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सिविल कानून
विल का साक्षी
« »26-Apr-2024
स्रोत: मिंट
परिचय:
भारत में विल की वैधता भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (ISA) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) के अनुपालन के अधीन है। ISA की धारा 2 (h) "विल" को वसीयतकर्त्ता की उसकी संपत्ति के संबंध में उस आशय की विधिक घोषणा के रूप में परिभाषित करती है जिसे वह अपनी मृत्यु के पश्चात् कार्यान्वित किये जाने की वांछा करता है।
विल के संबंध में प्रमुख विधिक उपबंध क्या हैं?
- IEA की धारा 32 (6): वे दशाएँ जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है अथवा मिल नहीं सकता।
- सुसंगत तथ्यों के लिखित अथवा मौखिक कथन, जो किसी व्यक्ति द्वारा किये गए थे, जो मर गया है अथवा मिल नहीं सकता अथवा जो साक्ष्य देने के लिये असमर्थ हो गया है अथवा जिसकी हाजिरी इतने विलंब अथवा व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत है–
- अथवा कौटुंबिक बातों से संबंधित विल अथवा विलेख में किया गया है। जब कि वह कथन मृत व्यक्तियों के बीच (रक्त, विवाह अथवा दत्तकग्रहण पर आधारित) किसी नातेदारी के अस्तित्त्व के संबंध में है और उस कुटुंब की बातों से, जिसका ऐसा मृत व्यक्ति अंग था, संबंधित किसी विल या विलेख में या किसी कुटुंब-वंशावली में अथवा किसी समाधिप्रस्तर, कुटुंब-चित्र अथवा अन्य चीज़ पर जिस पर ऐसे कथन प्रायः किये जाते हैं, किया गया है और जब कि ऐसा कथन प्रश्न के उठाए जाने से पूर्व किया गया था।
- सुसंगत तथ्यों के लिखित अथवा मौखिक कथन, जो किसी व्यक्ति द्वारा किये गए थे, जो मर गया है अथवा मिल नहीं सकता अथवा जो साक्ष्य देने के लिये असमर्थ हो गया है अथवा जिसकी हाजिरी इतने विलंब अथवा व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत है–
- ISA की धारा 281: प्रोबेट के लिये अर्जी को विल के एक साक्षी द्वारा सत्यापित किया जाना।
- जहाँ आवेदन प्रोबेट के लिये है वहाँ अर्जी में विल के साक्षियों में से कम-से-कम एक के द्वारा (यदि उपलब्ध हो) निम्नलिखित रूप में या निम्नलिखित प्रभाव का सत्यापन किया जाएगा, अर्थात्-
- “मैं (C.D), उपर्युक्त अर्जी में वर्णित वसीयतकर्त्ता के अंतिम विल और वसीयत का एक साक्षी हूँ तथा यह घोषणा करता हूँ कि मैं उपस्थित था एवं मैंने उक्त वसीयतकर्त्ता को उस पर अपने हस्ताक्षर करते (या चिह्न लगाते) देखा था (या कि उक्त वसीयतकर्त्ता ने उपर्युक्त अर्जी से उपाबद्ध लेख को अपने अंतिम विल व वसीयत के रूप में मेरे समक्ष अभीस्वीकृति दी थी)”।
साक्षी के परिसाक्ष्य का महत्त्व क्या है?
- IEA की धारा 118 में वर्णित किया गया है कि कौन साक्ष्य दे सकेगा है अथवा कौन सक्षम साक्षी हो सकता है।
- इसके अनुसार सभी व्यक्ति साक्ष्य देने के लिये सक्षम होंगे जब तक कि न्यायालय का यह विचार न हो कि कोमल व्यस, अतिवार्धक्य, शरीर के या मन के रोग या इसी प्रकार के किसी अन्य कारण से वे उनसे किये गए प्रश्नों को समझने से या उन प्रश्नों के युक्तिसंगत उत्तर देने से निवारित हैं।
- स्पष्टीकरण– एक पागल व्यक्ति साक्ष्य देने के लिये अक्षम नहीं है, जब तक कि वह अपने पागलपन के कारण उससे किये गए प्रश्नों को समझने और उनके युक्तिसंगत उत्तर देने से निवारित न हो।
- किसी विल को मान्य करने में साक्षी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- यदि किसी दस्तावेज़ को सत्यापन की आवश्यकता होती है तो इसे साक्ष्य के रूप में तब तक उपयोग नहीं किया जा सकता जब तक कि कम-से-कम एक प्रामाणित साक्षी को इसके निष्पादन को साबित करने के लिये नहीं बुलाया जाता है।
निष्कर्ष:
विल संपदा योजना में महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है, जिससे वसीयतकर्त्ता की मृत्यु पर संपत्ति के व्यवस्थित वितरण की सुविधा मिलती है। हालाँकि, उनकी वैधता साक्षियों की उपस्थिति और परिसाक्ष्य सहित विधिक आवश्यकताओं के कड़ाई से अनुपालन पर निर्भर करती है। विल की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने में साक्षियों की भूमिका अहम होती है और उन्हें यह समझने की आवश्यकता है कि विधिक प्रणाली में उनका कार्य कितना गंभीर है।