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सिविल कानून
कपटपूर्ण अंतरण का सिद्धांत
« »02-Feb-2024
परिचय:
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (TOPA) की धारा 53, कपटपूर्ण अंतरण से संबंधित है, जो मुख्य रूप से लेनदारों को धोखा देने के उद्देश्य से संपत्ति के जानबूझकर अंतरण से संबंधित है।
- जैसा कि धारा 53 में बताया गया है, एक संपत्ति अंतरण को शून्य माना जाता है, जिससे किसी भी धोखाधड़ी करने वाले लेनदार को हस्तांतरण को रद्द करने का विकल्प मिलता है, जब तक कि अंतरिती ने संपत्ति सुविश्वास और मूल्यवान विचार हेतु प्राप्त नहीं की हो।
- इसके अतिरिक्त, यह धारा ऐसे अंतरणों को रद्द करने की प्रक्रिया की रूपरेखा भी बताती है।
- यह धारा अंतरण को रद्द करने के लिये एक प्रक्रिया भी प्रदान करती है।
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 53:
- अंतरणकर्त्ता के लेनदारों को पराजित करने या विलंब करने के आशय से किया गया अचल संपत्ति का प्रत्येक अंतरण किसी भी पराजित या विलंबित लेनदार के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा। इस उपधारा में कोई भी बात सुविश्वास और प्रतिफल के लिये अंतरित व्यक्ति के अधिकारों को समाप्त नहीं करेगी।
- उदाहरण के लिये: जब 'A' अपनी संपत्ति को अपने लेनदार की पहुँच से दूर रखने के आशय से संपत्ति का स्वामित्व दिये बिना अपनी संपत्ति 'B' को अंतरित करता है, तो ऐसे अंतरण को कपटपूर्ण अंतरण कहा जाता है।
- संपत्ति का कपटपूर्ण अंतरण नागरिक कार्रवाई का कारण बनता है। कपट करने वाले लेनदार के अनुरोध पर न्यायालय कपटपूर्ण वाले अंतरण को रद्द कर सकती है।
अनिवार्यता:
- अंतरणकर्त्ता बिना कोई प्रतिफल प्राप्त किये अचल संपत्ति का अंतरण करता है।
- अंतरण के पीछे का उद्देश्य भविष्य में हस्तांतरित होने वाले व्यक्ति को धोखा देना और लेनदारों के अधिकारों में बाधा डालना या स्थगित करना शामिल है।
- इस प्रकार का अंतरण शून्य हो सकता है, जिसका अर्थ यह है कि यह बाद के अंतरणकर्त्ता के विवेक पर शून्यकरणीय है।
अपवाद:
- धारा 53(a) के तहत सद्भाव:
- यदि संपत्ति अर्जित करने वाले व्यक्ति (अंतरिती) ने सद्भावना से काम किया और उसे अंतरणकर्त्ता के कपटपूर्ण आशय की कोई सूचना नहीं थी, तो हस्तांतरण रद्द नहीं किया जा सकता है।
- यहाँ सद्भावना का तात्पर्य ईमानदार विश्वास और अंतरणकर्त्ता की ओर से किसी भी धोखाधड़ी के आशय के बारे में ज्ञान की कमी से है।
- यदि अंतरणकर्त्ता यह सिद्ध कर सकता है, कि उसने धोखाधड़ी के आशय की जानकारी के बिना संपत्ति अर्जित की है, तो अंतरण को वैध माना जा सकता है।
- धारा 53(b) के तहत लेनदार का दिवालियापन:
- एक अन्य अपवाद तब होता है, जब हस्तांतरणकर्त्ता को हस्तांतरण द्वारा दिवालिया नहीं किया गया था और हस्तांतरण पर्याप्त विचार हेतु किया गया था।
