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आपराधिक कानून

विधिक उत्तराधिकारियों को आयुध अनुज्ञप्ति का अंतरण

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 21-Nov-2025

माइकल महेश क्रिस सलदान्हा बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य 

"जब आयुध नियम 2016 के नियम 25 के अधीन आवेदन अनुज्ञप्तिधारी के जीवनकाल के दौरान किया जाता है, तो अंतरिती के लिये जीवन के लिये खतरा साबित करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।" 

न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज 

स्रोत: कर्नाटक उच्च न्यायालय 

चर्चा में क्यों? 

कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज ने माइकल महेश क्रिस सलदान्हा बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य (2025)के मामले मेंआयुध अनुज्ञप्ति आवेदन की नामंजूरी को रद्द कर दिया और अधिकारियों को आयुध नियम 2016 के नियम 25 के अधीन अंतरण की प्रक्रिया करने का निदेश दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि विधिक उत्तराधिकारी को अग्न्यायुध अंतरित करते समय जीवन के लिये खतरा होने का कोई सबूत आवश्यक नहीं है। 

माइकल महेश क्रिस सलदान्हा बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • याचिकाकर्त्ता, 41 वर्षीय कमांडर/पायलट, ने आयुध नियम 2016 के नियम 25 के अधीन आयुध अनुज्ञप्ति के लिये आवेदन किया था। 
  • उनके पिता, जिनकी आयु 75 वर्ष थी, के पास .32 कैलिबर रिवॉल्वर के लिये वैध आयुध अनुज्ञप्ति थी और यह अनुज्ञप्ति उनके पास 1971 से (लगभग 54 वर्ष) थी 
  • पितारिवॉल्वर कोअपने विधिक उत्तराधिकारी के रूप में याचिकाकर्त्ता को अंतरित करना चाहते थे। 
  • आवेदन को शुरू में पुलिस आयुक्त, मंगलुरु द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि याचिकाकर्त्ता को कोई जान का खतरा नहीं है। 
  • याचिकाकर्त्ता ने अपील दायर की, जिसे स्वीकार कर लिया गया तथा नामंजूरी आदेश को अपास्त कर दिया गया। 
  • अपीलीय प्राधिकारी द्वारा नामंजूरी को अपास्त करते हुए भी, पुलिस आयुक्त ने 24.07.2025 को एक अनुमोदन जारी कर अनुज्ञप्ति देने से इंकार कर दिया, जिसमें पुनः यह कहा गया कि जीवन को कोई खतरा नहीं है। 
  • याचिकाकर्त्ता ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अधीन एक रिट याचिका के माध्यम से कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। 
  • याचिकाकर्त्ता ने विवादित अनुमोदन को रद्द करने तथा आयुध अनुज्ञप्ति प्रदान करने का निदेश देने की मांग की। 
  • आवेदन के समय याचिकाकर्त्ता के पास कोई अन्य आयुध अनुज्ञप्ति नहीं थी 

न्यायालय की टिप्पणियां क्या थीं? 

  • न्यायालय ने कहा किजब नियम 25 के अधीन आवेदन अनुज्ञप्तिधारी के जीवनकाल के दौरान किया जाता है, तो जब तक अनुज्ञप्तिधारी की आयु 70 वर्ष से अधिक है या वह 25 वर्ष से अधिक समय से अग्न्यायुध अनुज्ञप्ति धारण कर रहा है, तब तकअंतरिती के लिये जीवन के लिये खतरा साबित करने की कोई आवश्यकता नहीं है । 
  • केवल जीवन को खतरा न होने के आधार पर नामंजूरी कोआयुध नियम 2016 के नियम 25 के विपरीतपाया गया । 
  • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि आवेदन आत्म-सुरक्षा के आधार पर नए आयुध अनुज्ञप्ति के लिये नहीं था, अपितुनियम 25 के विशिष्ट प्रावधानों के अधीन अंतरणके लिये था । 
  • प्रतिवादी प्राधिकारियों नेजीवन के लिये खतरा मानदंड लागू करकेविधिक ढाँचे को गलत समझा था, जो नई अनुज्ञप्ति आवेदनों के लिये सुसंगत है, किंतु नियम 25 के अधीन अंतरण के लिये नहीं। 

न्यायालय के निदेश : 

कर्नाटक उच्च न्यायालय: 

  1. रिट याचिका को अनुमति दी गई। 
  2. पुलिस आयुक्त, मंगलुरु द्वारा जारी दिनांक 24.07.2025 के अनुमोदन को रद्द करने के लियेएक उत्प्रेषण रिट जारी की गई। 
  3. पुलिस आयुक्त को निदेश देते हुएएक परमादेश जारी किया गया : 
  4. आयुध नियम 2016 के नियम 25(1) के खण्ड (ख) के अनुसार याचिकाकर्त्ता के आवेदन पर कार्रवाई करें।  
  5. न्यायालय के आदेश कीप्राप्ति की तिथि से 4 सप्ताहकी अवधि के भीतर अनुज्ञप्ति जारी करें।  

आयुध नियम, 2016 क्या हैं? 

