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आपराधिक कानून
IPC में चुनाव से संबंधित अपराध
« »07-Jun-2024
परिचय:
चुनाव से संबंधित अपराधों में विभिन्न चुनावी कदाचार जैसे रिश्वतखोरी, चुनाव पर अनुचित प्रभाव, छद्मवेश और अन्य गैरकानूनी गतिविधियाँ शामिल हैं जो चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।
- भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) का अध्याय IX-A और भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) का अध्याय IX चुनाव से संबंधित अपराधों से संबंधित है।
- अध्याय IX-A का विस्तार इतना व्यापक है कि इसमें संसद, राज्य विधानमंडल के चुनावों के साथ-साथ पंचायतों एवं नगर निकायों जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल हैं।
चुनाव से संबंधित अपराधों पर विधि के उद्देश्य क्या हैं?
- स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव
- चुनावी कदाचार पर नियंत्रण
- चुनाव प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखना
- लोकतंत्र की रक्षा करना
चुनाव से संबंधित अपराधों के लिये क्या प्रावधान हैं?
- रिश्वतखोरी: धारा 171-B (BNS की धारा 170):
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171B और BNS की धारा 170 किसी व्यक्ति को उसके निर्वाचन अधिकार का प्रयोग करने के लिये प्रेरित करने हेतु किसी प्रकार का रिश्वत देने या प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगाती है।
- इस धारा के अंतर्गत रिश्वत देने वाले व्यक्ति और रिश्वत प्राप्तकर्त्ता दोनों पर वाद चलाया जा सकता है।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-E और BNS की धारा 174 के अनुसार, जो कोई रिश्वतखोरी का अपराध करेगा, उसे एक वर्ष तक के कारावास या अर्थदण्ड या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
- चुनावों में अनुचित प्रभाव: धारा 171-C (BNS की धारा 171)
- अनुचित प्रभाव से तात्पर्य किसी ऐसे कार्य या धमकी से है जो किसी व्यक्ति को किसी निश्चित तरीके से मतदान करने या मतदान न करने के लिये बाध्य करता है।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171C और BNS की धारा 170 के तहत चुनाव के दौरान मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव डालना अपराध माना गया है।
- इसमें मतदाता के व्यवहार को प्रभावित करने के लिये प्रपीड़न, धमकी अथवा किसी अन्य अविधिक तरीके का प्रयोग करना शामिल है।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-F और BNS की धारा 174 के अनुसार, जो कोई भी अनुचित प्रभाव का अपराध करता है, उसे एक वर्ष तक की अवधि के कारावास या अर्थदण्ड से दण्डित किया जाएगा।
- प्रतिरूपण (छद्मवेश): धारा 171-D (BNS की धारा 172):
- प्रतिरूपण तब होता है जब कोई व्यक्ति वोट डालने के लिये किसी अन्य व्यक्ति का रूप धारण कर लेता है।
- IPC की धारा 171-D और BNS की धारा 172 चुनाव के दौरान किसी अन्य व्यक्ति के रूप में पहचान छिपाने के कृत्य से संबंधित है। यह धारा उन लोगों पर आरोपित होती है जो किसी अन्य मतदाता का रूप धारण करते हैं या ऐसी धोखाधड़ी गतिविधियों में सहायता करते हैं।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-F और धारा 174 के अनुसार, जो कोई भी अनुचित प्रभाव या प्रतिरूपण का अपराध करता है, उसे एक वर्ष तक की अवधि के कारावास या अर्थदण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- चुनाव के संबंध में झूठा बयान: धारा 171-G (IPC की धारा 175):
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-G और BNS की धारा 175 चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के आशय से झूठे बयान या सूचना के प्रकाशन से संबंधित है।
- जो कोई भी उम्मीदवार की चुनावी संभावनाओं को हानि पहुँचाने के लिये उसके व्यक्तिगत चरित्र या आचरण के विषय में गलत बयान देता या प्रकाशित करता है, तो उसे इस धारा के तहत अर्थदण्ड से दण्डित किया जा सकता है।
- चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान: धारा 171-H (IPC की धारा 176):
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-H और धारा 176, चुनाव के संबंध में किये गए किसी भी व्यय का नकद भुगतान करने पर रोक लगाती है, जो विधि द्वारा निर्दिष्ट राशि से अधिक हो।
- इस प्रावधान का उद्देश्य चुनाव व्यय को विनियमित करना तथा चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिये अवैध धन के उपयोग को रोकना है।
- चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान पर पाँच सौ रुपए तक का अर्थदण्ड लगाया जा सकता है।
- चुनाव लेखा रखने में विफलता: धारा 171-I (BNS की धारा 177):
- विधि के अनुसार उम्मीदवारों एवं राजनीतिक दलों को अपने चुनाव खर्च का उचित लेखा-जोखा रखना आवश्यक है।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-I तथा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 177 के अनुसार, चुनाव व्यय के संबंध में ऐसे चुनावी खातों का रखरखाव न करना या गलत या अपूर्ण सूचना देना अपराध है।
- चुनाव लेखा न रखने पर पाँच सौ रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकेगा।
चुनाव से संबंधित अपराधों पर ऐतिहासिक मामले क्या हैं?
- ई. अनूप बनाम केरल राज्य (2012):
- इस मामले में, याचिकाकर्त्ता कथित तौर पर मतदान केंद्र पर मतदान करने के लिये खुद को कुट्टीकट्टू पवित्रन के रूप में प्रस्तुत करके उपस्थित हुआ, यद्यपि याचिकाकर्त्ता वह व्यक्ति नहीं था जिसे वह होने का दावा कर रहा था।
- केरल उच्च न्यायालय ने उन्हें भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-D और 171-F के तहत दोषी पाया।
- इकबाल सिंह बनाम गुरदास सिंह (1975):
- याचिकाकर्त्ता ने दावा किया कि प्रतिवादी ने कथित तौर पर हरिजनों को बड़ी रकम वितरित की तथा मतदाताओं को लुभाने के लिये रिश्वत के रूप में बंदूक के लाइसेंस भी दिये।
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि चूँकि बंदूक के लाइसेंस या पैसे के बदले वोटों की सौदेबाज़ी के विषय में कोई साक्ष्य नहीं है, अतः याचिकाकर्त्ता के दावे आधारहीन हैं और मामले को खारिज कर दिया जाता है।
- राज राज देब बनाम गंगाधर (1962):
- उड़ीसा उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जाति के आधार पर लोगों को अपने पक्ष में वोट देने के लिये प्रेरित करता है, तो वह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-F के तहत अपराध के लिये उत्तरदायी होगा।
निष्कर्ष:
भारतीय दण्ड संहिता के तहत चुनाव से संबंधित अपराध चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। रिश्वतखोरी, अनुचित प्रभाव, प्रतिरूपण, झूठे बयान, अवैध भुगतान तथा चुनाव खातों को बनाए रखने में विफलता को दण्डित कर, ये विधिक प्रावधान स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखते हैं। भारत की चुनावी प्रणाली की अखंडता की रक्षा के लिये सभी मतदाताओं, उम्मीदवारों और चुनाव अधिकारियों के लिये इन विधियों का पालन करना अनिवार्य है।