- यदि हस्तांतरणकर्त्ता अंतरण के बाद भी ऋणशोधक्षम (solvent) बना रहता है, जिसमें हस्तांतरण पर्याप्त प्रतिफल के साथ वैध उद्देश्य के लिये किया गया था, तो इसे कपटपूर्ण नहीं माना जा सकता है, भले ही इससे ऋणदाता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हो।
फर्ज़ी हस्तांतरण के तहत मुकदमा कायम करना:
- किसी भी अनुबंध की गोपनीयता का पालन किया जाता है, अर्थात् केवल अनुबंध के पक्षकार ही मुकदमा कर सकते हैं। इसलिये, कोई भी तीसरा पक्षकार लेनदार की ओर से मुकदमा नहीं कर सकता, जो मुकदमे का पक्षकार नहीं है।
- मुकदमा लेनदार द्वारा इस आधार पर स्थापित किया गया है, कि हस्तांतरण अंतरणकर्त्ता के लेनदारों को पराजित करने या विलंब करने के लिये किया गया है।
- मुकदमा, प्रतिनिधि श्रेणी या सभी लेनदारों के लाभ के लिये स्थापित किया गया है।
- इसका उद्देश्य एक ही विषय पर विपरीत पक्षकार/पक्षकारों के विरुद्ध अनेक मुकदमों से बचना है। किसी लेनदार के मुकदमे को खारिज़ करना सभी लेनदारों पर बाध्यकारी होगा।
साक्ष्यों का बोझ:
- लेनदारों पर प्रारंभिक बोझ:
- संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 53 के तहत बोझ लेनदारों पर पड़ता है।
- उन्होंने फर्ज़ी हस्तांतरण के आधार पर देनदार पर मुकदमा करते हुए कानूनी कार्रवाई शुरू की।
- लेनदार का दावा:
- लेनदार को यह स्थापित करना होगा कि हस्तांतरण कपटपूर्ण था।
- इसका उद्देश्य यह दिखाना है, कि अंतरण का उद्देश्य लेनदार के दावों को पराजित करना या विलंबित करना था।
- बोझ में बदलाव:
- लेनदार के उत्तरदायी साक्ष्यों पर, बोझ हस्तांतरित व्यक्ति पर अंतरित हो जाता है।
- अंतरित व्यक्ति का बचाव:
- अंतरित व्यक्ति को संपत्ति अर्जित करने में सुविश्वास सिद्ध करना होगा।
- बोझ में मूल्य के लिये वास्तविक खरीद का प्रदर्शन शामिल है।
- अंतरिती को कपटपूर्ण अंतरण में असंलिप्तता दिखानी होगी।
- अंतरित व्यक्ति के लिये ढाल के रूप में अनुभाग:
- हस्तांतरित व्यक्ति धारा 53 का उपयोग रक्षा तंत्र के रूप में कर सकता है।
- कपटपूर्ण संलिप्तता के आरोपों से सुरक्षा।
- ऋणदाता का स्वोर्ड (Sword) के रूप में प्रयोग:
- धारा 53 लेनदारों के लिये एक वैधानिक हथियार के रूप में कार्य करती है।
- यह कपटपूर्ण अंतरण के मामले में देनदार को चुनौती देने और उस पर मुकदमा करने की अनुमति देती है।
निर्णयज विधि:
- करीम डैड बनाम असिस्टेंट कमिश्नर (1999):
- यदि संपूर्ण संव्यवहार कपटपूर्ण एवं गलत बयानी पर आधारित है, तो जाली और मनगढ़ंत विलेख का उपयोग करके हस्तांतरित व्यक्ति को कोई वैध शीर्षक नहीं दिया जा सकता है।
- मुसहर साहू बनाम लाला हाकिम लाल (1951):
- यह कपटपूर्ण नहीं होगा, यदि देनदार एक लेनदार को भुगतान करना चाहता है और दूसरों को अवैतनिक छोड़ देता है, बशर्ते कि उसे कोई लाभ की आवश्यकता नहीं है।