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सिविल कानून
मोटर यान अधिनियम की धारा 163क
«05-Aug-2025
वाकिया अफरीन (अवयस्क) बनाम मेसर्स नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड "हमारा मानना है कि धारा 163क के अधीन स्वामी/बीमित व्यक्ति के रूप में दावे में बीमाकर्त्ता की देयता से संबंधित इस विवाद्यक पर एक आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता है। दो न्यायाधीशों की विभिन्न पीठों के विभिन्न निर्णयों से यह निष्कर्ष निकलता है कि धारा 163क के अधीन दावा अन्य पक्षकार के जोखिमों तक सीमित है, जिससे हम, पूरे सम्मान के साथ, सहमत नहीं हो सकते।" जस्टिस सुधांशु धूलिया और के. विनोद चंद्रन |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन ने परस्पर विरोधी पूर्व निर्णयों के कारण, इस प्रश्न को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया है कि क्या आत्म-दुर्घटनाओं में मरने वाले वाहन स्वामियों के विधिक उत्तराधिकारी मोटर यान अधिनियम की धारा 163क के अधीन प्रतिकर का दावा कर सकते हैं।
- उच्चतम न्यायालय ने वाकिया आफरीन (अवयस्क) बनाम मेसर्स नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2025) के मामले में यह निर्णय दिया गया।
वाकिया अफरीन (अवयस्क) बनाम मेसर्स नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले की पृष्ठभूमि क्या थी ?
- दो वर्षीय वाकिया अफरीन ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया, जब उनका वाहन टायर फटने के कारण नियंत्रण से बाहर हो गया और सड़क किनारे एक इमारत से टकरा गया, जिससे उसमें सवार सभी चार लोगों की मृत्यु हो गई, जिनमें उसके पिता भी सम्मिलित थे, जो अपना स्वयं का बीमाकृत वाहन चला रहे थे।
- वाकिया की चाची ने अनाथ बच्चे का प्रतिनिधित्व करते हुए मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 163क के अधीन प्रतिकर दावा दायर किया, तथा माता-पिता दोनों की मृत्यु के लिये बिना किसी दोष के दायित्त्व प्रतिकर मांगा।
- वाहन का बीमा नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा पिता के नाम पर वैध पॉलिसी के अधीन कराया गया था, जिसमें स्वामी-चालक कवरेज 2 लाख रुपए तक सीमित था।
- मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने माता की मृत्यु के लिये 4,08,000/- रुपए और पिता की मृत्यु के लिये 4,53,339/- रुपए का प्रतिकर दिया।
- उड़ीसा उच्च न्यायालय ने इस निर्णय को पलट दिया और कहा कि दावे पोषणीय नहीं हैं, क्योंकि मृत व्यक्ति को प्रतिवादी नहीं बनाया जा सकता।
- क्या मृतक वाहन स्वामी के परिवार के सदस्य धारा 163क के दोष-रहित दायित्त्व प्रावधान के अधीन प्रतिकर का दावा कर सकते हैं, या क्या ऐसे दावे केवल अन्य पक्षकार के पीड़ितों तक ही सीमित हैं।
- वाकिया, अपने पिता की संपत्ति की एकमात्र उत्तराधिकारी होने के नाते, एक साथ प्रतिकर का दायित्त्व नहीं उठा सकती और न ही उसे प्राप्त कर सकती है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के तर्क को मूलतः त्रुटिपूर्ण पाया, तथा कहा कि मोटर यान अधिनियम की धारा 155 यह सुनिश्चित करती है कि बीमाधारक की मृत्यु के पश्चात् भी बीमा कंपनियों के विरुद्ध दावे कायम रहेंगे, क्योंकि दायित्त्व मृतक की संपत्ति पर स्थानांतरित हो जाता है, जिसकी क्षतिपूर्ति बीमा कंपनी को करनी होती है।
- न्यायालय ने आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि धारा 163क वैध पॉलिसी होने पर प्रत्येक दावे की बात करती है तथा यह केवल अन्य पक्षकार के दावों तक सीमित नहीं है, तथा मोटर दुर्घटना के कारण मृत्यु या स्थायी विकलांगता होने पर उपेक्षा के सबूत की आवश्यकता नहीं होती है।
- न्यायालय ने कहा कि धारा 163क का गैर-बाधक खण्ड (non-obstante clause) मोटर यान अधिनियम, अन्य सभी प्रावधानों, अन्य विधियों तथा बीमा पॉलिसी की शर्तों पर प्रभावी अधिभावी प्रभाव रखता है, तथा बीमा संबंधी विधिक प्रावधानों और संविदात्मक सीमाओं पर इसका प्रभाव अतिक्रमित होता है।
- न्यायालय ने धारा 163क को लाभकारी सामाजिक सुरक्षा विधि के रूप में देखा, जो बढ़ती मोटर दुर्घटनाओं और भीड़भाड़ वाली सड़कों पर उपेक्षा से वाहन चलाने को साबित करने में आने वाली कठिनाइयों के कारण व्यापक दोष-रहित दायित्त्व के लिये बनाई गई है।
- न्यायालय ने धारा 163क को अन्य पक्षकार के जोखिमों तक सीमित करने वाले विभिन्न दो न्यायाधीशों की पीठ के निर्णयों से सम्मानपूर्वक असहमति व्यक्त की, तथा टिप्पणियों में काफी भिन्नता देखी, किंतु धारा 147 और 149 के अधीन अन्य पक्षकार के जोखिमों तक कवरेज को सीमित करने वाले स्थापित सिद्धांत को स्वीकार किया।
- न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि माता की मृत्यु के लिये दावा स्वीकार किया जाना चाहिये तथा अधिकरण की धारा 163क के अधीन दिये गए पंचाट को बहाल किया जाना चाहिये, क्योंकि इस पहलू पर कोई विवाद नहीं है।
- न्यायालय ने कहा कि यद्यपि पॉलिसी में स्वामी-चालक कवरेज को 2 लाख रुपए तक सीमित कर दिया गया है, किंतु यह प्रश्न बना हुआ है कि क्या बीमाकर्त्ता के दायित्त्व को पॉलिसी की शर्तों तक सीमित किया जा सकता है या धारा 163क के व्यापक प्रावधानों के अधीन निर्धारित किया जा सकता है।
- न्यायालय ने कहा कि स्वामी/बीमित दावों के लिये धारा 163क के अधीन बीमाकर्त्ता के दायित्त्व के संबंध में परस्पर विरोधी निर्वचनों के लिये एक बड़ी पीठ से आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता है, तथा प्रावधान के दायरे को सीमित करने वाले समन्वित पीठ के निर्णयों की सत्यता के बारे में संदेह व्यक्त किया।
मोटर यान अधिनियम की धारा 163क क्या है?
