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सांविधानिक विधि
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राधे श्याम राय (2009) 5 SCC 577
« »11-Aug-2023
परिचय
● उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राधे श्याम राय भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष 2009 का संवैधानिक विधि प्रकरण/वाद है, जो भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 12 के तहत "राज्य" के अर्थ की व्याख्या और एक सहकारी समिति अर्थात् उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान पर इसकी प्रयोज्यता से संबंधित है।
तथ्य
● याचिकाकर्त्ता ने उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संगठन में डेटा प्रोसेसिंग अधिकारी के रूप में कार्य किया है।
o सरकार द्वारा स्थापित यह संस्थान राज्य द्वारा चीनी के उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से गन्ना किसानों और संबंधित व्यक्तियों को प्रशिक्षण एवं ज्ञान प्रदान करने जैसे कार्य करती थी, जो शुरू में गन्ना विकास विभाग द्वारा किया जाता था।
● 28 अप्रैल, 1997 को इस सोसायटी की शासी परिषद (Governing council) ने डेटा प्रोसेसिंग अधिकारियों के पदों को समाप्त कर दिया और प्रतिवादी की सेवाओं को बर्खास्त कर दिया गया।
● इस निर्णय से व्यथित होकर, उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष एक रिट याचिका दायर की, जिसे खारिज़ कर दिया गया।
● बाद में, इस प्रकरण/वाद को उच्च न्यायालय की पूर्ण न्यायाधीश पीठ को भेज दिया गया।
o पूर्ण पीठ ने माना कि एक प्राधिकरण होने के नाते संस्थान भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ में 'राज्य' की परिभाषा के दायरे के अंतर्गत आएगा।
● उपरोक्त निर्णय से व्यथित होकर, उत्तर प्रदेश राज्य ने यह अपील उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर की।
● इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने विचार किया, जिसमें न्यायमूर्ति एस. बी. सिन्हा और न्यायमूर्ति सीरिएक जोसेफ शामिल थे। बाद में, उसी न्यायालय की पूर्ण पीठ ने उनके निर्णय को पलट दिया।
शामिल मुद्दा
क्या उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान, उत्तर प्रदेश के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसाइटी, भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ के तहत एक 'राज्य' है?
विनिश्चय आधार (Ratio Decidendi)
● न्यायालय ने कहा कि यह संस्थान प्रशासनिक और कार्यात्मक दृष्टिकोण से राज्य पर निर्भर है।
o यह इस साक्ष्य पर आधारित है कि गवर्निंग काउंसिल के अधिकांश सदस्य राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत थे और सदस्यों को समय-समय पर राज्य सरकार के आदेशों का पालन करना पड़ता था।
● आर्थिक रूप से भी, यह पाया गया कि राज्य सरकार संस्थान के खर्च का लगभग 80% से 90% निधियन करती है।
● इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य राज्य द्वारा चीनी के उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से गन्ना किसानों को प्रशिक्षण और ज्ञान प्रदान करना है, जो राज्य का कार्य है।
टिप्पणियाँ
● संस्थान के वित्तीय, प्रशासनिक पहलुओं और उद्देश्यों के ऊपर उल्लिखित टिप्पणियों के आधार पर, न्यायाधीशों की पीठ ने इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत 'अन्य प्राधिकरणों' के अर्थ में एक 'राज्य' पाया।
● उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा दायर अपील को उच्च न्यायालय की पूर्ण न्यायाधीशों वाली पीठ के निर्णय को बरकरार रखते हुए खारिज़ कर दिया गया।
निष्कर्ष
इस दो-न्यायाधीशों वाली पीठ के माध्यम से, उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड बनाम मोहन लाल (1967), अजय हसिया बनाम खालिद मुजीब सेहरावर्दी (1981) और सबसे प्रसिद्ध प्रकरणों/वादों में लिये गए विगत् समुचित निर्णयों को दोहराया है। प्रदीप कुमार विश्वास बनाम भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान (2002) का प्रकरण/वाद, भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 की प्रयोज्यता से संबंधित प्रकरणों/वादों में शेष अस्पष्टता को दूर करता है।
टिप्पणियाँ
भारत के संविधान का अनुच्छेद 12 राज्य के अर्थ से संबंधित है, जिसमें जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, “राज्य” के अंतर्गत भारत की सरकार और संसद तथा राज्यों में से प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान- मंडल तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी हैं।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 226 कुछ रिट जारी करने की उच्च न्यायालय की शक्ति से संबंधित है, अनुच्छेद 32 में किसी बात के होते हुए भी प्रत्येक उच्च न्यायालय को उन राज्यक्षेत्रों में सर्वत्र, जिनके संबंध में वह अपनी अधिकारिता का प्रयोग करता है, भाग 3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों में से किसी को प्रवर्तित कराने के लिए और किसी अन्य प्रयोजन के लिए उन राज्यक्षेत्रों के भीतर किसी व्यक्ति या प्राधिकारी को या समुचित मामलों में किसी सरकार को ऐसे निदेश, आदेश या रिट जिनके अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा और उत्प्रेषण रिट हैं, जो भी समुचित हो, निकालने की शक्ति होगी।