होम / भारतीय साक्ष्य अधिनियम (2023) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872)
आपराधिक कानून
IEA की धारा 7
« »29-Mar-2024
परिचय:
संव्यवहार को बनाने वाली घटनाओं की शृंखला आपस में इस तरह जुड़ी हो सकती है, जिसमें एक को दूसरे से अलग करना कठिन हो जाता है। ऐसी परिस्थितियों में, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) की धारा 7 तथ्यों के एक बड़े क्षेत्र को शामिल करके उन्हें सुसंगत बनाती है, जो हालाँकि संभवतः संव्यवहार का हिस्सा नहीं बनते हैं लेकिन विशेष तरीकों से इसके साथ जुड़े होते हैं।
IEA की धारा 7:
- यह धारा उन तथ्यों से संबंधित है जो विवाद्यक तथ्यों के प्रसंग, हेतुक या परिणाम हैं।
- इसमें कहा गया है कि वे तथ्य सुसंगत हैं, जो सुसंगत तथ्यों के या विवाद्यक तथ्यों के अव्यवहित या अन्यथा प्रसंग, हेतुक या परिणाम हैं, या जो उस वस्तुस्थिति को गठित करते हैं, जिसके अंतर्गत वे घटित हुए या जिसने उनके घटन या संव्यवहार का अवसर दिया।
- दृष्टांत:
- प्रश्न यह है कि क्या A न B को लूटा। ये तथ्य सुसंगत हैं कि लूट के थोड़ी देर पहले B अपने कब्ज़े में धन लेकर किसी मेले में गया, और उसने दूसरे व्यक्तियों को उसे दिखाया या उनसे इस तथ्य का कि उसके पास धन है, उल्लेख किया।
- प्रश्न यह है कि क्या A न B को विष दिया। विष से उत्पन्न कहे जाने वाले लक्षणों के पूर्व B के स्वास्थ्य की दशा और A को ज्ञात B की वे आदतें, जिनसे विष देने का अवसर मिला, सुसंगत तथ्य हैं।
धारा 7 के आवश्यक तत्त्व:
- प्रसंग:
- साक्ष्य हमेशा उन परिस्थितियों का दिया जा सकता है जो किसी घटना के घटित होने का प्रसंग बनती हैं।
- हेतुक:
- हेतुक बताता है कि कोई विशेष कार्य क्यों किया गया।
- यह मुख्य कार्य के घटित होने की व्याख्या करने में सहायता करता है और हेतुक का साक्ष्य स्वीकार्य होता है।
- जो चीज़ें किसी कार्य को आवश्यक बनाती हैं, वे उसके लिये प्रेरणा भी प्रदान करती हैं।
- परिणाम:
- प्रत्येक कार्य अपने पीछे कुछ परिणाम छोड़ता है जो न केवल घटना के घटित होने के तरीके पर, बल्कि कार्य की प्रकृति पर भी प्रकाश डालता है।
- अवसर:
- कोई भी कार्य अभियुक्त को अवसर दिये बिना नहीं किया जा सकता।
- अवसर का साक्ष्य महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि यह दर्शाता है कि जिस व्यक्ति को कार्य करने का अवसर मिला, उसने वह कार्य किया। इससे कई संदिग्धों को समाप्त करने में सहायता मिलती है।
- हालाँकि, केवल अवसर ही पर्याप्त नहीं होता है, अपराध के वास्तविक कमीशन को साबित करने के लिये अन्य साक्ष्यों की भी आवश्यकता होती है।
- वस्तुस्थिति:
- वे तथ्य जो उस पृष्ठभूमि का निर्माण करते हैं जिसमें सैद्धांतिक तथ्य घटित हुए, सुसंगत होते हैं और साबित किये जा सकते हैं।
- वस्तुस्थिति उस पृष्ठभूमि का निर्माण करती है जिसके अंतर्गत घटना घटित हुई।
निर्णयज विधि:
- आर. बनाम रिचर्डसन (1758): इस अंग्रेज़ी मामले में, मृत लड़की अपने मकान में अकेली थी। उसका अकेले रहना हत्या कारित करने का उचित अवसर था।
- रैटन बनाम रेगिनम (1971): अभियुक्त पर अपनी पत्नी को गोली मारने के लिये मुकदमा चलाया गया था और उसने दुर्घटना का बचाव किया था, तथ्य यह है कि अभियुक्त अपनी पत्नी से नाखुश था तथा उसका किसी अन्य महिला के साथ भी संबंध था, इसे सुसंगत माना गया, क्योंकि यह दोनों पक्षकारों के बीच की वस्तुस्थिति का गठन करता था।