- बारे में
- धारा 163क मोटर यान अधिनियम, 1988 में एक विशेष उपबंध है, जो मोटर यान दुर्घटनाओं के पीड़ितों को एक निश्चित फार्मूले के आधार पर प्रतिकर प्रदान करता है, जिसमें उन्हें किसी की दोष या उपेक्षा साबित करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- प्रमुख विशेषताऐं
- दोष-रहित दायित्त्व: यह धारा एक "दोष-रहित दायित्त्व" प्रणाली बनाती है, जिसका अर्थ है कि पीड़ित या उनके परिवार यह साबित किये बिना भी प्रतिकर का दावा कर सकते हैं कि दुर्घटना किसी की भूल, उपेक्षा या दोषपूर्ण कार्य के कारण हुई थी।
- निश्चित प्रतिकर फार्मूला: प्रतिकर की राशि पूर्व निर्धारित होती है और अधिनियम की दूसरी अनुसूची में सूचीबद्ध होती है, जिससे राशि को मामले दर मामले तय करने के बजाय एक संरचित भुगतान प्रणाली बनाई जाती है।
- अधिभावी प्रावधान: धारा 163क मोटर यान अधिनियम और किसी भी अन्य विद्यमान विधि या विधिक साधनों के सभी प्रावधानों को अधिभावी बनाती है, जिससे यह एक श्रेष्ठ प्रावधान बन जाता है जो परस्पर विरोधी नियमों पर वरीयता प्राप्त करता है।
- कौन दावा कर सकता है?
- मृत्यु की स्थिति में: मृतक के विधिक उत्तराधिकारी प्रतिकर का दावा कर सकते हैं। स्थायी नि:शक्तता की स्थिति में: घायल पीड़ित स्वयं प्रतिकर का दावा कर सकते हैं।
- किसे भुगतान करना होगा?
- वाहन स्वामी: दुर्घटना में शामिल मोटर यान का स्वामी बीमा कंपनी: वाहन का अधिकृत बीमाकर्त्ता (यदि उचित रूप से बीमाकृत हो)
- कौन सी दुर्घटनाएँ कवर होती हैं?
- यह धारा "मोटर यान के उपयोग से उत्पन्न होने वाली दुर्घटनाओं" पर लागू होती है, जिसमें सड़कों पर सामान्य उपयोग के दौरान मोटर यान से जुड़ी कोई भी दुर्घटना सम्मिलित है।
- क्षतियों के प्रकार जो आच्छादित (Covered) हैं
- मृत्यु: द्वितीय अनुसूची के अनुसार पूर्ण प्रतिकर स्थायी नि:शक्तता: कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम, 1923 में परिभाषित नि:शक्तता की डिग्री के आधार पर प्रतिकर।
- पीड़ितों को क्या साबित करने की आवश्यकता नहीं है
- धारा 163क के अधीन, दावेदारों को यह साबित करने की आवश्यकता नहीं है:
- यह कि दुर्घटना दोषपूर्ण कार्य के कारण हुई थी
- कि कोई व्यक्ति उपेक्षाकारी या लापरवाह था
- वाहन स्वामी द्वारा कोई व्यतिक्रम किया गया था
- कि किसी अन्य व्यक्ति दोष था
- सरकार को अद्यतन करने की शक्ति
- केन्द्रीय सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह द्वितीय अनुसूची में उल्लिखित प्रतिकर राशि को समय-समय पर संशोधित कर सके, जिसमें मूल्यवृद्धि एवं जीवन-यापन की लागत (cost of living) में परिवर्तनों को ध्यान में रखा जाता है।
- इस धारा की आवश्यकता क्यों है
- सामाजिक सुरक्षा: यह प्रावधान दुर्घटना पीड़ितों एवं उनके आश्रितों के लिये एक सामाजिक सुरक्षा उपाय के रूप में कार्य करता है।
- त्वरित अनुतोष: यह दोष निर्धारण पर लंबी विधिक प्रक्रिया के बिना शीघ्र प्रतिकर प्रदान करता है।
- भार में कमी: यह न्यायालय में उपेक्षा साबित करने की जटिल प्रक्रिया को समाप्त करता है।
- व्यापक सुरक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि दुर्घटना का कारण कोई भी हो, पीड़ित को प्रतिकर प्राप्त हो।