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आपराधिक कानून

धन शोधन निवार ण अधिनियम की धारा 45

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 10-Apr-2024

परिचय:

हाल ही में दिल्ली की एक विचारण न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) की धारा 45 की व्याख्या और अनुप्रयोग के संबंध में एक निर्णय सुनाया है। इस निर्णय से भारत राष्ट्र समिति की ‘के. कविता’ की न्यायिक हिरासत बढ़ गई है।

PMLA की धारा 45 क्या है?

  • PMLA की धारा 45 उन शर्तों का वर्णन करती है, जिनके अधीन धन शोधनअपराधों के आरोपी व्यक्तियों को ज़मानत दी जा सकती है।
  • अविधिक गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) में वर्णित कड़े ज़मानत मानकों के समान, यह प्रावधान ज़मानत मांगते समय उनके विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामले की अनुपस्थिति को प्रदर्शित करने के लिये आरोपी पर साक्ष्य का बोझ डालता है।

PMLA की धारा 45 का महत्त्वपूर्ण अपवाद क्या है?

  • जबकि धारा 45 ज़मानत के लिये सख्त मानदंड लागू करती है, इसमें विशेष रूप से महिलाओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण अपवाद भी निहित है।
  • इस अपवाद के अनुसार, जो व्यक्ति कुछ श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं, जैसे कि महिलाएँ, नाबालिग, या जो बीमार या अशक्त हैं, उन्हें विशेष न्यायालय द्वारा निर्देशित किये जाने पर ज़मानत दी जा सकती है।
  • यह प्रावधान महिलाओं एवं नाबालिगों से संबंधित भारतीय दण्ड संहिता में मिली छूट को प्रतिबिंबित करता है।

दिल्ली न्यायालय द्वारा उद्धृत उदाहरण क्या था ?

  • प्रीति चंद्रा बनाम प्रवर्तन निदेशालय (2023) की एक उल्लेखनीय विधिक उदाहरण ने PMLA की धारा 45 के अधीन महिलाओं के लिये अपवाद को कवर किया।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) की दलीलों के बावजूद आरोपी की "घरेलू महिला" के रूप में योग्यता पर प्रश्न करने के बावजूद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस तरह के भेद निराधार थे।
  • न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अपवाद आरोपी की पृष्ठभूमि या सामाजिक स्थिति पर ध्यान दिये बिना लागू होता है, बशर्ते वे भागने का खतरा पैदा न करें या साक्षियों को धमकी न दें।

न्यायालय की क्या राय थी?

  • कविता से जुड़े हालिया मामले में, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कविता की अंतरिम ज़मानत की वकालत करने के लिये प्रीति चंद्रा के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा स्थापित उदाहरण का प्रयोग किया।
  • हालाँकि, न्यायाधीश अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा प्रस्तुत तर्क से भटक गए, उन्होंने कहा कि कविता की शिक्षा एवं सामाजिक स्थिति ने उन्हें PMLA के अधीन अपवाद के लिये पात्र को एक कमज़ोर महिला के रूप में वर्गीकृत होने से रोक दिया।
  • न्यायाधीश ने प्रीति चंद्रा मामले में स्थापित मानदंडों पर भरोसा करते हुए उन तीन शर्तों पर ज़ोर दिया, जिनके अधीन धारा 45 में प्रावधान के बावजूद महिलाओं को ज़मानत देने से मना किया जा सकता है।
  • इन शर्तों के अनुसार यह आवश्यक है कि अभियुक्त भागने का जोखिम न उठाएँ, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करें, या साक्षियों को प्रभावित न करें।

भौतिक साक्ष्य एवं साक्षियों के प्रभाव की स्थिति क्या है?

  • कविता के मामले में, न्यायालय ने साक्ष्यों पर गौर किया जो भौतिक साक्ष्यों को नष्ट करने एवं साक्षियों पर संभावित प्रभाव डालने में उसकी संलिप्तता का सुझाव देते हैं।
  • नतीजतन, न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि कविता को ज़मानत देने से जाँच की अखंडता एवं विधिक प्रक्रिया खतरे में पड़ सकती है।

निष्कर्ष:

PMLA की धारा 45 की व्याख्या के संबंध में  विचारण न्यायालय का वर्तमान निर्णय व्यक्तिगत परिस्थितियों के साथ विधिक प्रावधानों को संतुलित करने में निहित जटिलताओं को उजागर करता है। जबकि अधिनियम में महिलाओं के लिये अपवाद महत्त्वपूर्ण है, न्यायालयों को विधिक कार्यवाही की अखंडता से समझौता किये बिना न्याय सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक मामले का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिये।