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अंतर्राष्ट्रीय नियम

अंतर्राष्ट्रीय दण्ड न्यायालय

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 03-Apr-2024

ICC क्या है?

'द रोम स्टेट्यूट' नामक अंतर्राष्ट्रीय संधि द्वारा शासित, अंतर्राष्ट्रीय दण्ड न्यायालय (ICC) विश्व का पहला स्थायी अंतर्राष्ट्रीय दण्ड न्यायालय है।

  • यह जाँच करता है और, जहाँ आवश्यक हो, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये चिंता के सबसे गंभीर अपराधों: नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध व आक्रामकता के अपराध में आरोपित व्यक्तियों पर मुकदमा चलाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय दाण्डिक न्याय के माध्यम से, ICC का लक्ष्य उन लोगों को उनके अपराधों के लिये ज़िम्मेदार ठहराना और इन अपराधों को दोबारा घटित होने से रोकने में सहायता करना है।
  • भारत अमेरिका और चीन के साथ रोम स्टेट्यूट का पक्षकार नहीं है।

ICC का इतिहास:

  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, मित्र राष्ट्रों ने न्यूरेम्बर्ग परीक्षण शुरू किया, जो युद्ध अपराधों के लिये वरिष्ठ नाज़ी हस्तियों पर अभियोजन चलाने का पहला वैश्विक प्रयास था।
  • हालाँकि, गंभीर अंतर्राष्ट्रीय अपराधों को संबोधित करने के लिये एक स्थायी न्यायालय की अवधारणा ने काफी समय बाद, मुख्य रूप से 1990 के दशक में ज़ोर पकड़ लिया।
  • यूगोस्लाविया और रवांडा में संघर्षों के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहले तदर्थ अधिकरणों की स्थापना के बावजूद, कई विधि विशेषज्ञों द्वारा अपर्याप्त निवारक के रूप में इसकी आलोचना की गई थी।
  • त्रिनिदाद और टोबैगो ने वर्ष 1989 में एक स्थायी न्यायालय के लिये चर्चा शुरू की, जिसे बाद के वर्षों में यूरोप व अफ्रीका से समर्थन प्राप्त हुआ।
  • वर्ष 2011 में एक सहायक नीति अपनाने के बाद से यूरोपीय संघ से पर्याप्त समर्थन के साथ, अफ्रीकी देश ICC के भीतर सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
  • जुलाई, 1998 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में ICC की मूलभूत रोम स्टेट्यूट का समर्थन किया गया और साठ से अधिक देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद यह 1 जुलाई, 2002 को लागू हुआ।

ICC की संगठनात्मक संरचना क्या है?

  • ICC का निर्माण रोम स्टेट्यूट, एक बहुराष्ट्रीय समझौते से हुआ, जिसने इसे एक वैश्विक न्यायिक इकाई के रूप में स्थापित किया।
  • संयुक्त राष्ट्र से स्वायत्त रूप से संचालन करते हुए, वैकल्पिक स्थानों पर बैठक आयोजित करने की संभावना के साथ ICC का मुख्यालय हेग, नीदरलैंड में स्थापित किया।
  • चार मूलभूत घटकों से युक्त, ICC में प्रेसीडेंसी, न्यायिक प्रभाग, अभियोजक का कार्यालय और रजिस्ट्री शामिल हैं।
  • प्रत्येक साधन विधिक कार्यवाही की देखरेख से लेकर प्रशासनिक मामलों के प्रबंधन तक, ICC के कार्यों को सुविधाजनक बनाने में एक विशिष्ट भूमिका निभाता है।
  • पीड़ितों के लिये न्यास निधि पीड़ितों को सहायता, समर्थन और क्षतिपूर्ति प्रदान करता है।
  • ICC के कई देशों में क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जहाँ जाँच की जाती है।
  • ICC हिरासत केंद्र का उपयोग ICC द्वारा हिरासत में लिये गए लोगों को सुरक्षित, संरक्षित और मानवीय अभिरक्षा में रखने के लिये किया जाता है।
  • रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) हिरासत केंद्र का निरीक्षण प्राधिकारण है और इस तरह अघोषित यात्राओं पर अप्रतिबंधित पहुँच एवं जाँच होती है।

ICC की अधिकारिता और कार्यप्रणाली क्या है?

  • रोम स्टेट्यूट, चार मुख्य अपराधों पर ICC को अधिकारिता प्रदान करता है:
    • नरसंहार का अपराध
    • मानवता के विरुद्ध अपराध
    • युद्ध के अपराध
    • आक्रामकता का अपराध

ICC की सीमाएँ क्या हैं?

