एडमिशन ओपन: UP APO प्रिलिम्स + मेंस कोर्स 2025, बैच 6th October से   |   ज्यूडिशियरी फाउंडेशन कोर्स (प्रयागराज)   |   अपनी सीट आज ही कन्फर्म करें - UP APO प्रिलिम्स कोर्स 2025, बैच 6th October से










होम / करेंट अफेयर्स

सिविल कानून

सैनिक स्कूल चिकित्सीय मानक और दिव्यांगजन अधिकार

    «
 26-Sep-2025

एम.आर.वाई.यजीथ कृष्णा (अवयस्क) बनाम भारत संघ और अन्य (2025) 

"मद्रास उच्च न्यायालय ने सैनिक स्कूलों में प्रवेश के लिये कठोर चिकित्सीय मानकों को बरकरार रखा तथा सैन्य अकादमियों के लिये सहायक संस्थान के रूप में उनकी भूमिका पर बल दिया।" 

न्यायमूर्ति जी.के. इलांथिरयान 

स्रोत: मद्रास उच्च न्यायालय 

चर्चा में क्यों? 

न्यायमूर्ति जी.के. इलंथिरैयन की पीठ नेएम.आर. यजिथ कृष्ण (अल्पवयस्क) बनाम भारत संघ एवं अन्य (2025) के मामले में अखिल भारतीय सैनिक स्कूल प्रवेश परामर्श (AISSAC) के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को चुनौती देने वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया, विशेषकर सैनिक स्कूलों में कक्षा 6 में प्रवेश के लिये विहित नेत्र (दृष्टि) मानकों को।  

एम.आर. यजिथ कृष्ण (अल्पवयस्क) बनाम भारत संघ एवं अन्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • याचिकाकर्त्ता, जो एक 12 वर्षीय छात्र है, जिसका प्रतिनिधित्व उसके नैसर्गिक संरक्षक और माता द्वारा किया गया हैं, नेसैनिक स्कूल, अमरावती नगर, उदुमलपेट, जिला तिरुप्पुर में छठी कक्षा में प्रवेश के लिये आवेदन किया था। 
  • याचिकाकर्त्ता ने प्रवेश परीक्षा में 300 में से 227 अंक प्राप्त किये, जो अनुसूचित जाति श्रेणी के अंतर्गत निर्धारित कट-ऑफ अंकों के भीतर थे।  
  • शैक्षणिक प्रदर्शन के होते हुए भी, याचिकाकर्त्ता को दिनांक 27.06.2025 की संसूचना के अनुसार मेडिकल फिटनेस के सत्यापन के लिये मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोयंबटूर में चिकित्सा परीक्षा के लिये उपस्थित होने का निदेश दिया गया था। 
  • मेडिकल जांच में याचिकाकर्त्ता को 6/36 दृष्टि दोष के कारण नेत्र मानक-II के लिये चिकित्सकीय रूप से अयोग्य घोषित किया गया।  
  • याचिकाकर्त्ता ने पुनर्विलोकन के लिये आवेदन कियाऔर उसे आगे की जांच के लिये सैन्य अस्पताल, चेन्नई में रिपोर्ट करने का निदेश दिया गया, किंतु प्रारंभिक चिकित्सा रिपोर्ट की पुष्टि की गई।  
  • याचिकाकर्त्ता ने इस नामंजूरी कोदिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अधीन विभेदपूर्ण बताते हुए चुनौती दी, तथा तर्क दिया कि यह अधिनियम की धारा 3, 4 और 16 का उल्लंघन है।  
  • याचिकाकर्त्ता ने तर्क दिया कि उनकी अस्वीकृति केवल चिकित्सा आधार पर थी, न कि शैक्षणिक अयोग्यता के कारण, जो संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। 

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं? 

  • न्यायालय ने कहा कि सभी सैनिक स्कूल सैनिक स्कूल सोसायटी और रक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करते हैं और कक्षा 6 से शुरू होने वाले आवासीय संस्थान हैं। 
  • सैनिक स्कूलों का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय नौसेना अकादमी के लिये सहायक संस्थान के रूप में कार्य करना है, जिसके लिये कठोर चिकित्सा मानकों की आवश्यकता होती है। 
  • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि सैनिक स्कूलों का उद्देश्य छात्रों को सैन्य अधिकारियों के रूप में भविष्य की भूमिकाओं के लिये तैयार करना है, तथा उनकी मानसिक और शारीरिक तैयारी पर ध्यान केंद्रित करना है।  
  • सैनिक स्कूलों में प्रवेश से पहले मेडिकल परीक्षणअनिवार्यहै और यह रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा अनिवार्य है। 
  • न्यायालय ने निर्णय दिया किनिःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE)  अधिनियम, 2009 की धारा 12 () औरदिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 3, 4 और 16 केप्रावधान ऐसे विशेष सैन्य तैयारी स्कूलों पर लागू नहीं होते हैं। 
  • न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्त्तामानक संचालन प्रक्रिया (SOP) कोशुरू में स्वीकार करने और प्रवेश परीक्षा में बैठने के बाद उसे चुनौती नहीं दे सकता। 
  • न्यायालय ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसे "अखिल भारतीय सैनिक स्कूल प्रवेश परामर्श (AISSAC) 2025 के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) में कोई कमी या अवैधता नहीं मिली।" 

सैनिक स्कूल क्या हैं? 

