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सिविल कानून

सरोगेसी आयु सीमा और भूतलक्षी आवेदन

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 09-Oct-2025

अरुण मुथुवेल बनाम भारत संघ और संबंधित मामले 

"दंपतियों को सरोगेसी का अधिकार तब प्राप्त हुआ जब उन्होंने प्रजनन स्वायत्तता और पितृत्व के एक भाग के रूप में उस समय प्रचलित विधि के अधीन अपने भ्रूणों को फ्रीज करवा लिया।" 

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और के.वी. विश्वनाथन 

स्रोत: उच्चतम न्यायालय 

चर्चा में क्यों? 

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और के.वी. विश्वनाथन की न्यायपीठ नेअरुण मुथुवेल बनाम भारत संघ और इससे संबंधित मामलोंमें निर्णय दिया कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(iii)()(I) भूतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं होती हैऔर इसलिये यह उन दंपतियों पर लागू नहीं होगी जिन्होंने अधिनियम के लागू होने से पूर्व सरोगेसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी, भले ही वे सांविधिक आयु सीमा से अधिक हों। 

अरुण मुथुवेल बनाम भारत संघ और संबंधित मामले (2025) की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 25 जनवरी, 2022 को लागू किया गया, जिसमें इच्छुक माता-पिता के लिये कठोर आयु सीमा निर्धारित की गई: महिलाओं की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच और पुरुषों की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिये 
  • अधिनियम में कई अन्य प्रतिबंध भी विहित किये गए हैं, जिनमें वैवाहिक स्थिति संबंधी आवश्यकताएँ, 35 से 45 वर्ष की आयु की विधवाओं या तलाकशुदा महिलाओं के सिवाय एकल महिलाओं को शामिल नहीं करना, तथा जीवित बच्चे वाले दंपतियों द्वारा सरोगेसी का लाभ लेने पर प्रतिबंध सम्मिलित है। 
  • इस विधि का उद्देश्य व्यावसायिक सरोगेसी पर अंकुश लगाना तथा इस प्रथा को विनियमित करना था। 
  • यद्यपि, विधि उन मामलों पर मौन थी जहाँ दंपतियों ने अधिनियम के लागू होने से पूर्व ही सरोगेसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। 
  • कई दंपतियों ने 25 जनवरी, 2022 से पूर्व सरोगेसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी और अपने भ्रूण को फ्रीज करवा लिया था, किंतु बाद में उनकी आयु नई विधि के अधीन विहित आयु सीमा से अधिक हो गई। 
  • सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 दोनों के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए याचिकाओं का एक समूह दायर किया गया था। 
  • मुख्य याचिका चेन्नई स्थित बांझपन विशेषज्ञ (infertility specialist) डॉ. अरुण मुथुवेल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध को भी चुनौती दी गई थी। 
  • न्यायालय ने 29 जुलाई को विशेष रूप से इस सीमित प्रश्न पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था कि क्या 2021 की विधि लागू होने से पूर्व सरोगेसी प्रक्रिया शुरू करने वाले दंपति सांविधिक आयु सीमा से अधिक होते हुए भी आगे बढ़ सकते हैं। 

न्यायालय की टिप्पणियां क्या थीं? 

  • पीठ ने कहा कि आयु सीमा की प्रयोज्यता अवधारित करने के लिये सरोगेसी शुरू करने का अर्थ है कि युग्मक (gametes) निकाल लिये गए हैं और भ्रूण को जमा (frozen) दिया गया है। इस स्तर पर, दंपत्ति को स्वयं कुछ नहीं करना है, क्योंकि अगला चरण भ्रूण को सरोगेट माता में प्रत्यारोपित करना है। 
  • न्यायमूर्ति नागरत्ना ने टिप्पणी की कि पीठ ने इच्छुक माता-पिता पर ऊपरी आयु सीमा लागू करने के पीछे के तर्क पर प्रश्न उठाया है, जब सरोगेट माता, न कि इच्छुक माता, बच्चे को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि सरोगेट के लिये आयु सीमा उचित हो सकती है, किंतुयही तर्क इच्छुक माता-पिता पर लागू नहीं हो सकता है। 
  • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है और बताया कि प्राकृतिक गर्भाधान या दत्तक के लिये कोई आयु सीमा नहीं है। पीठ ने कहा कि इस अधिनियम का उद्देश्य व्यावसायिक सरोगेसी पर अंकुश लगाना है, न कि वास्तविक दंपतियों को इस प्रक्रिया से बच्चे पैदा करने से रोकना। 
  • न्यायालय ने कहा कि पालन-पोषण और युग्मक गुणवत्ता से संबंधित चिंताएँ, जो संभवतः विधि निर्माताओं के लिये वैध चिंताएँ हैं, अधिनियम को भूतलक्षी रूप से लागू करने के लिये बाध्यकारी कारण नहीं हैं, विशेषकर इसलिये क्योंकि राज्य कुछ श्रेणियों के दंपतियों को - जो स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करना चाहते हैं - इन चिंताओं के होते हुए भी संतानोत्पत्ति करने या व्यक्तिगत विधि के अधीन दत्तक की अनुमति देता है। 
  • पीठ ने स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणियां उन दंपतियों तक सीमित हैं, जिन्होंने विधि बनने से पहले यह प्रक्रिया शुरू की थी और अब वे इस प्रक्रिया को जारी रखना चाहते हैं। 
  • न्यायालय ने कहा कि वह अधिनियम के अधीन आयु सीमा विहित करने या इसकी वैधता पर निर्णय देने में संसद की बुद्धिमत्ता पर प्रश्न नहीं उठा रहा है, अपितु वह अपनी टिप्पणियां उन दंपतियों तक सीमित रख रहा है, जिन्होंने अधिनियम के लागू होने से पूर्व सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी। 

