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सांविधानिक विधि

Zee टेलीफिल्म्स बनाम भारत संघ (2005) 4 SCC 649

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 11-Aug-2023

परिचय

●    इस प्रकरण/वाद में, प्रश्न यह था कि क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अनुच्छेद 12 के अर्थ में "राज्य" था।

●    न्यायालय ने पाया कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) किसी संविधि द्वारा स्थापित नहीं है, उस पर वित्तीय, कार्यात्मक या प्रशासनिक रूप से भारत सरकार का नियंत्रण नहीं है और यह माना कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 12 के तहत एक राज्य नहीं कहा जा सकता है।

तथ्य

●    भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है।

●    ZEE टेलीफिल्म्स, (पहला याचिकाकर्त्ता), एक विश्व प्रसिद्ध खेल प्रसारण चैनल है। प्रतिवादी में भारत संघ, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और भारत में क्रिकेट की नियामक संस्था ESPN शामिल हैं।

●    दिनांक 7 अगस्त, 2004 को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने 4 वर्ष के लिये विशेष प्रसारण अधिकारों की नीलामी हेतु निविदाएँ आमंत्रित कीं, जिसके लिये ZEE और ESPN दोनों ने अपनी बोली लगाई है।

●    दोनों बोली लगाने वालों के साथ बातचीत के बाद, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने ZEE की बोली स्वीकार कर ली, जिसकी राशि 260,756,756.76 अमेरिकी डॉलर थी। ZEE ने नियमों और शर्तों से सहमत होकर स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर में 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर 92.50 करोड़ रुपये की राशि जमा की।

●    हालाँकि, बाद में बोर्ड ने प्रथम याचिकाकर्त्ता का अनुबंध समाप्त कर दिया।

●    बैंक गारंटी और/या ZEE टेलीफिल्म्स लिमिटेड द्वारा जमा की गई धनराशि के रूप में सिक्योरिटी तुरंत वापस कर दी जाती है।

●    इसलिये, ZEE टेलीफिल्म्स लिमिटेड ने निर्णय को मनमाना और भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए प्रसारण अधिकार रद्द करने के संबंध में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

शामिल मुद्दे

●    क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के दायरे में एक "राज्य" है?

●    क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की मनमानी कार्रवाई ZEE के मूल अधिकारों का उल्लंघन है?

●    क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के खिलाफ रिट याचिका सुनवाई योग्य है?

विनिश्चय आधार (Ratio Decidendi)

●    इस प्रकरण/वाद में न्यायालय ने कहा कि हालाँकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को क्रिकेट नियंत्रण पर एकाधिकार का दर्ज़ा प्राप्त है, लेकिन राज्य यह एकाधिकार नहीं देता है, न ही राज्य किसी संविधि के माध्यम से इस तरह के एकाधिकार की रक्षा करता है।

●    न्यायालय ने यह भी कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आर्थिक रूप से राज्य से स्वतंत्र है और राज्य की बोर्ड में कोई हिस्सेदारी नहीं है।

●    इन सभी टिप्पणियों के साथ, न्यायालय को इस तर्क से निपटने का कोई अर्थ नहीं दिखता कि प्रतिवादियों ने याचिकाकर्त्ता के मूल अधिकारों का उल्लंघन किया है।

●    केवल न्यायमूर्ति सिन्हा ने असहमतिपूर्ण राय दी कि बोर्ड अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है और इसलिये एक राज्य है।

टिप्पणियाँ

●    BCCI की वित्तीय, प्रशासनिक और सांविधिक स्वायत्तता के विषय में उल्लिखित टिप्पणियों के आधार पर, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत "अन्य निकायों" के अर्थ में एक "राज्य" नहीं है।

●    इसलिये, BCCI  द्वारा मनमाने ढंग से याचिकाकर्त्ता के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का कोई प्रश्न ही नहीं है।

निष्कर्ष

सभाजीत तिवारी बनाम भारत संघ (1975), प्रदीप कुमार विश्वास बनाम भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (2002) प्रकरण/वादों में लिये गए विगत् निर्णयों को दोहराया गया है और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ के भीतर "राज्य" की व्याख्या के संबंध में सभी अस्पष्टता को स्पष्ट करता है।

नोट 

भारत के संविधान का अनुच्छेद 12 राज्य के अर्थ से संबंधित है, जिसमें जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, “राज्य” के अंतर्गत भारत की सरकार और संसद तथा राज्यों में से प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान- मंडल तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी हैं।