  • एक न्यायिक संस्था के रूप में, ICC के पास अपना स्वयं का पुलिस बल या प्रवर्तन निकाय नहीं है; इस प्रकार, यह समर्थन के लिये, विशेष रूप से गिरफ्तारी करने, गिरफ्तार व्यक्तियों को हेग में ICC हिरासत केंद्र में स्थानांतरित करने, संदिग्धों की संपत्ति ज़ब्त करने और सज़ा लागू करने के लिये दुनिया भर के देशों के साथ सहयोग पर निर्भर करता है,।
  • यह राज्य सहयोग कई कारणों से समस्याग्रस्त है। इसका अर्थ है कि ICC अपने मामलों के चयन में असंगत तरीके से कार्य करता है, उसे कठिन मामलों को लेने से रोका जाता है और वह अपनी वैधता खो देता है।
  • यह ICC को कम निवारक मूल्य भी देता है, क्योंकि युद्ध अपराधों के संभावित अपराधियों को पता है कि वे सरकार पर कब्ज़ा करके और सहयोग करने से इनकार करके ICC के निर्णय से बच सकते हैं।
  • ICC अभियोजक और न्यायाधीशों के अधिकार पर अपर्याप्त नियंत्रण एवं संतुलन हैं।
  • ICC पर पश्चिमी साम्राज्यवाद का उपकरण होने और कमज़ोर राज्यों के विरुद्ध शक्तिशाली देशों के पक्ष में पक्षपात करने का आरोप लगाया गया है।
  • वर्ष 2020 में, USA ने USA सैनिकों और उसके सहयोगियों द्वारा संभावित युद्ध अपराधों की जाँच में शामिल अंतर्राष्ट्रीय दण्ड न्यायालय (ICC) के अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिबंधों को अधिकृत किया।
  • संयुक्त राष्ट्र ने अमेरिका के आदेश को गंभीरता से लिया था।
  • यूरोपीय संघ ने अमेरिका के निर्णय को गंभीर चिंता का विषय बताया।
  • अंतर्राष्ट्रीय NGO ह्यूमन राइट्स वॉच ने देखा है कि युद्ध अपराध अन्वेषकों को दण्डित करके, संयुक्त राज्य अमेरिका खुले तौर पर उन लोगों का पक्ष ले रहा है जो मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं और उसे छिपाते हैं।
  • ICC मृत्युदण्ड नहीं दे सकता; मामलों की गंभीरता के अनुसार, उचित होने पर यह 30 वर्ष या आजीवन कारावास तक की दीर्घकालिक अवधि के लिये कारावास दे सकता है।
  • ICC न्यायालय के पास कोई भूतलक्षी अधिकारिता नहीं है, क्योंकि यह केवल 1 जुलाई, 2002 के बाद किये गए अपराधों से निपट सकता है, जब वर्ष 1998 रोम स्टेट्यूट लागू हुआ था।
  • ICC के पास केवल उस राज्य के क्षेत्र में किये गए अपराधों के लिये स्वचालित अधिकारिता है जिसने संधि की पुष्टि की है; या ऐसे राज्य के नागरिक द्वारा; या जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कोई मामला उसके पास भेजती है।
  • प्रक्रियात्मक एवं वास्तविक कमियों के कारण देरी और हताशा हुई, जिससे न्यायालय की प्रभावकारिता पर प्रश्नचिह्न उत्पन्न हुआ है।
  • इसे मानव संसाधन और निधि के आभाव का भी सामना करना पड़ता है।

ICC, ICJ से किस प्रकार भिन्न है?

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के विपरीत, UN-ICC संबंध एक अलग समझौते द्वारा शासित होने के साथ ICC संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा नहीं है
  • ICJ, जो संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है, मुख्य रूप से देशों के बीच विवादों की सुनवाई करता है। इसकी स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी और यह हेग (नीदरलैंड) में स्थित है। न्यायाधीश दलवीर भंडारी (भारत) इस न्यायालय के सदस्य हैं।
  • दूसरी ओर, ICC व्यक्तियों पर अभियोजन चलाता है - इसका अधिकार किसी सदस्य राज्य में या ऐसे राज्य के किसी नागरिक द्वारा किये गए अपराधों तक विस्तृत है।

भारत और ICC:

भारत ने रोम स्टेट्यूट पर हस्ताक्षर नहीं किये, और इस प्रकार, निम्नलिखित कारणों से ICC का सदस्य नहीं है:

  • राज्य की संप्रभुता
  • राष्ट्रीय हित
  • साक्ष्य एकत्र करने में कठिनाई
  • निष्पक्ष अभियोजक ढूँढ़ने में समस्या
  • अपराध की परिभाषा

आगे की राह

  • राज्यों को सक्रिय रूप से ICC के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिये और अंतर्राष्ट्रीय न्याय तथा ICC के जनादेश की पूर्ति की दिशा में काम करने वाले मानवाधिकार रक्षकों का समर्थन करना चाहिये।
  • अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये न्यायालय को संयुक्त राष्ट्र के अधिक स्थायी सदस्यों को शामिल करके तथा जाँच और अभियोजन को मज़बूत करके अपने दायरे को व्यापक बनाने की ज़रूरत है।
  • ICC की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय न्याय संघर्ष के बाद के समाजों में दीर्घकालिक शांति, स्थिरता और न्यायसंगत विकास में योगदान दे सकता है।
  • इसके अलावा यह जानना भी महत्त्वपूर्ण है कि ICC दुनिया भर में सेमिनारों और सम्मेलनों के माध्यम से सभी क्षेत्रों में समझ एवं सहयोग बनाने के लिये सक्रिय रूप से कार्य करता है।