निर्णय लेखन कोर्स – 19 जुलाई 2025 से प्रारंभ | अभी रजिस्टर करें










होम / करेंट अफेयर्स

सिविल कानून

हाउसकीपिंग स्टाफ को उचित वेतन

    «    »
 10-Jul-2025

कोरमबायिल हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक्स सेंटर (पी.) लिमिटेड और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य 

"निजी अस्पताल के हाउसकीपिंग स्टाफ को महज सफाईकर्मी नहीं समझा जा सकता" 

न्यायमूर्ति विजू अब्राहम 

स्रोत: केरल उच्च न्यायालय 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही मेंन्यायमूर्ति विजू अब्राहम नेनिजी अस्पतालों में कार्यरत हाउसकीपिंग स्टाफ कोन्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948के अधीन वेतन देने का निदेश दिया । 

  • केरल उच्च न्यायालय ने कोरमबायिल हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक्स सेंटर (पी.) लिमिटेड एवं अन्य बनाम केरल राज्य एवं अन्य (2025)के मामले में यह निर्णय दिया 

कोरमबायिल हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक्स सेंटर (पी.) लिमिटेड एवं अन्य बनाम केरल राज्य एवं अन्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • यह मामला तब सामने आया जबसहायक श्रम अधिकारी नेअस्पताल परिसर का निरीक्षण किया और न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अधीन कार्यवाही शुरू की। 
  • निरीक्षण के बाद अस्पताल और ठेकेदार कोअक्टूबर 2015 से मार्च 2016 तक काम करने वाले 34 कर्मचारियों को 7.31 लाख रुपए से अधिक का बकायाऔर इतनी ही राशि प्रतिकर के रूप में देने का निर्देश दिया गया। 
  • याचिकाकर्त्ताओं ने तर्क दिया कि चूँकि ये कर्मचारी सफाईकर्मी थे, इसलियेझाड़ू लगाने और सफाई के लिये केवल सामान्य अधिसूचना (नगरपालिका क्षेत्रों में 150 रुपए प्रतिदिन) ही लागू होती है, और उन्होंने इसका अनुपालन किया है। 
  • यद्यपि, अस्पताल और ठेकेदार के बीच हुए करार मेंयह स्थापित किया गया था कि प्रदान की गई सेवाएँ व्यापक हाउसकीपिंग थीं, जिसके लिये निजी अस्पतालों के लिये अधिसूचित उच्च वेतनमान लागू था 
  • अस्पताल ने दावा किया कि वे सामान्य अधिसूचना के अधीन झाड़ू लगाने और सफाई के लिये अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी का संदाय कर रहे थे, किंतु न्यायालय ने इसे अपर्याप्त पाया। 

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं? 

  • न्यायमूर्ति विजू अब्राहम नेकहा कि करार में ही यह निर्दिष्ट किया गया था कि ठेकेदारपूरे अस्पताल में स्वच्छता और साफ-सफाई बनाए रखने सहितपूर्ण हाउसकीपिंग सेवाएँ प्रदान करेगा। 
  • इन सेवाओं में ऑपरेशन थियेटर और ICU जैसेसंवेदनशील क्षेत्रों के लिये प्रशिक्षित कर्मचारीसम्मिलित थे, जो केवल सफाई कार्य से कहीं अधिक था। 
  • न्यायालय ने उप श्रम आयुक्त के इस निष्कर्ष को बरकरार रखा कि कर्मचारीहाउसकीपिंग स्टाफ के समान कामकर रहे थे और निजी अस्पतालों के लिये अधिसूचित उच्च न्यूनतम वेतन के हकदार थे। 
  • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि "हाउसकीपिंग स्टाफ के रूप में नियुक्त व्यक्ति Ext.P4 के अनुसार निर्धारित वेतन पाने का हकदार है और यदि उसे संदाय नहीं किया जाता है, तो यह 'समान कार्य के लिये समान वेतन' के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।" 
  • न्यायालय नेपंजाब राज्य एवं अन्य बनाम जगजीत सिंह एवं अन्य (2017) मामलेमें उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर विश्वास किया, जिसमें कहा गया था कि "श्रम के फल से वंचित करने के लिये कृत्रिम मापदंड निर्धारित करना भ्रामक है।" 
  • न्यायालय ने टिप्पणी की कि "समान कार्य के लिये नियुक्त किसी कर्मचारी को समान कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्त्व को निभाने वाले किसी अन्य कर्मचारी से कम वेतन नहीं दिया जा सकता। कल्याणकारी राज्य में तो ऐसा बिल्कुल नहीं किया जा सकता। ऐसा कृत्य अपमानजनक होने के साथ-साथ मानवीय गरिमा की नींव पर भी प्रहार करता है।" 

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 क्या है? 

  • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 एक व्यापक विधि है जिसे श्रमिकों के शोषण को रोकने और अनुसूचित रोजगारों में न्यूनतम मजदूरी का संदाय सुनिश्चित करने के लिये अधिनियमित किया गया है। 
  • इस अधिनियम का उद्देश्यन्यूनतम मजदूरी के निर्धारण और संशोधन का उपबंध करके असंगठित क्षेत्र केश्रमिकों का कल्याण सुनिश्चित करना है। 
  • यह अधिनियमकेंद्र और राज्य सरकारों कोअनुसूचित नियोजनों में विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों के लिये न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने का अधिकार देता है। 
  • अधिनियम नियोजन कोकुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रेणियोंमें वर्गीकृत करता है, तथा प्रत्येक श्रेणी के लिये भिन्न-भिन्न न्यूनतम मजदूरी दरें निर्धारित करता है। 
  • यह अधिनियम न्यूनतम मजदूरी कासंदाय न करने पर दण्डका प्रावधान करता है तथा श्रम अधिकारियों को निरीक्षण करने तथा अनुपालन सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। F