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आपराधिक कानून
फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC)
« »27-Mar-2024
स्रोत: द हिंदू
परिचय:
लगभग साढ़े चार साल बाद, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) विशेष रूप से बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराधों से निपटने के लिये देश भर में स्थापित किये गए थे। विशेष न्यायालय प्रति वर्ष 165 मामलों की अपनी वार्षिक लक्षित निपटान दर से कम हो गए हैं।
FTSC का इतिहास क्या है?
- महिलाओं और बालकों के विरुद्ध अपराधों को रोकने के लिये दाण्डिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 के माध्यम से सख्त कानून पेश किये गए।
- उच्चतम न्यायालय ने लंबित मामलों का मुद्दा उठाया और जुलाई, 2019 में कई निर्देश पारित किये, जिसमें देश के सभी ज़िलों में विशेष न्यायालय स्थापित करने का आह्वान किया गया, जहाँ लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO अधिनियम) के 100 से अधिक मामले दर्ज किये गए हैं।
- उच्चतम न्यायालय के निर्देश का अनुपालन करने के लिये, केंद्र ने अगस्त, 2019 में FTSC लॉन्च किया।
FTSC क्या हैं?
- परिचय:
- FTSC भारत में स्थापित विशेष न्यायालय हैं जिनका प्राथमिक उद्देश्य लैंगिक अपराधों से संबंधित मामलों, विशेष रूप से बलात्कार और POCSO अधिनियम के उल्लंघन से जुड़े मामलों की सुनवाई प्रक्रिया में तेज़ी लाना है।
- FTSC की स्थापना को सरकार द्वारा लैंगिक अपराधों की चिंताजनक आवृत्ति और नियमित न्यायालयों में मुकदमों की लंबी अवधि, जिनके परिणामस्वरूप पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी होती थी, की मान्यता के कारण प्रेरित किया गया।
- स्थापना:
- केंद्र सरकार ने 2018 में दाण्डिक विधि (संशोधन) अधिनियम लागू किया, जिसमें बलात्कार अपराधियों के लिये मृत्युदण्ड सहित सख्त सज़ाएँ पेश की गईं।
- इसके बाद, ऐसे मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिये FTSC की स्थापना की गई।
- केंद्र प्रायोजित योजना:
- FTSC स्थापित करने की योजना अगस्त, 2019 में एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में भारत के उच्चतम न्यायालय के स्वत: संज्ञान रिट याचिका (आपराधिक) में निर्देशों के बाद तैयार की गई थी।
- मंत्रालय:
- न्याय विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित।
FTSC की उपलब्धियाँ क्या हैं?
- भारत के कुल तीस राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इस योजना में भाग लिया है और 414 विशिष्ट POCSO न्यायालयों सहित 761 FTSC का संचालन किया है, जिन्होंने 1,95,000 से अधिक मामलों का समाधान किया है।
- ये न्यायालय दूर-दराज़ के इलाकों में भी लैंगिक अपराधों के पीड़ितों को समय पर न्याय प्रदान करने के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हैं।
FTSC के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा
- न्यूनतम निपटान दर
- लंबे समय तक लंबित मामले
- न्यूनतम सज़ा दर
- सीमित अधिकारिता
- कुछ अपराधों को अन्य अपराधों से अधिक प्राथमिकता
- अत्यधिक मामलों के भार से प्रभावित न्यायाधीश
- प्रशिक्षण की कमी
- स्पष्ट आदेश की कमी
आगे की राह
- सुचारू एवं कुशल संचालन सुनिश्चित करने के लिये FTSC को कोर्ट रूम, सहायक कर्मचारी और आधुनिक तकनीक सहित पर्याप्त बुनियादी ढाँचा प्रदान किया जाना चाहिये।
- इन विशिष्ट न्यायालयों की स्थापना और रखरखाव के लिये अतिरिक्त धन आवंटित किया जाना चाहिये।
- निपटान दर को बढ़ाने के लिये, FTSC को सख्त मामले प्रबंधन, स्थगन के कारण होने वाली अनावश्यक देरी को कम करने और साक्ष्य की समय पर प्रस्तुति सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- न्यायाधीशों और सहायक कर्मचारियों के लिये विशेष प्रशिक्षण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने तथा कार्यवाही की गति बेहतर करने में सहायता कर सकता है।
- रिक्तियों को तुरंत भरने के प्रयास किये जाने चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि प्रासंगिक विशेषज्ञता वाले न्यायाधीशों को इन न्यायालयों में नियुक्त किया जाए।