परिचय: 

  • आयुध अधिनियम, 1959की धारा 44 के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार द्वारा आयुध नियम, 2016 को अधिसूचित किया गया। 

आयुध अधिनियम, 1959 

  • यह अधिनियम आयुध एवं गोलाबारूद से संबंधित विधि को समेकित एवं संशोधित करता है। 
  • इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य अवैध आयुधों और गोला-बारूद के प्रचलन को विनियमित और प्रतिबंधित करना है। 
  • इस अधिनियम ने कुछ विधि का पालन करने वाले नागरिकों के लिये आत्मरक्षा सहित कुछ विशिष्ट उद्देश्यों के लिये अग्न्यायुध रखने और उनका उपयोग करने की आवश्यकता को मान्यता दी। 
  • यह 1 अक्टूबर 1962 को लागू हुआ । 
  • ये नियम 14 जुलाई 2016 को लागू हुए, तथा इन्होंने आयुध नियम, 1962 का स्थान लिया, जो पाँच दशकों से अधिक समय से अग्न्यायुध अनुज्ञप्ति को नियंत्रित कर रहा था। 
  • भारत में अग्न्यायुधों के अर्जन, कब्जे और ले जाने के लिये अनुज्ञप्ति व्यवस्था कोसुव्यवस्थित और आधुनिक बनानेके लिये आयुध नियम 2016 तैयार किये गए थे। 
  • ये नियमअनुज्ञप्ति आवेदन, नवीनीकरण, अंतरण, अभिलेख रखने और अनुपालन आवश्यकताओं सहित विभिन्न पहलुओं के लियेविस्तृत प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश प्रदान करते हैं। 
  • 2016 के नियमों में निम्नलिखित उद्देश्य से कई सुधार प्रस्तुत किये गए: 
  • विधि का पालन करने वाले नागरिकों के लिये आयुध अनुज्ञप्ति प्राप्त करने कीप्रक्रिया को सरल बनाना। 
  • अनुज्ञप्ति प्रक्रियाओं काडिजिटलीकरण। 
  • स्पष्ट दिशा-निर्देशों के माध्यम से अनुज्ञप्ति प्राधिकारियों केविवेकाधिकार को कम करना। 
  • सुरक्षा उपायोंऔर पृष्ठभूमि सत्यापन प्रक्रियाओं को मजबूत करना। 
  • परिवारों के भीतर अग्न्यायुधों के उत्तराधिकारऔर अंतरण को सुगम बनाना। 

इस नियम के अंतर्गत अनुज्ञप्ति: 

नियमों में अनुज्ञप्ति की विभिन्न श्रेणियाँ सम्मिलित हैं: 

  • अग्न्यायुधों के अर्जन और कब्जे के लिये अनुज्ञप्ति 
  • अग्न्यायुध ले जाने के लिये अनुज्ञप्ति।. 
  • आयुधों और गोलाबारूद के विक्रय और निर्माण के लिये अनुज्ञप्ति 
  • खिलाड़ियों, सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों के लिये विशेष उपबंध 

आयुध नियम 2016 का नियम 25: 

आयुध नियम 2016 का नियम 25 विधिक उत्तराधिकारियों को अनुज्ञप्ति प्रदान करनेसे संबंधित है तथा परिवारों के भीतर अग्न्यायुधों के अंतरण के लिये एक तंत्र प्रदान करता है। 

स्थानांतरण के प्रावधान: 

उप-नियम (1) - दो परिदृश्य: 

  • (क) मृत्यु के पश्चात्:अनुज्ञप्ति प्राधिकारी अनुज्ञप्तिधारी की मृत्यु के पश्चात् विधिक उत्तराधिकारी को अनुज्ञप्ति प्रदान कर सकता है। 
  • (ख) जीवनकाल के दौरान:किसी अन्य मामले में, जब अनुज्ञप्तिधारी 70 वर्ष की आयुप्राप्त कर लेता है या 25 वर्षों से अग्न्यायुध धारण करताहै, जो भी पहले हो, उसके द्वारा नामित किसी विधिक उत्तराधिकारी को। 

अनुदान की शर्तें: 

उप-नियम (1) के परंतुक मेंकहागया है कि नियम 12 के होते हुए भी, अनुज्ञप्ति प्राधिकारी विधिक उत्तराधिकारी को अनुज्ञप्ति प्रदान कर सकता है यदि:  

  • आयुध अधिनियम और नियमों के अधीन पात्रता की शर्तें विधिक उत्तराधिकारी द्वारा पूरी की जातीहैं। 
  • विधिक उत्तराधिकारी के संबंध में पुलिस रिपोर्ट में कोईप्रतिकूल टिप्पणी नहींहै। 

एकाधिक विधिक उत्तराधिकारी: 

उप-नियम (2)एक से अधिक विधिक उत्तराधिकारी होने पर प्रक्रिया प्रदान करता है: 

  • अन्य सभी द्वारा नामित एक विधिक उत्तराधिकारी आवेदन कर सकता है। 
  • निम्नलिखित प्रदान करना होगा: (i) अन्य उत्तराधिकारियों से अनापत्ति घोषणा, (ii) पूर्ण अनुज्ञप्ति विवरण के साथ क्षतिपूर्ति बंधपत्र, और (iii) मृतक अनुज्ञप्तिधारी का मृत्यु प्रमाण पत्र। 

आयुधों का व्ययन: 

  • उप-नियम (3)के अनुसार, यदि विधिक उत्तराधिकारी अग्न्यायुधों को अपने पास न रखने का निर्णय लेते हैं, तो वे अनुज्ञप्तिधारी विक्रेता या किसी अधिकृत व्यक्ति को आयुध बेचने हेतु निर्धारित सीमित अवधि की अनुमति प्रदान किये जाने के लिये आवेदन कर सकते हैं।