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अंतर्राष्ट्रीय कानून

भारत के विरुद्ध अमेरिकी सीनेटर टैरिफ़ की धमकियाँ

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 31-Jul-2025

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस 

परिचय 

जुलाई 2025 में, एक अमेरिकी सीनेटर द्वारा भारत, चीन तथा ब्राज़ील को रूस के साथ जारी ऊर्जा व्यापार को लेकर कड़े चेतावनी संदेश जारी किये गए, जिसमें प्रस्तावित शुल्कों (tariffs) के माध्यम से गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने की बात कही गईये खतरे अमेरिकी विदेश नीति प्रवर्तन तंत्र में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विधि, संप्रभुता और अमेरिकी प्रतिबंध नीति के क्षेत्रातीत अनुप्रयोग के बारे में जटिल प्रश्न उठाते हैं। 

प्रस्तावित विधि 

सीनेटर द्वारा 2025 के रूस प्रतिबंध अधिनियम (Russian Sanctions Act of 2025) को प्रायोजित किया है, जिसे सदन और सीनेट दोनों में पर्याप्त द्विदलीय समर्थन (87 सदन सह-प्रायोजक और 84 सीनेट सह-प्रायोजक) के साथ पेश किया गया है।  

इस व्यापक विधि की धारा 17 विशेष रूप से उन देशों को लक्षित करती है जो रूसी ऊर्जा व्यापार में संलग्न हैं।  

विधेयक के मुख्य प्रावधान: 

  • यह विधेयक राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि जब रूस यूक्रेन के साथ शांति वार्ता करने से इंकार करता है, शांति समझौतों का उल्लंघन करता है, नये आक्रमण शुरू करता है, या यूक्रेनी सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयत्न करता है, तो वह उस पर प्रतिबंध लगा सकता है। 
  • रूस से आने वाले तेल, यूरेनियम, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम उत्पाद या पेट्रोकेमिकल उत्पादों को खरीदने, बेचने या स्थानांतरित करने वाले देशों पर 500% यथामूल्य शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। 
  • इसमें शीर्ष क्रेमलिन अधिकारियों के वीज़ा को अवरुद्ध करने और उनकी संपत्तियों को जब्त करने के प्रावधान शामिल हैं। 
  • अमेरिकी मूल के ऊर्जा उत्पादों को रूस भेजने पर प्रतिबंध। 
  • राष्ट्रपति को छह महीने की अवधि के लिये करों में छूट देने का अधिकार प्रदान करता है। 

यह विधेयक हाल के अमेरिकी इतिहास में प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के विरुद्ध प्रस्तावित सबसे आक्रामक द्वितीयक प्रतिबंध व्यवस्थाओं में से एक है 

टैरिफ क्या हैं? 

  • टैरिफ, आयातित वस्तुओं पर सरकारों द्वारा लगाया जाने वाला सीमा शुल्क है, जो राजस्व सृजन और व्यापार नीति दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करता है। 
  • देश अक्सर संसाधन और उत्पादन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर रहते हैं, लेकिन उन्हें नीतियों, भूराजनीति और बाजार प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
  • व्यापार विवादों का प्रबंधन करने के लिये, सरकारें सामान्यतः टैरिफ लगाती हैं - आयात पर कर जो स्थानीय उद्योगों की रक्षा करने और राजस्व उत्पन्न करने के लिये कीमतें बढ़ाते हैं। 
  • यद्यपि टैरिफ घरेलू खरीद को प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन वे उन उपभोक्ताओं के लिये लागत भी बढ़ा सकते हैं जो अभी भी आयातित वस्तुओं का चयन करते हैं। 

प्रमुख भारतीय टैरिफ विधि: 

  • सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम 1975 - धारा 9, 9कक, 9, और 9ग के अधीन विभिन्न सीमा शुल्कों (मूल सीमा शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, सुरक्षात्मक टैरिफ) और एंटी-डंपिंग उपायों को सक्षम करने वाली आधारभूत विधि 
  • विदेश व्यापार विकास और विनियमन अधिनियम 1992 - विदेशी व्यापार नीति के साथ कार्य करते हुए, टैरिफ और व्यापार उपायों सहित विदेशी वाणिज्य के सरकारी विनियमन को अधिकृत करता है। 
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) रूपरेखा, (2017) - आयात पर एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) को एकीकृत करता है, जिसकी गणना कुल आयातित वस्तुओं के मूल्य और सीमा शुल्क के आधार पर की जाती है। 
  • अमेरिकी विधि के अधीन, टैरिफ मुख्य रूप से 1930 के टैरिफ अधिनियम और उसके बाद के व्यापार विधि द्वारा नियंत्रित होते हैं, जिसमें सांविधानिक प्राधिकार अनुच्छेद I, धारा 8 के अधीन विदेशी वाणिज्य को विनियमित करने के लिये कांग्रेस की शक्ति से प्राप्त होता है। 
  • प्रस्तावित टैरिफ के प्रकार: 
  • प्राथमिक शुल्क:रूसी मूल की वस्तुओं के प्रत्यक्ष आयात पर 500% तक सीमा शुल्क। 
  • द्वितीयक शुल्क:वे देश जो रूस से ऊर्जा उत्पाद आयात करते हुए अमेरिका के साथ व्यापार करते हैं, उन पर 100% से 500% तक शुल्क लागू किया जाएगा 
  • दण्डात्मक प्रकृति:इन प्रस्तावित शुल्कों की दरें सामान्य रक्षात्मक या राजस्व-संग्रहणीय दरों से कहीं अधिक हैं तथा इनका उद्देश्य मुख्यतः आर्थिक प्रतिबंध के रूप में कार्य करना है। 
  • यद्यपि अमेरिका ने ऐतिहासिक रूप से टैरिफ को विदेश नीति के औज़ार के रूप में प्रयोग किया है, लेकिन प्रस्तावित दरें अभूतपूर्व वृद्धि दर्शाती हैं। पिछले उदाहरणों में धारा 232 के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रावधानों के अधीन स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ शामिल हैं, लेकिन ये सामान्यतः 10-25% के बीच होते थे 

सीनेटर ग्राहम ने भारत पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी क्यों दी है? 

  • सीनेटर लिंडसे ग्राहम की यह धमकी भारत की रूस के दूसरे सबसे बड़े तेल ग्राहक होने की स्थिति से उपजी है, जो फरवरी 2025 तक रूसी तेल निर्यात का लगभग 38% हिस्सा है।  
  • सीनेटर का तर्क है कि भारत की ऊर्जा खरीद महत्त्वपूर्ण राजस्व स्रोत उपलब्ध कराती है, जो यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियानों को जारी रखने में सहायक होती है।  

उद्धृत विशिष्ट औचित्य: 

  • युद्ध वित्तपोषण के आरोप:ग्राहम का तर्क है कि भारत, चीन और ब्राजील के साथ मिलकर रूस के कच्चे तेल के निर्यात का लगभग 80% सामूहिक रूप से खरीदता है, तथा सीधे तौर पर "पुतिन की युद्ध मशीन" को वित्तपोषित करता है 
  • आर्थिक दबाव की रणनीति: 100% टैरिफ़ की धमकी भारत को अमेरिकी बाज़ार तक पहुँच और रूसी ऊर्जा आयात जारी रखने के बीच चुनाव करने के लिये मजबूर करने की एक कोशिश है। जैसा कि ग्राहम ने कहा: "चीन, भारत और ब्राज़ील, उन्हें अमेरिकी अर्थव्यवस्था या पुतिन की सहायता करने के बीच चुनाव करना होगा।"  
  • द्विपक्षीय व्यापार लाभ:भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर एक "मिनी" व्यापार समझौते के लिये बातचीत चल रही है, ऐसे में टैरिफ का खतरा बाजार पहुँच, विशेष रूप से कृषि, डेयरी और आनुवंशिक रूप से संशोधित उत्पादों के बारे में चल रही चर्चाओं के दौरान अतिरिक्त दबाव के रूप में कार्य करता है।  