बारे में: 

  • सैनिक स्कूल भारत में आवासीय शैक्षणिक संस्थान हैं जो छात्रों को सशस्त्र बलों में करियर के लिये तैयार करते हैं। 
  • ये स्कूल सैनिक स्कूल सोसायटी और रक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करते हैं। 
  • वे कक्षा 6 से शुरू होते हैं और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और भारतीय नौसेना अकादमी (INA) के लिये फीडर संस्थान के रूप में कार्य करते हैं। 
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य छात्रों को मानसिक और शारीरिक तत्परता पर ध्यान केंद्रित करते हुए सैन्य अधिकारियों के रूप में भविष्य की भूमिकाओं के लिये तैयार करना है। 

सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिये चिकित्सा मानक: 

अखिल भारतीय सैनिक स्कूल प्रवेश परामर्श (AISSAC) के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) विशिष्ट नेत्र (दृष्टि) मानक विहित करती है: 

  • मानक-I: 6/6 और 6/6 (दोनों आँखों में पूर्ण दृष्टि) 
  • मानक-II:असंशोधित VA 6/18 और 6/18; BCVA 6/6 और 6/6 
  • निकट दृष्टि सीमाएँ: <-1.25 D Sph, अधिकतम दृष्टिवैषम्य सहित < +/-0.5 D Cyl 
  • हाइपरमेट्रोपिया परिसीमाएँ: < + 1.25 D Sph, अधिकतम दृष्टिवैषम्य सहित < +/-0.5 D Cyl  
  • LASIK और समकक्ष प्रक्रियाओं की अनुमति नहीं है 
  • रंग दृष्टि आवश्यकताएँ: CP II 
  • अतिरिक्त आवश्यकताओं में भेंगापन, रुग्ण नेत्र स्थिति और सक्रिय ट्रेकोमा का अभाव सम्मिलित है।  

प्रवेश प्रक्रिया: 

  • चयन और प्रवेश कई मानदंडों को पूरा करने के अधीन हैं: प्रवेश मानदंड, पात्रता, रैंक, मेरिट सूची, मेडिकल फिटनेस और मूल दस्तावेज़ों का सत्यापन। 
  • छात्रों को प्रवेश परीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसके बाद चयनित उम्मीदवारों की मेडिकल परीक्षा होती है। 
  • चिकित्सा योग्यता का मूल्यांकन निर्दिष्ट चिकित्सा संस्थानों में किया जाता है, तथा सैन्य अस्पतालों में समीक्षा का प्रावधान भी है। 
  • अयोग्य चिकित्सा रिपोर्ट के मामले में, प्रधानाचार्य को ई-परामर्श पोर्टल के माध्यम से उम्मीदवारी को अस्वीकार करने का अधिकार है। 

निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 

  • यह 3 सितंबर 2009 को अधिनियमित हुआ और 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ 
  • इसने 6 से 14 वर्ष के बालकोंके लिये प्रारंभिक शिक्षा निःशुल्क और अनिवार्य कर दी । 
  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पर्यवेक्षी निकाय बनाया गया। 
  • किसी भी स्कूल को ऐसे बालकों को प्रवेश देने से इंकार करने की अनुमति नहीं थी जो किसी अन्य स्कूल से निकल चुके हों या जिनका कहीं और नामांकन न हुआ हो। 
  • निजी शिक्षण संस्थानों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिये 25% सीटें आरक्षित करने का निदेश दिया गया। 
  • इसने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये शिक्षकों की संख्या तय की। 
  • इसने सतत व्यापक शिक्षा नामक मूल्यांकन तंत्र का निर्णय लिया। 
  • यह अधिनियम प्रकृति में प्रवर्तनीय और न्यायोचित है, न कि केवल निर्देशात्मक। 

दिव्यांगजन के अधिकार अधिनियम, 2016 

  • इसे 27 दिसंबर 2016 कोदिव्यांगजन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के स्थान पर अधिनियमित किया गया था। 
  • यह अधिनियम 19 अप्रैल 2017 को लागू हुआ, जिसने भारत में दिव्यांगजन (PWDs) के अधिकारों और मान्यता के एक नए युग की शुरुआत की। 
  • यह अधिनियम दिव्यांगजन के दायरे को बढ़ाकर 21 स्थितियों को सम्मिलित करता है, जिनमें शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक और संवेदी दिव्यांगताएँ सम्मिलित हैं। 
  • यह अधिनियम शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी संगठनों को दिव्यांगजनों के लिये सीटें और पद आरक्षित करने का आदेश देता है, जिससे शिक्षा और नियोजन के अवसरों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित हो सके। 
  • यह अधिनियम लोक स्थलों, परिवहन साधनों तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों में बाधा-रहित वातावरण के सृजन पर बल देता है, जिससे दिव्यांगजन के लिये अधिक सुलभता सुनिश्चित हो सके। 
  • यह सरकार कोदिव्यांगजन की सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पुनर्वास के लियेयोजनाएँ और कार्यक्रम तैयार करने का अधिकार देता है। 
  • यह अधिनियमसार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने के लियेलोक भवनों के लिये दिशानिर्देश और मानक तैयार करने का आदेश देता है।