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अंतर्राष्ट्रीय कानून

प्रत्यर्पण

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 13-Oct-2023

परिचय

हाल ही में, अमेरिकी न्यायालय ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को खारिज़ कर दिया है, जिस पर उक्त व्यवसायी वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में शामिल होने के मुकदमे का सामना कर रहा है।

इस मुद्दे की पृष्ठभूमि

  • पाकिस्तान सेना के पूर्व डॉक्टर तहव्वुर राणा पर 26 नवंबर, 2008 को मुंबई आतंकवादी हमलों के लिये डेविड कोलमैन हेडली को बाहर निकालने में सहायता करने और बढ़ावा देने का आरोप है।
  • डेविड कोलमैन हेडली एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी है और 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्त्ताओं में से एक है।
  • अक्तूबर, 2009 में शिकागो के ओ'हारे हवाई अड्डे पर डेविड हेडली की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी पुलिस ने तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था।
  • डेविड हेडली ने अपने मुकदमे में सरकारी गवाह के रूप में तहव्वुर राणा के खिलाफ गवाही दी।
  • डेविड हेडली ने न्यायालय में कहा कि जुलाई, 2006 में वह तहव्वुर राणा से मिलने के लिये शिकागो गया था और उसे मिशन के बारे में बताया था।
  • तहव्वुर राणा ने डेविड हेडली को वित्तीय सहायता के रूप में कुछ राशि प्रदान की। जिसमें अक्तूबर, 2006 में 67,605 रुपए, नवंबर 2006 में 500 डॉलर, कुछ दिनों बाद 17,636 रुपए और दिसंबर, 2006 में 1000 डॉलर का भुगतान शामिल है।
  • भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, भारत ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिये आवेदन किया था।
  • वर्ष 2020 में, भारत सरकार ने कैलिफोर्निया न्यायालय में कहा कि तहव्वुर राणा का वैधानिक रूप से भारत में प्रत्यर्पित किया जाना चाहिये।
  • प्रशासन ने अपनी दलील में कहा कि तहव्वुर राणा का मामला देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के मानदंडों का पालन करता है।
  • वर्ष 2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका के ज़िला न्यायालय ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी है।
  • वर्ष 2023 में लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में रखे गए तहव्वुर राणा ने भारत में प्रत्यर्पण के न्यायालयी आदेश को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट दायर की।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के ज़िला न्यायालय ने एक अलग आदेश के द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट के लिये तहव्वुर राणा की याचिका को खारिज़ कर दिया है।

भारत और अमेरिका प्रत्यर्पण संधि

  • भारत और अमेरिका प्रत्यर्पण संधि पर 25 जून, 1997 को भारत के विदेश राज्य मंत्री श्री सलीम शेरवानी और संयुक्त राज्य अमेरिका के उप विदेश मंत्री श्री स्ट्रोब टैलबोट द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे।

प्रत्यर्पण के संबंध में कानूनी प्रावधान

प्रत्यर्पण

  • उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई प्रत्यर्पण की परिभाषा के अनुसार, ‘प्रत्यर्पण, एक देश द्वारा दूसरे देश में किये गए किसी अपराध में अभियुक्त अथवा दोषी ठहराए गए व्यक्ति को संबंधित देश को सौंपना है, बशर्ते वह अपराध उस देश की अदालत द्वारा न्यायोचित हो।
  • भारत में प्रत्यर्पण संबंधी कानून प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 है, जो भारत तथा अन्य देशों के बीच लागू प्रत्यर्पण संधियों द्वारा शासित होता है।
  • प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 भारत और भारत से विदेशों में प्रत्यर्पित करने वाले दोनों व्यक्तियों पर लागू होता है।
  • इस अधिनियम की धारा 34 के अनुसार, भारत के पास अतिरिक्त-क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार है, अर्थात, किसी विदेशी देश में किसी व्यक्ति द्वारा किये गए प्रत्यर्पण अपराध को भारत में किया गया माना जाएगा और ऐसे व्यक्ति पर ऐसे अपराध के लिये भारत में मुकदमा चलाया जाएगा।
  • इस अधिनियम की धारा 2(c) में प्रत्यर्पण अपराध का अर्थ है -
    • किसी विदेशी देश के संबंध में, एक संधि देश होने के नाते, उस देश के साथ प्रत्यर्पण संधि के तहत किया गया अपराध।
    • संधि देश के अतिरिक्त किसी विदेशी देश के संबंध में एक ऐसा अपराध जो कारावास से दंडनीय है, जिसकी अवधि भारत या किसी विदेशी देश के कानूनों के तहत एक वर्ष से कम नहीं होगी और इसमें समग्र अपराध भी शामिल है।
  • इस अधिनियम की धारा 2(d) प्रत्यर्पण संधि को भगोड़े अपराधियों के प्रत्यर्पण से संबंधित एक विदेशी देश के साथ भारत द्वारा की गई एक संधि, समझौते या व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो भारत के लिये भी बाध्यकारी है।
  • प्रत्यर्पण संधियाँ परंपरागत रूप से द्विपक्षीय होती हैं।
  • प्रत्यर्पण संधियाँ अंडर-इन्वेस्टिगेशन, अंडर-ट्रायल और दोषी अपराधियों के मामले में होती हैं।
  • वर्तमान में, भारत की 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियाँ और 12 देशों के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्था है।

प्रत्यर्पण को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत

  • दोहरी आपराधिकता का सिद्धांत:
    • यह सिद्धांत, जिसे दोहरी आपराधिकता के रूप में भी जाना जाता है, कहता है कि प्रत्यर्पण तभी लागू होता है जब आपराधिक कार्य दोनों देशों (अनुरोध करने वाले देश और अनुरोध किये गए देश) के अधिकार क्षेत्र में हो।
  • विशेषता का सिद्धांत अर्थात् विशिष्टता:
    • अनुरोध करने वाला देश अनुरोधित व्यक्ति को केवल उस अपराध के लिये न्याय करने हेतु अनुबंध करता है जिसके लिये प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया था, न कि किसी अन्य अपराध के लिये।
  • राजनीतिक अपवाद:
    • यदि किये गए अनुरोध का वास्तविक उद्देश्य अनुरोध किये गए व्यक्ति को उसके द्वारा किये गए अपराध के बजाय उसकी राजनीतिक राय के लिये दंडित करना है तो प्रत्यर्पण को अस्वीकार कर दिया जाएगा।
    • अंतर्राष्ट्रीय कानून में राजनीतिक अपराध शब्द को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।

निष्कर्ष

  • तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच राजनयिक संबंध मज़बूत होंगे क्योंकि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया न्याय से बच गए अपराधियों को लाने में सरकारों की सहायता करती है। यह प्रक्रिया अपराधियों को यह बताकर हतोत्साहित करती है कि वे दूसरे देश में भागकर सजा से नहीं बच सकते।