सरोगेसी क्या है? 

  • सरोगेसी एकऐसी व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट)किसी अन्य व्यक्ति या दंपति (इच्छित माता-पिता) की ओर से बच्चे को जन्म देने के लिये सहमत होती है। 
  • सरोगेट, जिसे कभी-कभी गर्भावधि वाहक भी कहा जाता है, वह महिला होती है जो किसी अन्य व्यक्ति या दंपति (इच्छित माता-पिता) के लिये गर्भधारण करती है, बच्चे को जन्म देती है। 
  • सरोगेसी, जिसमें गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा व्यय और बीमा कवरेज के अतिरिक्त सरोगेट माता को कोई मौद्रिक प्रतिकर नहीं दिया जाता है, उसे अक्सर परोपकारी सरोगेसी कहा जाता है। 
  • वह सरोगेसी जोमूल चिकित्सा व्यय और बीमा कवरेज से अधिकमौद्रिक लाभ या पुरस्कार (नकद या वस्तु के रूप में) के लिये की जाती है, उसेवाणिज्यिक सरोगेसी कहा जाता है। 

भारत में सरोगेसी के संबंध में विधिक प्रावधान क्या हैं? 

सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 

  • सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के अधीन, 35 से 45 वर्ष की आयु के बीच की विधवा या तलाकशुदा महिला याविधिक रूप से विवाहित महिला और पुरुष के रूप में परिभाषित एक दंपति, सरोगेसी का लाभ उठा सकते हैं, यदि उनके पास ऐसी कोई चिकित्सीय स्थिति है जिसके लिये यह विकल्प आवश्यक हो। 
  • इच्छुक दंपतिविधिक रूप से विवाहित भारतीय पुरुष और महिला होंगे, पुरुषकी आयु 26-55 वर्ष के बीचहोगीतथा महिला की आयु 25-50 वर्ष के बीच होगी, तथा उनकापहले कोई जैविक, दत्तक या सरोगेट बच्चा नहीं होगा। 
  • यह विधेयक वाणिज्यिक सरोगेसी परभी प्रतिबंध लगाता है, जिसके लिये 10 वर्ष की जेल और 10 लाख रुपए तक के जुर्माने का उपबंध है। 
  • विधिकेवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है, जहाँ पैसे का लेन-देन नहीं होता है और जहाँ सरोगेट माता का आनुवंशिक संबंध बच्चे चाहने वाले व्यक्ति से होता है। 

सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 

  • सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 जोसरोगेसी क्लिनिक के लिये रजिस्ट्रीकरण और फीस के लिये प्रारूप और तरीकेतथा रजिस्ट्रीकृत सरोगेसी क्लिनिक में कार्यरत व्यक्तियों के लिये आवश्यकता और योग्यता प्रदान करता है। 
  • सरोगेसी क्लीनिक मेंकम से कम एकस्त्री रोग विशेषज्ञ, एक एनेस्थेटिस्ट, एक भ्रूण विशेषज्ञ और एक परामर्शदाता होना चाहिये 
  • इच्छुक महिला या दंपति को सरोगेट माता के पक्ष में किसी बीमा कंपनी या अभिकर्त्ता सेछत्तीस महीने की अवधिके लिये सामान्य स्वास्थ्य बीमा कवरेज खरीदना होगा, जिसकी राशि गर्भावस्था से उत्पन्न होने वाली सभी जटिलताओं के लियेसभी खर्चों को कवर करने के लिये पर्याप्त होतथा प्रसव के बाद की जटिलताओं को भी कवर किया जा सके। 
  • सरोगेटमाता पर किसी भी सरोगेसी प्रक्रिया के प्रयासों की संख्या तीन बार से अधिक नहीं होगी। 
  • सरोगेट माता की सहमति फॉर्म 2 में निर्दिष्ट अनुसार होगी। 

सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 

  • यह अधिनियमराष्ट्रीय सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी बोर्ड की स्थापना करकेसरोगेसी पर विधि के कार्यान्वयन के लिये एक प्रणाली प्रदान करता है। 
  • इसका उद्देश्य असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) क्लीनिकों और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों का विनियमन और पर्यवेक्षण, दुरुपयोग की रोकथाम, और ART सेवाओं का सुरक्षित और नैतिक अभ्यास करना है।