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आपराधिक कानून

गृह अतिचार और प्रच्छन्न गृह अतिचार

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 20-Mar-2024

परिचय:

उस संपत्ति में अतिचार करना जहाँ एक व्यक्ति रहता है और अपना सामान रखता है, आपराधिक अतिचार का एक गुरुतर रूप होता है। इसका उद्देश्य लोगों की निजी संपत्ति के शांतिपूर्ण उपभोग के अधिकार की रक्षा करने के लिये, इसे एक अपराध माना जाता है।

गृह अतिचार:

  • भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 442, गृह अतिचार को परिभाषित करती है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई किसी निर्माण, तंबू या जलयान में, जो मानव - निवास के रूप में उपयोग में आता है, या किसी निर्माण में, जो उपासना-स्थान के रूप में, या किसी संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रूप में उपयोग में आता है, प्रवेश करके या उसमें बना रह कर, आपराधिक अतिचार करता है, वह “गृह-अतिचार” करता है, यह कहा जाता है।
  • आपराधिक अतिचार करने वाले व्यक्ति के शरीर के किसी भाग का प्रवेश गृह अतिचार गठित करने के लिये पर्याप्त प्रवेश है।

गृह अतिचार के आवश्यक संघटक:

  • अभियुक्त ने विधिविरुद्ध तरीके से प्रवेश करके या प्रारंभिक वैध प्रवेश के बाद विधिविरुद्ध तरीके से संपत्ति पर रहकर आपराधिक अतिचार किया।
  • ऐसा अतिचार किसी निर्माण, तंबू या जलयान के संबंध में था।
  • ऐसे निर्माण, तंबू या जलयान का उपयोग मानव आवास के रूप में या पूजा स्थल के रूप में या संपत्ति भंडारण के स्थान के रूप में किया जाता था।

गृह अतिचार के लिये सज़ा:

  • IPC की धारा 448 गृह अतिचार के लिये सज़ा से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई गृह-अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या ज़ुर्माने से, जो एक हज़ार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

 प्रच्छन्न गृह अतिचार:

  • IPC की धारा 449 से 452 गृह-अतिचार के निम्नलिखित विभिन्न प्रच्छन्न रूपों से संबंधित हैं, जो गृह-अतिचार करने वाले व्यक्ति के आशय पर आधारित हैं।
  • मृत्युदण्ड से दण्डनीय अपराध करने के लिये गृह-अतिचार:
    • IPC की धारा 449 में कहा गया है कि जो कोई मृत्यु से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिये गृह-अतिचार करेगा, वह आजीवन कारावास से, या कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक नहीं होगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
  • आजीवन कारावास के दण्डनीय अपराध करने के लिये गृह-अतिचार:
    • IPC की धारा 450 में कहा गया है कि जो कोई आजीवन कारावास से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिये गृह- अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक नहीं होगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
  • कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिये गृह-अतिचार:
    • IPC की धारा 451 में कहा गया है कि जो कोई कारावास से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिये गृह - अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा, तथा यदि वह अपराध, जिसका किया जाना आशयित हो, चोरी हो, तो कारावास की अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी।
  • उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार:
    • IPC की धारा 452 में कहा गया है कि जो कोई किसी व्यक्ति को उपहति कारित करने की, या किसी व्यक्ति पर हमला करने की, या किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध करने की अथवा किसी व्यक्ति को उपहति के, या हमले के, सदोष अवरोध के भय में डालने की तैयारी करके गृह-अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

प्रच्छन्न गृह अतिचार:

  • यदि आपराधिक अतिचार गुप्त तरीके से किया जाता है, तो इसे प्रच्छन्न गृह अतिचार माना जाता है।
  • IPC की धारा 443 प्रच्छन्न गृह अतिचार को परिभाषित करती है।
  • इस धारा में कहा गया है कि जो कोई यह पूर्वावधानी बरतने के पश्चात् गृह-अतिचार करता है कि ऐसे गृह-अतिचार को किसी ऐसे व्यक्ति से छिपाया जाए जिसे उस निर्माण, तंबू या जलयान में से, जो अतिचार का विषय है, अतिचारी को अपवर्जित करने या बाहर कर देने का अधिकार है, वह "प्रच्छन्न गृह-अतिचार" करता है, यह कहा जाता है।
  • प्रच्छन्न अतिचार का अर्थ है कि अभियुक्त ने अपनी उपस्थिति को छिपाने के लिये कुछ सक्रिय साधन अपनाए।

प्रच्छन्न गृह अतिचार के लिये सज़ा:

  • IPC की धारा 453 प्रच्छन्न गृह अतिचार के लिये सज़ा से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

गुरुतर प्रच्छन्न गृह अतिचार:

  • IPC की धाराएँ 454, 455 और 459 प्रच्छन्न गृह अतिचार के गुरुतर रूपों से संबंधित हैं।
  • कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिये प्रच्छन्न गृह-अतिचार:
    • IPC की धारा 454 में कहा गया है कि जो कोई कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिये प्रच्छन्न गृह-अतिचार का गृह भेदन करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा, तथा यदि वह अपराध, जिसका किया जाना आशयित हो, चोरी हो, तो कारावास की अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी।
  • उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गृह- अतिचार:
    • IPC की धारा 455 में कहा गया है कि जो कोई किसी व्यक्ति को उपहति कारित करने की या किसी व्यक्ति पर हमला करने की या किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध करने की अथवा किसी व्यक्ति को उपहति के, या हमले के, या सदोष अवरोध के भय में डालने की तैयारी करके, प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
    • इस धारा के तहत किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिये बिना किसी संदेह के यह साबित करना होगा कि अभियुक्त ने प्रच्छन्न गृह- अतिचार या गृह-भेदन किया है। उसने ऐसा किसी व्यक्ति को उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् किया।
  • प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो:
    • IPC की धारा 459 में कहा गया है कि जो कोई प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन करते समय किसी व्यक्ति को घोर उपहति कारित करेगा या किसी व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा।