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पारिवारिक कानून

मेहर की संकल्पना

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 22-Jan-2024

परिचय

मेहर (Mehr) या ‘Dower’ या ‘Dowry’ को महर के नाम से भी जाना जाता है, जो एक अनोखी मुस्लिम कानून की संकल्पना है, जिसे निकाह (शादी) के समय पति को अपनी पत्नी के रूप में उसकी गरिमा को स्वीकार करने के लिये देनी होती है।

परिभाषा  

  • मेहर धन या अन्य संपत्ति की वह रकम है जिसका पति द्वारा निकाह के विचारार्थ पत्नी को भुगतान करने या वितरित करने का वादा किया जाता है; भले ही कोई मेहर विशेष रूप से निर्दिष्ट नहीं है, कानून निकाह के आवश्यक परिणाम के रूप में पत्नी पर मेहर का अधिकार लगाता है।
  • अमीर अली के अनुसार मेहर एक ऐसा प्रतिफल है जो पूर्णतः पत्नी का होता है।
  • मौलवी के अनुसार, मेहर वह धनराशि या अन्य संपत्ति है जिसे पत्नी निकाह के फलस्वरूप पति से प्राप्त करने की हकदार है।

मेहर की प्रकृति

  • यह संकल्पना पैगंबर मोहम्मद द्वारा पेश की गई थी और उनके द्वारा हर निकाह के मामले में अनिवार्य कर दी गई थी
  • पत्नी को संपत्ति तथा मेहर को उसका मूल्य माना जाता है।
  • यह निकाह की एक अनिवार्य विशेषता है जिसके परिणामस्वरूप कोई मेहर तय नहीं होने पर भी पत्नी पति से कुछ मेहर पाने की हकदार होती है।
  • निकाह वैध है, भले ही अनुबंध योग्य पक्ष द्वारा ने मेहर का कोई उल्लेख नहीं किया हो।

मेहर की विषय-वस्तु

  • पत्नी के सम्मान के प्रतीक के रूप में पति पर कोई दायित्व थोपना।
  • पति की ओर से तलाक के मनमाने ढंग से इस्तेमाल पर रोक लगाना।
    • तलाक के बाद पत्नी के निर्वाह की व्यवस्था करना, ताकि पति की मृत्यु या तलाक द्वारा निकाह समाप्ति के बाद वह असहाय न हो जाए।

मेहर में वृद्धि

  • पति निकाह के बाद किसी भी समय मेहर बढ़ा सकता है, इसी तरह पत्नी मेहर को पूरी तरह या आंशिक रूप से माफ कर सकती है।
  • एक मुस्लिम लड़की जिसने युवावस्था प्राप्त कर ली है, वह अपना मेहर त्यागने में सक्षम है, लेकिन ऐसी छूट स्वतंत्र सहमति से होनी चाहिये

मेहर का भुगतान न करना

  • मुस्लिम कानून एक पत्नी या विधवा को मेहर का भुगतान करने और मजबूर करने के लिये निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है:
    • साथ रहने से इंकार करना
    • ऋण के रूप में मेहर का अधिकार
    • अपने मृत पति की संपत्ति बरकरार रखने का अधिकार