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अंतर्राष्ट्रीय कानून
अवैध प्रव्रजन
« »29-Dec-2023
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
परिचय:
303 भारतीयों को निकारागुआ ले जा रहे एक विमान को फ्राँस में रोक दिया गया, जिससे भारत से अवैध प्रव्रजन के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित हुआ। इस ऑपरेशन में शामिल दो लोगों को हिरासत में लिया गया है और दो नाबालिगों सहित 25 यात्रियों ने फ्राँस में शरणस्थल का अनुरोध किया है। बाकी 276 यात्री सुरक्षित वापस लौट आये हैं।
- इस यात्रा को पूरा करने वाले नेटवर्क के बारे में विवरण का खुलासा करने के लिये जाँच चल रही है, जिसमें दलाल, ट्रैवल एजेंसियाँ, टिकट और वीज़ा खरीद, मार्ग योजना तथा विमान व्यवस्था शामिल है। इस ‘डंकी वे’ (जिसमें कोई व्यक्ति एक देश से दूसरे देश अवैध तरीके से जाता है) से कथित अंतिम गंतव्य अमेरिका था, भले ही यात्रियों के पास केवल निकारागुआन वीज़ा था।
अवैध प्रव्रजन क्या है?
- अवैध प्रव्रजन से तात्पर्य आवश्यक कानूनी दस्तावेज़ों के बिना या गंतव्य देश के आव्रजन कानूनों के उल्लंघन में राष्ट्रीय सीमाओं के पार व्यक्तियों की आवाजाही से है।
- इसमें विविध प्रकार की स्थितियाँ शामिल होता हैं, जिनमें बेहतर अवसरों की तलाश कर रहे आर्थिक प्रव्रजन, उत्पीड़न से भाग रहे शरणार्थी, और संघर्ष या पर्यावरणीय आपदाओं से बचकर भाग रहे विस्थापित लोग शामिल हैं।
- इन प्रवासियों की कानूनी स्थिति केंद्रीय चिंताओं में से एक है, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय विधि के तहत उन्हें दिये जाने वाले अधिकारों और सुरक्षा को निर्धारित करती है।
अवैध प्रवासियों हेतु अंतर्राष्ट्रीय कानून क्या हैं?
- विशेष रूप से प्रव्रजन के लिये समर्पित बहुपक्षीय संधियों या अभिसमयों का दायरा सीमित है, जो अलग-अलग प्रव्रजन परिदृश्यों को संबोधित करते हैं जिन्होंने समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है।
- इनमें प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के अधिकार, शरणार्थियों के अधिकार, साथ ही मानव तस्करी एवं प्रवासियों की तस्करी से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
- अधिक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता को पहचानते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने सभी प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के अधिकारों पर 1990 अभिसमय के माध्यम से अनियमित प्रवासी श्रमिकों तथा उनके परिवारों को अधिकारों के लिये संबोधित करने का प्रयास किया।
- अधिकार-आधारित दृष्टिकोण की कमियों का सामना करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2016 में शरणार्थियों एवं प्रवासियों के लिये न्यूयॉर्क घोषणा के साथ, 2018 में सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रव्रजन के लिये गैर-बाध्यकारी ग्लोबल कॉम्पैक्ट का मार्ग प्रशस्त किया, जो एक सहयोगात्मक अंतर-सरकारी प्रयास है।
सभी प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के सदस्यों के अधिकारों की सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय क्या है?
- इसे 18 दिसंबर, 1990 को महासभा संकल्प 45/158 द्वारा अपनाया गया था।
- यह ऐसे मानदंड स्थापित करने की के लिये प्रतिबद्ध है जो प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के सदस्यों के उपचार से संबंधित बुनियादी सिद्धांतों की स्वीकृति के माध्यम से राज्यों के दृष्टिकोण के सामंजस्य में योगदान कर सकें।
- इसमें 93 अनुच्छेद शामिल हैं जो मान्यता प्राप्त प्रवासियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के सदस्यों के जीवन का अधिकार कानून द्वारा संरक्षित किया जाएगा।
अवैध प्रवासियों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं?
- सुरक्षा का अभाव:
- अवैध प्रवासी अक्सर स्वयं को अनिश्चित परिस्थितियों में पाते हैं, उनके पास नियमित प्रवासियों को मिलने वाली कानूनी सुरक्षा और अधिकारों का अभाव होता है।
- इसमें कार्य करने, शिक्षा तक पहुँच और स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने का अधिकार शामिल है।
- उनकी कमज़ोर स्थिति उन्हें अधिकारियों तथा बेईमान नियोक्ताओं दोनों द्वारा शोषण और दुर्व्यवहार के प्रति संवेदनशील बनाती है।
- हिरासत और निर्वासन:
- अनधिकृत प्रव्रजन के प्रबंधन की चुनौती का सामना करने वाले राज्य अक्सर हिरासत और निर्वासन उपायों का सहारा लेते हैं।
- हालाँकि, ये प्रथाएँ प्रवासियों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकती हैं, खासकर तब, जब उन्हें उचित प्रक्रिया का लाभ नहीं मिलता है या लौटने पर उत्पीड़न या नुकसान का खतरा होता है।
- भेदभाव:
- अवैध प्रवासी अक्सर भेदभाव और ज़ेनोफोबिया(xenophobia) का निशाना बनते हैं, क्योंकि उन्हें स्थानीय अर्थव्यवस्था, संस्कृति या सुरक्षा के लिये खतरा माना जाता है।
- यह शत्रुतापूर्ण वातावरण उनकी असुरक्षा को बढ़ाता है और मेज़बान समाज में उनके एकीकरण में बाधा डालता है।
- मानव तस्करी:
- प्रव्रजन के लिये कानूनी रास्तों की कमी व्यक्तियों को मानव तस्करों के हाथों में धकेल सकती है जो उनकी हताशा का फायदा उठाते हैं।
- मानव तस्करी, मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, जिसमें अक्सर ज़बरदस्ती, धोखे और शोषण शामिल होता है, जो एक व्यापक कानूनी ढाँचे की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
निष्कर्ष:
अंतर्राष्ट्रीय विधि के तहत अवैध प्रव्रजन एक जटिल एवं विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है, जो प्रवासियों और राज्यों दोनों के लिये चुनौतियाँ पेश करता है। चूँकि दुनिया मानव गतिशीलता के निहितार्थों से जूझ रही है, इसलिये एक व्यापक और अधिकार-आधारित दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है जो व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा के साथ राज्यों की संप्रभुता को संतुलित करे। प्रव्रजन के प्रति अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण का विकास वैश्विक चुनौतियों के अंतर्संबंध और स्थायी समाधान खोजने में सहयोग के महत्त्व के बारे में बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है।