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सांविधानिक विधि

जम्मू -कश्मीर में कानूनों में संशोधन करने वाले विधेयक

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 08-Dec-2023

स्रोत: द हिंदू

परिचय:

हाल ही में लोकसभा ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 तथा जम्मू व कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया। ये दोनों विधेयक 26 जुलाई, 2023 को संसद के निचले सदन में पेश किये गए थे।

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 क्या है?

  • यह विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है, जिसने पूर्ववर्ती राज्य को जम्मू और कश्मीर व लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेशों (UT) में पुनर्गठित करने की सुविधा प्रदान की है।
  • इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने का प्रस्ताव है, जिनमें से सात अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिये और नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के विधायकों के लिये आरक्षित होंगी।
  • विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधान सभा में नामांकित कर सकते हैं। नामांकित सदस्यों में से एक महिला अवश्य होनी चाहिये।
    • प्रवासियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी या जम्मू और कश्मीर राज्य के किसी अन्य हिस्से से चले गए, और राहत आयुक्त (Relief Commissioner) के साथ पंजीकृत हैं।
  • विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित कर सकते हैं।
    • विस्थापित व्यक्तियों से तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जो पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू-कश्मीर में अपने निवास स्थान को छोड़ चुके हैं या विस्थापित हो गए हैं और ऐसे स्थान से बाहर रहते हैं।

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 क्या है?

  • यह जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है जो अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों व व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।
  • यह विधेयक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर द्वारा घोषित कमज़ोर व वंचित वर्गों को अन्य पिछड़े वर्गों से प्रतिस्थापित करता है।
  • इस अधिनियम से कमज़ोर व वंचित वर्गों की परिभाषा हटा दी गई है।

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 क्या है?

  • 5 अगस्त, 2019 को संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित किया, जिसके कारण पूर्ववर्ती राज्य का विभाजन (जम्मू और कश्मीर व लद्दाख में) हुआ तथा भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 370 को प्रभावी ढंग से निरस्त कर दिया गया, जिसने इस क्षेत्र को इसकी विशेष दर्जा दिया।
  • जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन के प्रावधानों वाला यह अधिनियम 31 अक्तूबर, 2019 को प्रभावी हो गया।
  • इस अधिनियम में 103 खंड शामिल हैं, यह 106 केंद्रीय कानूनों को केंद्रशासित प्रदेशों तक विस्तारित करता है, 153 राज्य कानूनों को निरस्त करता है तथा जम्मू और कश्मीर विधान परिषद को समाप्त करता है।
  • इस अधिनियम ने केंद्र सरकार को दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के संबंध में कई कार्यकारी आदेश पारित करने की शक्ति भी दी है।

भारत के संविधान, 1950 का अनुच्छेद 370 क्या था?

  • 17 अक्तूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 को एक अस्थायी प्रावधान के रूप में COI में जोड़ा गया था, जिसने जम्मू और कश्मीर को छूट दी तथा इसे अपने स्वयं के संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति दी तथा राज्य में भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को प्रतिबंधित कर दिया।
  • इस अनुच्छेद के तहत, जम्मू और कश्मीर को एक विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया जो इसे भारत के किसी भी अन्य राज्य से अलग करता था।
  • इस प्रावधान ने राज्य के लिये कानून बनाने की संसद की शक्ति को काफी हद तक सीमित कर दिया तथा प्रभावी रूप से जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल को अधिक शक्ति प्रदान कर दी।
  • इस अनुच्छेद के प्रावधानों में तीन मुख्य संघटक थे:
    • भारत अधि-मिलन पत्र में शामिल तीन विषयों (रक्षा, विदेश मामले और संचार) को छोड़कर जम्मू-कश्मीर में कानून नहीं बनाएगा। संसद केवल जम्मू और कश्मीर संविधान सभा की सहमति से ही उनसे परे कानून बना सकती थी।
    • COI के अनुच्छेद 1 को छोड़कर COI का कोई भी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होगा।
    • जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति में तब तक संशोधन या निरसन नहीं किया जा सकता था, जब तक कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा इसकी अनुशंसा नहीं करती।

निष्कर्ष:

प्रगतिशील परिवर्तनों में से एक माना जा रहा यह विधेयक उन लोगों के लिये है जो पिछले 70 वर्षों में उत्पीड़ित हुए हैं तथा यह उन्हें न्याय एवं अधिकार देगा और विस्थापित कश्मीरियों को प्रतिनिधित्व प्रदान करेगा। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा को और बढ़ावा देगा व उसे सुनिश्चित करेगा तथा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगा।