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सिविल कानून

अनुयोज्य दावा

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 08-Jan-2024

परिचय:

अनुयोज्य योग्य दावा का आशय एक ऐसी संपत्ति से है जो स्वामित्व और अंतरण के योग्य होती है। संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (TPA) की धारा 3, 130, 131 और 132 में अनुयोज्य दावे के संबंध में प्रावधान हैं।

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 3

  • TPA की धारा 3 अनुयोज्य योग्य दावे को परिभाषित करती है।
  • "अनुयोज्य दावे" से स्थावर सम्पत्ति स्थावर संपत्ति के बंधक द्वारा या जंगम संपत्ति के आडमान या
  • गिरवी द्वारा प्रतिभूत ऋण से भिन्न किसी ऋण का या उस जंगम संपत्ति में, जो दावेदार के वास्तविक या आंवयिक कब्ज़े में नहीं है फायदाप्रद हित का ऐसा दावा अभिप्रेत है, जिसे सिविल न्यायालय अनुतोष देने के लिये आधार प्रदान करने वाला मानता हो चाहे ऐसा ऋण या फायदाप्रद हित वर्तमान, प्रोद्भवमान, सशर्त या समाश्रित हो।
  • विवरण:
    • A, B से 1000 रुपए उधार लेता है और इसके बदले अपना घर उसके पास गिरवी रखता है। ऐसे में बंधक ऋण एक अनुयोज्य दावा नहीं है।
    • C पर D का 1000 रुपए बकाया है तो ऐसे में D का दावा, अनुयोज्य दावा है।
  • अनुयोज्य दावे के उदाहरण:
    • अप्रतिभूत ऋण
    • भविष्य में देय भरण-पोषण भत्ता
    • अग्रिम राशि की वापसी का दावा
    • बैंक में सावधि जमा
    • किराया-खरीद समझौता
    • किराए का बकाया

TPA  की धारा 130:

  • यह धारा अनुयोज्य दावों के अंतरण से संबंधित है। इसमें प्रावधान है कि अंतरण ऐसी लिखत के निष्पादन द्वारा ही किया जाएगा जो अंतरक या उसके सम्यक् रूप से प्राधिकृत अभिकर्त्ता द्वारा हस्ताक्षरित है, वह ऐसी लिखत के निष्पादन पर पूरा और प्रभावी हो जाएगा तथा इसके उपरांत अंतरक के सब अधिकार और उपचार, चाहे वे नुकसान के तौर पर हों या अन्यथा हों, अन्तरिती में निहित हो जाएँगे, चाहे अंतरण की ऐसी सूचना, जैसी उपबंधित है, दी गई हो या न दी गई हो :
    1. परंतु ऋण या अन्य अनुयोज्य दावे के बारे में हर व्यवहार, जो ऋणी द्वारा या अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया है। जिससे या जिसके विरुद्ध अंतरक यथापूर्वोक्त अंतरण की लिखत के अभाव में ऐसा ऋण या अन्य अनुयोज्य दावा वसूल करने या प्रवर्तित कराने का हकदार होता, ऐसे अंतरण के मुकाबले में विधिमान्य होगा (सिवाय वहाँ के जहाँ कि ऋणी या अन्य व्यक्ति उस अंतरण का पक्षकार है या उसकी ऐसी अभिव्यक्त सूचना पा चुका है जैसी उपबंधित है)।
    2. अनुयोज्य दावे का अंतरिती अंतरण की यथापूर्वोक्त लिखत के निष्पादन पर उसके लिये वाद या कार्यवाहियाँ करने के लिये अंतरक की संपत्ति अभिप्राप्त किये बिना और उसे उनमें पक्षकार बनाए बिना स्वयं अपने नाम से ऐसा वाद ला सकेगा या ऐसी कार्यवाहियाँ संस्थित कर सकेगा ।

TPA  की धारा 131:

  • सूचना का लिखित और हस्ताक्षरित होना- अनुयोज्य दावे के अंतरण की हर सूचना लिखित होगी और अंतरक या इस निमित्त सम्यक् रूप से प्राधिकृत उसके अभिकर्त्ता द्वारा, या अंतरक के हस्ताक्षर करने से मना करने की दशा में, अंतरिती या उसके अभिकर्त्ता द्वारा हस्ताक्षरित होगी और उसमें अंतरिती का नाम व पता कथित होगा।

TPA  की धारा 132:

  • यह धारा अनुयोज्य दावे के अंतरिती का दायित्व-अनुयोज्य दावे का अंतरिती ऐसे दावे को उन सब दायित्वों और साम्याओं के अध्यधीन लेगा जिनके अध्यधीन अंतरक, अंतरण की तारीख को उस दावे के बारे में था ।

निर्णयज विधि:

  • डोरियास्वामी मुदलियार बनाम डी. अयंगर (1925) के मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने माना कि भले ही TPA की धारा 130 में अंतरण की कोई स्पष्ट परिभाषा या शब्द निर्धारित नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य स्पष्ट है।