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आपराधिक कानून
स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम के अधीन कब्ज़ा
«23-Jul-2025
सनीश सोमन बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो "केवल एक पैकेज प्राप्त करने का कार्य, जिसमें यह सुझाव देने के लिये कोई सामग्री नहीं है कि आवेदक को इसकी अवैध सामग्री के बारे में पता था, प्रथम दृष्टया, स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम के अधीन "कब्जे" की विधिक सीमा को पूरा नहीं कर सकता है।" न्यायमूर्ति संजीव नरूला |
स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ,1985 (NDPS) के अधीन "सचेत कब्जे" के लिये अभियुक्त को पदार्थ की अवैध प्रकृति के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है, और केवल एक पैकेज एकत्र करना - ऐसे ज्ञान के सबूत के बिना - कब्जे की विधिक सीमा को पूरा नहीं करता है। अभियुक्त से व्यक्तिगत रूप से आपत्तिजनक सामग्री या वसूली के अभाव में, जमानत उचित थी।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने सनीश सोमन बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (2025) मामले में यह निर्णय दिया।
सनीश सोमन बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी ?
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने गजेन्द्र सिंह को दिल्ली में DTDC कूरियर कार्यालय से उस समय गिरफ्तार किया जब वह एक पार्सल बुक कर रहा था, उसके आवास से 15 LSD पेपर ब्लॉट्स और बाद में 650 अतिरिक्त LSD ब्लॉट्स बरामद किये गए।
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम की धारा 67 के अधीन सिंह के संस्वीकृति के आधार पर शाइनू हटवार को गिरफ्तार किया गया, जिसने बताया कि सरबजीत सिंह जयपुर से मादक पदार्थों का आपूर्तिकर्त्ता है।
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) टीम ने सरबजीत सिंह के परिसर की तलाशी ली और 9,006 LCD ब्लॉट्स, 2.232 किलोग्राम गांजा और 4,65,500 रुपए नकद जब्त किये, सिंह ने LCD ब्लॉट्स युक्त चार पृथक्-पृथक् खेप भेजने की बात स्वीकार की।
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने DTDC कूरियर कार्यालय में जाल बिछाकर इन खेपों को सफलतापूर्वक पकड़ लिया, जिनमें से एक कोट्टायम, केरल (कूरियर W60803432) के लिये भेजा जा रहा था। सनीश सोमन इस पार्सल को लेने पहुँचा और उसे पकड़ लिया गया, जिसके पैकेट में 3.5 ग्राम वजन के 100 LCD पेपर ब्लॉट्स थे।
- सोमन को स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम की धारा 8(ग) के साथ धारा 22 और 29 के अधीन अपराधों के लिये गिरफ्तार किया गया था, और बाद में स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम की धारा 22(ग) के साथ धारा 29 के अधीन आरोप विरचित किये गए थे।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायालय ने पाया कि बरामद 3.5 ग्राम LSD 0.1 ग्राम की विहित सीमा से अधिक था, जो स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के अधीन वाणिज्यिक मात्रा के रूप में योग्य है और धारा 37 के सांविधिक प्रतिबंध के अंतर्गत आता है। सोमन के विरुद्ध अभिकथन अन्य सह-अभियुक्तों से पृथक् थे क्योंकि उनके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ था, न ही उनके आवास की तलाशी ली गई थी, और प्रतिबंधित सामग्री केवल उनके द्वारा एकत्र किये गए पार्सल से संबंधित थी।
- न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के मामले में गंभीर विसंगतियाँ पाईं, तथा कहा कि सोमन द्वारा DTDC कार्यालय से संपर्क करने के लिये कथित रूप से प्रयोग किया गया फोन नंबर वास्तव में DTDC कार्यालय का ही था, तथा उसका फोन जब्त कर लिये जाने के बावजूद कोई निश्चायक निर्णय नहीं लिया गया।
- सोमन न तो पार्सल प्राप्तकर्त्ता थे और न ही पार्सल उनके निवास का पता था, और फोरेंसिक विश्लेषण के लिये अपने फोन का पासवर्ड प्रदान करने में उनके सहयोग के होते हुए भी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) उनके पड़ोसी पुनन सी.एम. उर्फ रॉबिन की ओर से कार्य करने के उनके दावों का अन्वेषण करने में असफल रही।
- न्यायालय को सोमन को तस्करी नेटवर्क से जोड़ने वाले कोई भी स्वतंत्र साक्ष्य जैसे CDRs, वित्तीय संव्यवहार या डिजिटल संसूचना नहीं मिले, अभियोजन पक्ष मुख्य रूप से धारा 67 के अधीन उसके कथित संस्वीकृति पर निर्भर था।
- न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अवैध सामग्री की जानकारी के बिना केवल पैकेज प्राप्त करना स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के अधीन "कब्जे" की विधिक सीमा को पूरा नहीं कर सकता है, और सोमन के आपराधिक इतिहास की कमी और अभिरक्षा में दो वर्ष के संतोषजनक आचरण को देखते हुए जमानत दे दी।
स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के अधीन कब्ज़ा क्या है?
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के अधीन कब्जे के लिये 'सचेत कब्जे' की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है कि अभियुक्त के पास प्रतिबंधित वस्तु पर भौतिक नियंत्रण होना चाहिये तथा उसके अस्तित्व और अवैध प्रकृति का ज्ञान होना चाहिये।
- सचेत कब्जे में दो महत्त्वपूर्ण घटक सम्मिलित हैं - मादक पदार्थ पर वास्तविक भौतिक नियंत्रण या अभिरक्षा, तथा मानसिक जागरूकता या ज्ञान कि कब्जे में लिया गया पदार्थ प्रतिबंधित है।
- अभियुक्त को प्रतिबंधित पदार्थ के अस्तित्व के बारे में व्यक्तिगत जानकारी होनी चाहिये तथा अवैध पदार्थ पर नियंत्रण बनाए रखने या प्रभुत्व कायम रखने का आशय होना चाहिये।
- पदार्थ की प्रकृति की जानकारी के बिना या उसे नियंत्रित करने के आशय के बिना साधारण भौतिक अभिरक्षा को स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के अधीन कब्जा नहीं माना जाता है।
- एक बार सचेत कब्जे की पुष्टि हो जाने पर, स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ की धारा 54 एक खंडनीय उपधारणा बनाती है कि अभियुक्त ने अपराध किया है, जिससे निर्दोषता साबित करने का भार अभियुक्त पर आ जाता है।
- धारा 54 के अधीन, कोई भी अभियुक्त अपने पास पाई गई मादक दवाओं, मन:प्रभावी पदार्थों या संबंधित सामग्रियों के बारे में संतोषजनक विवरण देकर दायित्त्व से बच सकता है।
- सचेत कब्जे की आवश्यकता यह सुनिश्चित करती है कि विधिक ढाँचा अनुच्छेद 20(3) और 21 के अधीन सांविधानिक सिद्धांतों के अनुरूप हो, तथा केवल अनजाने या अज्ञानवश में भौतिक अभिरक्षा के आधार पर दोषसिद्धि को रोका जा सके।
- न्यायालयों को सचेत कब्जे को स्थापित करने के लिये संस्वीकृत कथनों से परे संपोषक साक्ष्य की आवश्यकता होती है, जिसमें परिस्थितिजन्य साक्ष्य जैसे कॉल रिकॉर्ड, वित्तीय संव्यवहार, या अभियुक्त को प्रतिबंधित वस्तु से जोड़ने वाली अन्य सामग्री सम्मिलित है।