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सांविधानिक विधि

आपदा राहत कोष के लिये विधिक लड़ाई

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 08-Apr-2024

परिचय:

तमिलनाडु एवं कर्नाटक, राष्ट्रीय आपदा राहत कोष जारी करने को लेकर केंद्र के साथ विधिक लड़ाई में उलझे हुए हैं। राज्यों का तर्क है कि चक्रवात मिचौंग तथा सूखे के बाद धन वितरित करने में केंद्र द्वारा किया जा रहा विलंब आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 का उल्लंघन है।

आपदा राहत कोष को समझना:

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 ने आपदाओं के दौरान सहायता प्रदान करने के लिये राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) एवं राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) की स्थापना की।
  • NDRF राज्य की क्षमताओं से परे गंभीर आपदाओं के लिये धन की आपूर्ति करता है जबकि SDRF तत्काल ज़रूरतों को पूरा करता है।

NDRF फंड जारी करने की व्यवस्था:

  • NDRF फंड, कुल 54,770 करोड़ रुपए, चक्रवात, सूखा एवं बाढ़ जैसी गंभीर आपदाओं के लिये आवंटित किया जाता है। आपदा का सामना करने वाले राज्य अतिरिक्त सहायता का अनुरोध कर सकते हैं यदि उसका SDRF अपर्याप्त है।
  • गृह मंत्रालय या कृषि मंत्रालय एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम के माध्यम से स्थिति का आकलन करता है, जिसके बाद एक उच्च-स्तरीय समिति (HLC) से अनुमोदन प्राप्त होता है।

तमिलनाडु एवं कर्नाटक की विधिक लड़ाई:

  • दोनों राज्यों का तर्क है कि केंद्र की निष्क्रियता, संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 के अंतर्गत नागरिकों की समानता और सम्मान के साथ जीवन के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
  • कर्नाटक कृषि मंत्रालय के मैनुअल का हवाला देते हुए , जिसमें IMCT रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर निर्णय लेने के केंद्र के दायित्व पर ज़ोर दिया गया है।
  • कर्नाटक ने SC के समक्ष चुनौती देते हुए अपनी याचिका में कहा कि, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के संदर्भ में, भारत संघ राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये बाध्य है
    • हालाँकि, आपदा गंभीर प्रकृति की होने के बावजूद, तत्काल/अस्थायी राहत के लिये मानवीय ज़रूरतों के प्रत्यक्ष आकलन के लिये अक्टूबर में एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) के गठन एवं दौरे के बावजूद, क्षति हुई तथा राज्य द्वारा किये गए राहत कार्य और NDRF से धन के आवंटन के लिये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बावजूद, NDRF के अधीन धन के आवंटन के लिये राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की उप समिति की रिपोर्ट उच्च स्तरीय समिति (HLC) को सौंपने के बावजूद और इसके बावजूद राज्य द्वारा बार-बार अनुरोध किये जाने पर, भारत संघ ने वित्तीय सहायता की मांग को लेकर राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत ज्ञापनों पर राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की उप-समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के लिये HLC को
    • + नहीं बुलाया है, जिससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत लोगों को जीवन के मौलिक अधिकार की गारंटी प्रभावित हुई है।
  • तमिलनाडु ने चक्रवात मिचौंग से हुए नुकसान के लिये 37,902 करोड़ रुपए तथा अंतरिम राहत के रूप में 2,000 करोड़ रुपए की मांग की है।
  • दिसंबर 2023 में चक्रवात "मिचौंग" के कारण हुए नुकसान के लिये 19,692.69 करोड़ रुपए तथा रु. 18,214.52 करोड़ इसी अवधि के दौरान तमिलनाडु के दक्षिणी ज़िलों में असाधारण भारी वर्षा के कारण हुए नुकसान के लिये सरकार वित्तीय सहायता का अनुरोध कर रही है।

विपक्षी राज्यों की विधिक चुनौतियों का आकलन:

  • यह विधिक विवाद, केंद्र को चुनौती देने वाले विपक्षी शासित राज्यों के व्यापक पैटर्न को दर्शाता है। केरल ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष विधि में राज्यपाल के हस्तक्षेप एवं वित्तीय बाधाओं के मुद्दे उठाए हैं। इसी तरह, तमिलनाडु, तेलंगाना एवं पंजाब ने राज्यपाल की सहमति को लंबे समय तक रोके रखने का विरोध किया है।

निष्कर्ष:

तमिलनाडु एवं कर्नाटक तथा केंद्र के बीच विधिक टकराव, समय पर आपदा राहत सहायता के महत्त्वपूर्ण महत्त्व को रेखांकित करता है। राज्यों की शिकायतें, NDRF फंड जारी करने के तंत्र में प्रणालीगत मुद्दों को उजागर करती हैं, प्रभावी आपदा प्रबंधन सुनिश्चित करने और संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिये तत्काल समाधान की मांग करती हैं।