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आपराधिक कानून

भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अधीन झपटमारी (BNS)

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 24-Jul-2025

परिचय

आधुनिक भारत में, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में, झपटमारी का अपराध सड़क पर होने वाले अपराधों के सबसे सामान्य है। इस अपराध की विशिष्ट प्रकृति को देखते हुए, भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) ने झपटमारी को धारा 304 के अधीन एक अलग अपराध के रूप में संहिताबद्ध किया है। 

  • यह प्रावधान चेन झपटमारी, मोबाइल फोन चोरी, बैग झपटमारी और इसी तरह के अन्य अपराधों की बढ़ती घटनाओं को संबोधित करता है, जिनमें पीड़ितों से प्रत्यक्ष तौर पर अचानक या जबरन संपत्ति छीन ली जाती है।
  • झपटमारी को एक अलग अपराध के रूप में शामिल करना इस विधायी आशय को दर्शाता है कि ऐसे अपराधों में न केवल संपत्ति की चोरी शामिल है, बल्कि ये व्यक्तिगत सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिये भी सीधा खतरा उत्पन्न करते हैं।
  • झपटमारी की अचानक और जबरन प्रकृति अक्सर पीड़ितों को आघात पहुँचाती है तथा समाज में असुरक्षा की भावना उत्पन्न करती है।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अधीन झपटमारी का अपराध

BNS की धारा 304 झपटमारी के अपराध के लिये दण्ड को परिभाषित और निर्धारित करती है:

परिभाषा: 

  • Section 304(1) defines snatching as a form of theft where the offender suddenly, quickly, or forcibly seizes, secures, grabs, or takes away movable property from any person or from their possession. धारा 304(1) झपटमारी को चोरी के एक प्रकार के रूप में परिभाषित करती है, जहाँ अपराधी अचानक, त्वरित या बलपूर्वक किसी व्यक्ति से या उसके कब्जे से जंगम संपत्ति को अभिग्रहण करता है, सुनिश्चित करता है, हड़पता लेता है।

झपटमारी के आवश्यक तत्त्व:

  • चोरी के आधार पर मूल्यांकन: झपटमारी मूलतः चोरी का ही एक रूप है, जिसका अर्थ है कि BNS की धारा 303 के अंतर्गत चोरी के सभी तत्त्व निहित होने चाहिये।
  • जंगम संपत्ति: छीनने का उद्देश्य BNS के अंतर्गत परिभाषित जंगम संपत्ति होनी चाहिये।
  • किसी व्यक्ति या उसके कब्जे से: संपत्ति सीधे किसी व्यक्ति या उसके तत्काल कब्जे से ली जानी चाहिये, जो इसे सामान्य चोरी से पृथक करती है।
  • अभिग्रहण का तरीका: अभिग्रहण इस प्रकार होना चाहिये:
    1. अचानक: अप्रत्याशित और बिना किसी चेतावनी के
    2. शीघ्र: निष्पादन में तेज़
    3. बलपूर्वक: बल या हिंसा का प्रयोग
  • आशय: अपराधी का अचानक या बलपूर्वक चोरी करने का आशय होना चाहिये।

धारा 304(2) के अधीन सजा का प्रावधान:

  • कारावास: साधारण या कठोर कारावास, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकती है।
  • जुर्माना: अपराधी जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
  • प्रकृति: कारावास और जुर्माना दोनों अनिवार्य दण्ड हैं, वैकल्पिक दण्ड नहीं।

संज्ञेयता/जमानतीयता:

  • झपटमारी एक संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय अपराध है।

छीनने के प्रकार

  1. चेन झपटमारी: पीड़ितों से सोने की चेन, हार या आभूषण जबरन झपटमारी।
  2. मोबाइल फ़ोन झपटमारी: उपयोगकर्त्ताओं से मोबाइल फ़ोन झपटना।
  3. बैग झपटमारी: हैंडबैग, पर्स या बैकपैक अचानक छीन लेना।
  4. वाहन-आधारित झपटमारी: चलती गाड़ियों से झपटमारी।
  5. ATM क्षेत्र में झपटमारी: ATM या बैंकों के पास पीड़ितों को निशाना बनाना।

BNS और IPC के अधीन चोरी और BNS के अधीन झपटमारी के मध्य अंतर

BNS और IPC के अधीन चोरी और BNS के अधीन झपटमारी (धारा 304) के मध्य अंतर, उचित वर्गीकरण और अभियोजन के लिये महत्त्वपूर्ण है:

आशय

चोरी (धारा 303 BNS / धारा 378, 379 IPC)

झपटमारी (धारा 304 BNS) 

परिभाषा

बिना सहमति के किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे से जंगम संपत्ति को बेईमानी से छीन लेना।

किसी व्यक्ति की संपत्ति अचानक, त्वरित या बलपूर्वक छीनकर की गई चोरी।

गठन का तरीका 

यह गुप्त, चोरी-छिपे या धोखे से हो सकता है।

यह अचानक, शीघ्र या बलपूर्वक होना चाहिये। 


पीड़ित से निकटता 

इसमें पीड़ित के साथ प्रत्यक्ष संपर्क शामिल नहीं हो सकता।

इसमें किसी व्यक्ति से प्रत्यक्ष तौर पर कोई संबंध या उसका तत्काल कब्जा लेना शामिल है। 

बल का प्रयोग

इसमें बल का प्रयोग आवश्यक नहीं है। 

बलप्रयोग का अचानक या त्वरित होना आवश्यक है।

दण्ड 

3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।

3 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना (दोनों अनिवार्य)।

पीड़ित पर प्रभाव 

मुख्यतः संपत्ति की हानि। 

सम्भावित शारीरिक क्षति और आघात के साथ सम्पत्ति की हानि।

स्थान

यह कहीं भी घटित हो सकता है।

साधारणतया यह सार्वजनिक स्थानों पर घटित  होता है। 

योजना 

इसमें विस्तृत योजना शामिल हो सकती है। 

प्रायः अवसरवादी और स्वतःस्फूर्त।. 

निष्कर्ष

BNS, 2023 की धारा 304, झपटमारी को एक विशिष्ट अपराध के रूप में संहिताबद्ध करती है, जो अचानक, त्वरित या बल प्रयोग के विशिष्ट तत्त्वों के गठन से प्रचलित सड़क अपराधों के लिये प्रावधान करती है। कारावास और जुर्माने की अनिवार्य दण्ड संरचना ऐसे अपराधों को रोकने के लिये विधायी आशय को दर्शाती है। सामान्य चोरी से स्पष्ट अंतर उचित अभियोजन सुनिश्चित करता है, जबकि सफल कार्यान्वयन के लिये समन्वित पुलिस प्रशिक्षण, निगरानी प्रणाली और जन जागरूकता की आवश्यकता होती है ताकि त्वरित न्याय एवं सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।