स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS) अधिनियम की धारा 67
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आपराधिक कानून

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS) अधिनियम की धारा 67

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 08-Mar-2024

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"NDPS अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य एजेंसियों के अधिकारी अनिवार्य रूप से पुलिस अधिकारी हैं, इसलिये उनके सामने इकबालिया बयान अस्वीकार्य हैं।"

उच्चतम न्यायालय

स्रोतः उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने तूफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य (2021) मामले के निर्णय के आधार पर स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS) की धारा 67 के तहत इकबालिया बयानों की अस्वीकार्यता के संबंध में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अधिकारियों को निर्देश दिया।

मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में, वर्ष 2021 में DHL एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के एक पार्सल से 5950 ट्रामाडोल टैबलेट की ज़ब्ती शामिल है।
  • पूछताछ के दौरान, सह-अभियुक्त ने अपीलकर्त्ता के नाम का खुलासा किया।
  • अपीलकर्त्ता ने यह दलील देते हुए अग्रिम ज़मानत की मांग की, कि उसके खिलाफ मामला पूरी तरह से सह-अभियुक्त के इकबालिया बयान पर आधारित है।
  • अपीलकर्त्ता या उसके परिसर से प्रतिबंधित सामग्री की कोई बरामदगी नहीं होने के बावजूद, उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया उसे पार्सल से जोड़ने के साक्ष्य का हवाला देते हुए उसकी याचिका खारिज़ कर दी।
    • उच्च न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्त्ता से हिरासत में पूछताछ आवश्यक थी।
  • अपील को बाद में 219 दिनों की देरी के साथ उच्चतम न्यायालय के समक्ष लाया गया, जिसे संतोषजनक ढंग से समझाया नहीं गया, जिसके परिणामस्वरूप अपील खारिज़ कर दी गई।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • इस मामले में उच्चतम न्यायालय का निर्देश धारा 67, NDPS अधिनियम की व्याख्या और आवेदन एवं तूफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य (2021) मामले में इसके पहले के निर्णय से संबंधित है।
  • तूफान सिंह मामले में, न्यायालय ने निर्णय दिया, कि NDPS अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज किये गए इकबालिया बयान NDPS अधिनियम के तहत अपराध के मुकदमे के रूप में अस्वीकार्य हैं।
  • न्यायालय ने तर्क दिया कि NDPS अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य एजेंसियों के अधिकारी अनिवार्य रूप से पुलिस अधिकारी हैं, इस प्रकार ऐसे इकबालिया बयान अस्वीकार्य हैं

तूफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य (2021) मामला:

  • तूफान सिंह निर्णय (2013):
    • इस मामले में भारत से श्रीलंका में हेरोइन निर्यात करने का प्रयास कर रहे आरोपी व्यक्तियों से 5.250 किलोग्राम हेरोइन की ज़ब्ती करना शामिल है।
    • खुफिया अधिकारी को तस्करी के बारे में सूचना मिली और उन्होंने अन्य अधिकारियों के साथ संदिग्ध स्थान पर छापेमारी की।
    • आरोपियों को पकड़ लिया गया और हेरोइन बरामद कर ली गई।
    • आरोपी ने NDPS अधिनियम की धारा 67 के तहत अपराध कबूल किया
    • सुनवाई के दौरान आरोपी के फरार होने के कारण मामला पृथक हो गया।
    • ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य और अपीलकर्त्ता  के कबूलनामे पर ज़ोर देते हुए आरोपी को दोषी ठहराया।
    • उच्चतम न्यायालय ने NDPS अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज किये गए इकबालिया बयान के साक्ष्य मूल्य को चुनौती देने वाली दलील पर गौर किया और आरोपी को ज़मानत पर रिहा कर दिया।
  • वर्ष 2021 में अपील:
    • अपीलकर्त्ता ने मुख्य रूप से NDPS अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज किये गए इकबालिया बयान के आधार पर अपनी सज़ा को चुनौती दी।
    • अपीलकर्त्ता ने ऐसी टिप्पणियों की स्वीकार्यता और साक्ष्य संबंधी मूल्य, विशेष रूप से भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (IEA) के अनुपालन के संबंध में चिंता व्यक्त की।
    • अपीलकर्त्ता ने कहा कि NDPS अधिनियम की धारा 67 की व्याख्या इकबालिया बयानों को रिकॉर्ड करने के स्थान पर सूचना मांगने की शक्ति के रूप में की जाती है, और इसके आवेदन को विषय के पक्ष में सख्ती से माना जाना चाहिये।
  • उच्चतम न्यायालय का निर्णय 2021:
    • न्यायालय ने पाया कि NDPS अधिनियम के तहत अपराध को रोकने और पता लगाने में उनके कर्त्तव्यों एवं ज़िम्मेदारियों को देखते हुए, NDPS अधिकारियों को दिये गए बयानों को पुलिस अधिकारियों के बयान के रूप में माना जा सकता है।
    • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 20(3) और अनुच्छेद 21 के तहत आत्म-दोषारोपण के खिलाफ अधिकार एवं निजता का अधिकार NDPS अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज किये गए बयानों पर लागू होता है।
    • यह भी माना गया कि NDPS अधिनियम के तहत अधिकारियों को साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के तहत 'पुलिस अधिकारी' माना जाना चाहिये, ताकि बयान दर्ज करने में बाध्यता को रोका जा सके।
      • ऐसे अधिकारियों के समक्ष दिये गए बयान संविधान के अनुच्छेद 20(3) और 21 के तहत मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिये सबूत के रूप में अस्वीकार्य हैं।

 NDPS अधिनियम की धारा 67 क्या है?

  • अवलोकन:
    • धारा 67 NDPS अधिनियम की धारा 42 में उल्लिखित अधिकारियों को NDPS अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित जाँच के दौरान जानकारी इकट्ठा करने का अधिकार देती है
  • प्रदत्त शक्तियाँ:
    • सूचना के की मांग:
      • अधिकृत अधिकारी यह निर्धारित करने के लिये किसी भी व्यक्ति से जानकारी का अनुरोध कर सकते हैं कि क्या NDPS अधिनियम के नियमों या आदेशों का उल्लंघन हुआ है।
    • दस्तावेज़ या वस्तुएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता:
      • अधिकारी व्यक्तियों को जाँच के लिये प्रासंगिक समझे जाने वाले किसी भी दस्तावेज़ या वस्तु को प्रस्तुत करने या वितरित करने के लिये बाध्य कर सकते हैं।
    • व्यक्तियों की जाँच:
      • अधिकारी किसी भी व्यक्ति से पूछताछ कर सकते हैं, जिसे जाँच के तहत मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के बारे में जानकारी है।

NDPS अधिनियम की धारा 42 के तहत अधिकारी कौन हैं और उनकी शक्तियाँ क्या हैं?

  • अधिकारी:
    • धारा 42 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के लिये सशक्त अधिकारियों में ये शामिल हैं:
      • केंद्रीय उत्पाद शुल्क, नशीले पदार्थ, सीमा शुल्क, राजस्व खुफिया विभाग, या कोई अन्य केंद्र सरकार विभाग।
      • राजस्व विभाग, औषधि नियंत्रण, उत्पाद शुल्क, पुलिस, या कोई अन्य राज्य सरकार विभाग।
    • ये अधिकारी रैंक में चपरासी, सिपाही या कांस्टेबल से वरिष्ठ होने चाहिये।
  • अधिकारियों को अधिकारिता:
    • वे सामान्य या विशेष आदेशों द्वारा सशक्त हैं:
      • केंद्र सरकार केंद्रीय विभागों के लिये अधिकारियों को सशक्त बनाती है।
      • राज्य सरकार राज्य विभागों के लिये अधिकारियों को सशक्त बनाती है।
  • उप-निरीक्षक पद से नीचे के अधिकारियों की शक्तियाँ:
    • दवा निर्माण के लिये लाइसेंस धारकों के मामले में उप-निरीक्षक के पद से नीचे के अधिकारी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकते हैं।
  • शक्तियों के प्रयोग के लिये आवश्यक तथ्य:
    • यदि अधिकारियों के पास विश्वास करने का आधार है, तो वे बिना वारंट या प्राधिकरण के कार्य कर सकते हैं:
      • NDPS अधिनियम के तहत दण्डनीय अपराध है।
      • स्वापक औषधियाँ, मनःप्रभावी पदार्थ, निषिद्ध पदार्थ, दस्तावेज़, वस्तुएँ, या अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को किसी भवन, वाहन या संलग्न स्थान पर रखा या छुपाया जाता है।
  • सम्मिलित शक्तियाँ :
    • इमारतों, वाहनों या स्थानों में प्रवेश करना और खोजना।
    • प्रतिरोध की स्थिति में अवरोध और बाधाओं को हटाना।
    • दवाओं, पदार्थों, सामग्रियों, लेखों, जानवरों, वाहनों, दस्तावेजों, या अन्य सबूतों को ज़ब्त करना।
    • NDPS अधिनियम के तहत अपराध करने वाले व्यक्तियों को हिरासत में लेना, तलाशी लेना और गिरफ्तार करना।
    • अधिकारी बिना किसी वारंट के सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की अवधि में भी प्रवेश कर सकते हैं और तलाशी ले सकते हैं, यदि उन्हें विश्वास है, कि आधार दर्ज करने के बाद वारंट प्राप्त करने से साक्ष्य छुपाया जा सकता है या अपराधी भाग सकता है।
  • समय सीमा:
    • अधिकारी को 72 घंटे के अंदर सूचना या दर्ज आधार की एक प्रति अपने तत्काल आधिकारिक वरिष्ठ के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी।