इन्हें वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा विकसित किया गया है।
- इन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, आर्सेनिक, लिथियम और पारा जैसे हानिकारक रसायन नहीं होते हैं।
- वे जल वाष्प या धूल अवरोधक पदार्थ छोड़ते हैं जो जलने के दौरान उत्पन्न होने वाले कणीय पदार्थों को रोक लेते हैं।
- ग्रीन पटाखे PM2.5 उत्सर्जन को कम से कम 30 प्रतिशत तक कम करते हैं और कण उत्सर्जन को 30-80 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं।
- इनमें शोर की तीव्रता कम होती है, जो 120 डेसिबल तक सीमित होती है।
- निर्माताओं को पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) से लाइसेंस तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) - और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) से प्रमाणन प्राप्त करना होगा।
- प्रामाणिक ग्रीन पटाखों की पहचान पैकेजिंग पर लगे हरे लोगो और क्यूआर कोड से की जा सकती है।
प्रतिबंध से छूट क्यों?
- न्यायालय ने तर्क दिया कि कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन पटाखों के विनियमित उपयोग की अनुमति देना, अप्रवर्तनीय पूर्ण प्रतिबंध की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकता है।
- राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा ग्रीन पटाखों के विकास ने पूर्ण प्रतिबंध और अप्रतिबंधित उपयोग के बीच एक व्यवहार्य मध्य मार्ग प्रस्तुत किया।
- पूर्ण प्रतिबंध के परिणामस्वरूप तस्करी और अधिक हानिकारक पारंपरिक पटाखों का उपयोग बढ़ गया।
- केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने मानदंडों के कठोर अनुपालन का आश्वासन दिया और छूट का समर्थन किया।
- न्यायालय मौलिक "जीवन के अधिकार" (स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार सहित) को "पेशा जारी रखने के अधिकार" के साथ संतुलित करना चाहता था।
- इस निर्णय में दिवाली समारोह से संबंधित त्यौहारी परंपराओं और सांस्कृतिक प्रथाओं पर विचार किया गया।
न्यायालय द्वारा क्या निदेश जारी किये गये?
- एन.सी.आर. में केवल राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI)-अनुमोदित ग्रीन पटाखे ही बेचे और प्रयोग किये जा सकेंगे।
- जिला कलेक्टरों और पुलिस द्वारा चिन्हित निर्दिष्ट स्थानों के माध्यम से केवल 18-20 अक्टूबर, 2025 तक विक्रय की अनुमति होगी।
- पटाखों का उपयोग दो विशिष्ट समयावधियों तक सीमित रहेगा: दिवाली से एक दिन पहले और दिवाली के दिन सुबह 6-7 बजे तथा रात्रि 8-10 बजे तक।
- बेरियम लवण या प्रतिबंधित रसायनों वाले पटाखों पर कठोर प्रतिबंध है।
- ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- संयुक्त पटाखों (लारिस या श्रृंखला पटाखे) की अनुमति नहीं है।
- पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी विक्रय स्थलों की निगरानी और प्रामाणिकता की पुष्टि के लिये गश्ती दल गठित करेंगे।
- उल्लंघनकर्त्ताओं को लाइसेंस रद्द करने सहित दण्ड का सामना करना पड़ेगा।
- क्षेत्र के बाहर से कोई भी पटाखे एन.सी.आर. में नहीं लाए जा सकेंगे।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 14-25 अक्टूबर, 2025 तक वायु गुणवत्ता की निगरानी करनी होगी और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ (2018)
- अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ मामले में 2018 का निर्णय ऐतिहासिक मामला था, जिसने पहली बार ग्रीन पटाखों की अवधारणा को पेश किया।
- इस निर्णय में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के विरुद्ध निर्णय दिया गया, तथा लाइसेंसधारी व्यापारियों के माध्यम से केवल कम प्रदूषणकारी ग्रीन पटाखों की अनुमति दी गई।
- अर्जुन गोपाल मामले में दिये गए निर्णय में पटाखे फोड़ने के लिये विशिष्ट समय निर्धारित किया गया था: दिवाली और अन्य धार्मिक त्योहारों पर रात 8 से 10 बजे तक, तथा क्रिसमस और नए वर्ष की पूर्व संध्या पर रात 11:45 से 12:45 बजे तक।
- उच्चतम न्यायालय का वर्तमान आदेश अनिवार्यतः अर्जुन गोपाल मामले में अपनाए गए दृष्टिकोण को एक अस्थायी उपाय के रूप में अपनाता है।
- मुख्य न्यायाधीश ने संकेत दिया कि यदि वर्तमान छूट से वायु गुणवत्ता में महत्त्वपूर्ण गिरावट आती है तो वे इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिये तैयार हैं।
निष्कर्ष
उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक आजीविका और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े एक जटिल मुद्दे में बीच का रास्ता निकालने का एक व्यावहारिक प्रयास है। कठोर नियमों के साथ परीक्षण के आधार पर ग्रीन पटाखों की अनुमति देकर, न्यायालय को उम्मीद है कि वायु गुणवत्ता पर वास्तविक प्रभाव की निगरानी करते हुए पूर्ण प्रतिबंध की तुलना में बेहतर अनुपालन सुनिश्चित किया जा सकेगा। इस प्रयोग की सफलता दिल्ली-एन.सी.आर. में भविष्य के पटाखों के नियमों को निर्धारित करेगी, जिससे आगामी दिवाली उत्सव और पर्यावरणीय उत्तरदायित्त्व के बीच संतुलन बनाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण परीक्षा बन जाएगी।