विधिक और कूटनीतिक जटिलताएँ: 

  • भारत की विधिक स्थिति:भारत ने कहा है कि उसकी आबादी की ऊर्जा आवश्यकताओं को सुनिश्चित करना एक "सर्वोपरि प्राथमिकता" बनी हुई है और उसने "दोहरे मानकों" के प्रति आगाह किया है, तथा कहा है कि यूरोपीय संघ के सदस्य रूसी ऊर्जा खरीदना जारी रखे हुए हैं, साथ ही रूसी अल्पसंख्यक स्वामित्व वाली भारतीय रिफाइनरियों से प्रसंस्कृत उत्पाद भी खरीद रहे हैं 
  • अंतर्राष्ट्रीय विधि संबंधी विचार:प्रस्तावित टैरिफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अधीन प्रश्न उठाते हैं, विशेष रूप से:  
  • सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (Most Favored Nation (MFN व्यवहार की बाध्यता  
  • GATT अनुच्छेद XXI के अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा अपवाद 
  • भेदभावपूर्ण व्यापार उपायों के लिये विवाद समाधान तंत्र 
  • संप्रभुता संबंधी चिंताएँ:विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के माध्यम से भारत की प्रतिक्रिया में इस बात पर बल दिया गया कि ऊर्जा खरीद के निर्णय बाजार की उपलब्धता और "विद्यमान वैश्विक परिस्थितियों" द्वारा निर्देशित होते हैं, तथा ऊर्जा सुरक्षा मामलों पर निर्णय लेने के संप्रभु अधिकार पर बल दिया गया। 

वैश्विक व्यापार में रूसी मूल की ऊर्जा पर प्रतिबंध लागू करने में क्या विधिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं? 

  • कांग्रेस की स्वीकृति की आवश्यकताएँ:वर्तमान विधेयक की भाषा में राष्ट्रपति के प्रतिबंधों के कार्यान्वयन के लिये कांग्रेस की स्वीकृति की आवश्यकता है, यस्द्य्पी रिपोर्टों से पता चलता है कि ट्रंप प्रशासन अधिक स्वायत्त कार्यकारी कार्रवाई को सक्षम करने के लिये संशोधन की मांग कर सकता है।  
  • आर्थिक परस्पर निर्भरताभारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार महत्त्वपूर्ण स्तर पर पहुँच गया है, और जटिल आपूर्ति श्रृंखलाएँ ऐसे शुल्कों से बाधित होंगी। भारत ने अपने तेल स्रोतों का विस्तार 40 देशों तक कर दिया है (पहले यह संख्या 27 थी), जो संभावित प्रतिबंधों के लिये कुछ तैयारी का संकेत है।  
  • प्रवर्तन तंत्र:जटिल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से रूसी मूल के ऊर्जा उत्पादों पर दृष्टि रखने और उन्हें दण्डित करने का व्यावहारिक कार्यान्वयन महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक और सत्यापन चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।  

निष्कर्ष 

सीनेटर ग्राहम की भारत के विरुद्ध टैरिफ़ संबंधी धमकियाँ यूक्रेन नीतिगत उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अमेरिका के आर्थिक प्रभाव को हथियार बनाने का एक साहसिक, किंतु विधिक और कूटनीतिक रूप से जटिल प्रयास है। यद्यपि प्रस्तावित रूसी प्रतिबंध अधिनियम ऐसे उपायों के लिये विधायी ढाँचा प्रदान करता है, लेकिन इनके कार्यान्वयन को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विधि के अधीन गंभीर विधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है, और वैश्वीकृत ऊर्जा बाज़ारों में प्रवर्तन संबंधी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस दमनकारी रणनीति की अंतिम सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लक्षित देश अनुपालन की आर्थिक लागत को रूसी ऊर्जा व्यापार के निरंतर लाभों से अधिक मानते हैं या नहीं, और क्या अमेरिकी कांग्रेस और प्रशासन कार्यान्वयन की जटिल विधिक और कूटनीतिक बाधाओं को पार कर पाते हैं