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सिविल कानून

सिंडिकेट बैंक बनाम प्रभा डी. नाइक एवं अन्य AIR 2001 SC 1968

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 13-Aug-2024

परिचय:

परिसीमा अधिनियम, 1963 एक व्यापक विधान है और यह किसी स्थानीय विधान या विशेष विधान के उपस्थित होने के बावजूद भी पूरे भारत पर लागू होगा।

तथ्य:

  • अपीलकर्त्ता (सिंडिकेट बैंक) ने प्रतिवादी (प्रभा डी. नाइक) के विरुद्ध 32,353.30 रुपए की वसूली के लिये 18% प्रतिवर्ष की दर के ब्याज के साथ वाद संस्थित किया।
  • अपीलकर्त्ता मुख्य ऋणी था और उसने जुलाई 1978 में प्रतिवादी को ऋण दिया था तथा प्रतिवादी ने दिसंबर 1978 में गोवा में ऋण वापस चुकाने पर सहमति व्यक्त की थी।
  • संस्थित वाद में प्रतिवादी दिये गए वचन के अनुसार ऋण चुकाने में असफल रहा तथा वादी की कई मांगों के बाद भी उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, इसलिये वाद दायर किया गया।
  • अधिकारी अधीक्षक ने परिसीमा के आधार पर अपनी कार्यालयी शक्ति के अनुसार आपत्ति की।
  • हालाँकि अपीलकर्त्ता ने तर्क दिया कि जस्टिनियानो ऑगस्टो डी पिएदादा बरेटो बनाम एंटोनियो विसेंट डी फोंसेका और अन्य (1979) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए उदाहरणों के आधार पर यह वाद परिसीमा से वर्जित नहीं है और यह पुर्तगाली विधि के दायरे में आता है क्योंकि कार्यवाही का कारण गोवा में उत्पन्न हुआ था।
  • इस मामले को निचले न्यायालय ने इस आधार पर अस्वीकार कर दिया था कि यह वाद परिसीमा अधिनियम, 1963 के अनुसार परिसीमा अवधि से वर्जित था।
  • अपीलकर्त्ता द्वारा इस मामले में उच्च न्यायालय में अपील की गई।
  • उच्च न्यायालय ने निचले न्यायालय के आदेश की पुष्टि की और कहा कि चूँकि विचाराधीन कार्यवाही का कारण पुर्तगाली विधि के बाहर उत्पन्न हुआ है, इसलिये पुर्तगाली विधि के अंतर्गत सिविल जज, वरिष्ठ डिवीज़न के निर्णय एवं डिक्री पर कोई अपवाद नहीं लिया जा सकता है।
  • इस निर्णय से व्यथित होकर अपीलकर्त्ता ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली।

शामिल तथ्य:

  • क्या पुर्तगाली नागरिक संहिता गोवा, दमन और दीव राज्य के लिये एक विशेष विधान या स्थानीय विधान है?
  • क्या पुर्तगाली नागरिक संहिता को अंतर्निहित रूप से निरस्त माना जाएगा?

टिप्पणियाँ:

  • इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भूमि अधिग्रहण एक ऐसा विधान है जो व्यापक रूप से प्रावधानों को अधिनियमित करता है तथा विधान में उल्लिखित अपवाद को छोड़कर पूरे देश पर लागू होता है।
  • उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि पुर्तगाली नागरिक संहिता गोवा, दमन और दीव राज्य में लागू होती है और इस प्रकार पहले का विधान परिवर्तित हो गया है।
  • उच्चतम न्यायालय ने जस्टिनियानो ऑगस्टो डी पिएदादा बैरेटो बनाम एंटोनियो विसेंट डी फोंसेका एवं अन्य (1979) के निर्णय का उदाहरण दिया, जिसमें कहा गया था कि पुर्तगाली नागरिक संहिता के परिसीमा से संबंधित प्रावधान गोवा, दमन और दीव संघ शासित प्रदेश में लागू रहेंगे।
  • उच्चतम न्यायालय ने निहित निरसन के सिद्धांत को लागू करते हुए इस निर्णय को अस्वीकार कर दिया।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पूरे देश के लिये एक व्यापक परिसीमा विधान उपलब्ध है तथा पुर्तगाली सिविल विधि को स्थानीय विधान या गोवा, दमन और दीव राज्य पर लागू होने वाला विशेष विधान नहीं कहा जा सकता, जो परिसीमा की अलग अवधि निर्धारित करता हो।

निष्कर्ष:

  • उच्चतम न्यायालय ने वर्तमान अपील अस्वीकार कर दी।
    • उच्चतम न्यायालय ने पुर्तगाली नागरिक संहिता को निरस्त कर दिया।
    • उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि पूरे देश में एक समान परिसीमा विधान होगा अर्थात् परिसीमा अधिनियम, 1963, जो पूरे भारत पर लागू होगा।