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भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड
« »23-Nov-2023
परिचय:
- भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) देश में दिवाला व शोधन अक्षमता की कार्यवाही की देखरेख करके भारत के आर्थिक परिदृश्य पर प्रभाव डालता है।
- यह 1 अक्तूबर, 2016 में स्थापित एक कानूनी और नियामक निकाय है जो दिवाला पेशेवरों, दिवाला पेशेवर एजेंसियों तथा सूचना उपयोगिताओं को नियंत्रित करता है, साथ ही समाधान प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं दक्षता को बढ़ावा देता है।
- IBBI अर्द्ध-न्यायिक कार्य भी करता है। इस प्रकार, IBBI की भूमिका कुल मिलाकर प्रशासनिक, नियामक, IBBI प्रवर्तन-उन्मुख और अर्द्ध-न्यायिक प्रकृति की है।
IBBI की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
- एक समर्पित दिवाला और शोधन अक्षमता नियामक प्राधिकरण के विचार को इस एहसास के साथ गति मिली कि भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये एक कुशल व समयबद्ध समाधान तंत्र महत्त्वपूर्ण है।
- वर्ष 2016 में अधिनियमित दिवाला तथा शोधन अक्षमता संहिता (IBC) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड की स्थापना की नींव रखी।
- IBC ने कॉर्पोरेट व्यक्तियों, साझेदारी फर्मों और व्यक्तियों के पुनर्गठन तथा दिवालियापन समाधान से संबंधित कानूनों को समेकित एवं संशोधित किया।
- IBBI की स्थापना ने भारत में दिवाला और दिवालियापन के प्रति दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव को चिह्नित किया।
- पहले की प्रणाली खंडित कानूनी ढाँचे और समाधान में देरी से चिह्नित थी, जिससे महत्त्वपूर्ण आर्थिक अक्षमताएँ उत्पन्न हुईं।
- IBBI ने समाधान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और तेज़ करने का निर्णय लिया, जिससे व्यवसायों को फलने-फूलने के लिये अधिक अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सके।
IBBI की संरचना क्या है?
संगठन संरचना:
- IBBI एक संरचित रूपरेखा के साथ कार्य करता है, जिसमें एक अध्यक्ष और तीन पूर्णकालिक सदस्य शामिल होते हैं।
- अध्यक्ष और पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है, जो वित्त, कानून एवं दिवालियापन के क्षेत्र में विशेषज्ञों को एक साथ लाते हैं।
- इसमें पदेन सदस्य भी होते हैं।
अधिकारी:
- बोर्ड को विनियामक मामलों, प्रशासन, वित्त और प्रवर्तन सहित विभिन्न कार्यों के लिये ज़िम्मेदार पेशेवरों की एक टीम द्वारा समर्थित किया जाता है।
- अधिकारियों की इस टीम में प्रबंधक, सहायक महाप्रबंधक, उप महाप्रबंधक, मुख्य महाप्रबंधक, कार्यकारी निदेशक शामिल होते हैं।
IBBI के क्या कार्य हैं?
IBC की धारा 194 में IBBI के कार्य शामिल होते हैं:
- विनियामक कार्य:
- IBBI दिवाला समाधान प्रक्रिया में शामिल विभिन्न संस्थाओं के लिये नियम एवं दिशानिर्देश बनाता और लागू करता है।
- नियामक रूपरेखा का लक्ष्य दिवाला समाधान प्रक्रिया में स्थिरता, पारदर्शिता और दक्षता लाना है।
- सलाहकारी कार्य :
- IBBI दिवालियापन और शोधन अक्षमता से संबंधित मामलों पर सरकार के लिये एक सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करता है।
- यह उभरते आर्थिक परिदृश्य में सिफारिशें और अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिससे नीति निर्माताओं को देश में दिवालिया रूपरेखा को मज़बूत करने के लिये उचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
- शैक्षणिक कार्य :
- दिवालियापन के क्षेत्र में कुशल कार्यबल के निर्माण के महत्त्व को पहचानते हुए, IBBI शैक्षणिक पहलों में सक्रियता के साथ शामिल है।
- यह दिवाला पेशेवरों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने, जटिल दिवाला मामलों को संभालने के लिये योग्य व्यक्तियों का एक समूह बनाने के लिये दिवाला पेशेवरों के नामांकन, शैक्षणिक कार्यक्रमों, कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण सत्रों के लिये परीक्षाएँ आयोजित करता है।
निष्कर्ष:
- IBBI देश में दिवालियेपन और शोधन अक्षमता के परिदृश्य को नया आकार देने में एक प्रमुख शक्ति के रूप में खड़ा है। पारदर्शिता और दक्षता के साथ-साथ इसके नियामक कार्यों ने भारत की समग्र आर्थिक लचीलेपन में सहायता की है। यह कॉर्पोरेट प्रशासन के सुचारू प्रवाह में सहायता करता है।