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सांविधानिक विधि
नागरिकता संशोधन नियम, 2024
« »13-Mar-2024
स्रोत: द हिंदू
परिचय:
गृह मंत्रालय (MHA) ने नागरिकता संशोधन नियम, 2024 को अधिसूचित करके एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसका मौजूदा नागरिकता कानून में संशोधन के लागू होने के बाद 2019 से इंतज़ार किया जा रहा था।
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 क्या है?
- अधिनियमन:
- नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 भारत में विदेशी प्रवासियों की कुछ श्रेणियों के लिये एक विशिष्ट कानून है।
- इसे 10 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में और 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में पारित किया गया।
- इसे 12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिली।
- प्रयोज्यता:
- यह पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों - हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए थे, को शीघ्र नागरिकता प्रदान करता है।
- CAA का उद्देश्य संकीर्ण है, जो धर्म के आधार पर उत्पीड़न को संबोधित करता है।
- अप्रयोज्यता:
- CAA मुसलमानों सहित भारतीय नागरिकों को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि उन्हें संविधान द्वारा संरक्षित अधिकार प्राप्त हैं। यह मुसलमानों या अन्य देशों से आए प्रवासियों पर लागू नहीं होता है।
- इसमें उत्पीड़न के अन्य प्रकार शामिल नहीं होते हैं।
- कुछ दावों के विपरीत, CAA भारतीय मुसलमानों को नागरिकता से बाहर नहीं करता है; यह पूरी तरह से विदेशी प्रवासियों के एकीकरण की सुविधा प्रदान करता है।
- अप्रभावी:
- यह अधिनियम सभी विदेशियों के लिये उपलब्ध देशीयकरण या रजिस्ट्रीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करने की मौजूदा प्रक्रियाओं में बदलाव नहीं करता है।
इसके कार्यान्वयन की यात्रा कैसी रही?
- वर्ष 2019 में पारित होने के बाद से, CAA सूत्रबद्ध नियमों के अभाव के कारण निष्क्रिय रहा।
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस विकास को पड़ोसी देशों में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के प्रति प्रतिबद्धता की प्राप्ति के रूप में सराहा है।
नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के तहत प्रमुख बदलाव क्या हैं?
- नियम 10A का सन्निवेश:
- नियम 10A नागरिकता नियम, 2009 के नियम 10 के बाद डाला गया है।
- यह नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6B के तहत योग्य व्यक्तियों के लिये योग्यता मानदण्ड और आवेदन प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करता है।
- यह नियम योग्यता की विभिन्न श्रेणियों के आधार पर विभिन्न आवेदन प्रपत्रों और आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करता है।
- नियम 11A का सन्निवेश:
- नियम 11A उस प्राधिकारी को निर्दिष्ट करता है जिसके पास धारा 6B के तहत आवेदन करने वाले व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं।
- यह सत्यापन प्रक्रियाओं और निष्ठा की शपथ के प्रशासन के साथ-साथ ज़िला स्तरीय समिति के माध्यम से अधिकार प्राप्त समिति को आवेदन इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा करने की प्रक्रिया स्थापित करता है।
- नियम 13A का सन्निवेश:
- नियम 13A अधिकार प्राप्त समिति द्वारा आवेदनों की जाँच से संबंधित है।
- यह योग्यता मानदण्डों की पूर्णता और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये धारा 6B के तहत रजिस्ट्रीकरण या देशीयकरण द्वारा नागरिकता के लिये आवेदनों की जाँच करने में अधिकार प्राप्त समिति की ज़िम्मेदारियों को चित्रित करता है।
- नियम 14 में संशोधन:
- फॉर्म XA या XIA में रजिस्ट्रीकरण के डिजिटल प्रमाणपत्र और रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र की हार्ड कॉपी जारी करने के प्रावधानों को शामिल करने के लिये नियम 14 में संशोधन किया गया है।
- प्रमाणपत्रों को डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित किया जाना चाहिये या अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना चाहिये।
- नियम 15 का सन्निवेश:
- फॉर्म XIIA में देशीयकरण के डिजिटल प्रमाणपत्र और देशीयकरण प्रमाणपत्र की हार्ड कॉपी जारी करने के प्रावधानों को शामिल करने के लिये नियम 15 में संशोधन किया गया है।
- नियम 14 के समान, प्रमाणपत्रों को डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित किया जाना चाहिये या अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना चाहिये।
- नियम 17 में संशोधन:
- नागरिकता के लिये विस्तारित योग्यता मानदण्ड को दर्शाते हुए, धारा 5 के साथ-साथ धारा 6B के संदर्भों को शामिल करने के लिये नियम 17 में संशोधन किया गया है।
- नियम 38(3) का सन्निवेश:
- नियम 38(3) में कहा गया है कि धारा 5(2) या धारा 6(2) के तहत राजनिष्ठा की शपथ का कोई प्रभाव नहीं होगा, जब तक कि नियम 11A में विनिर्दिष्ट नामित अधिकारी की उपस्थिति में हस्ताक्षरित या प्रशासित नहीं किया जाता है।
- यह शपथ ग्रहण प्रक्रिया की वैधता और मान्यता सुनिश्चित करता है।
नई नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के तहत आवेदन प्रक्रिया क्या है?
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निष्कर्ष:
जैसे-जैसे CAA साकार होने के करीब पहुँच रहा है, इसकी कानूनी वैधता, समावेशिता और भारत के विविध सामाजिक ताने-बाने पर इसके प्रभाव पर विवाद शुरू हो गया है। हालाँकि, यह सताए गए समुदायों को शरण प्रदान करना चाहता है, लेकिन इसका कार्यान्वयन नागरिकता चाहने वाले सभी व्यक्तियों के लिये समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिये पारदर्शिता, जवाबदेही और संवैधानिक मूल्यों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता की मांग करता है।