GANHRI की मान्यता (प्रत्यानन)
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अंतर्राष्ट्रीय कानून

GANHRI की मान्यता (प्रत्यानन)

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 23-May-2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

परिचय:

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय से जुड़ी एक संस्था ने भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की मान्यता लगातार दूसरे वर्ष स्थगित कर दी है। जिनेवा स्थित राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों का वैश्विक गठबंधन (GANHRI) ने NHRC की मान्यता रोक दी है, जो आयोग के लिये भारत का प्रतिनिधित्व करने एवं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान में भाग लेने के लिये एक आवश्यक अर्हता है।

GANHRI - राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों का वैश्विक गठबंधन क्या है?

  • इतिहास एवं गठन:
    • इसकी स्थापना वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पेरिस सिद्धांतों को अपनाने के बाद की गई थी।
    • इसे पहले यह NHRI की अंतर्राष्ट्रीय समन्वय समिति (ICC) के रूप में जाना जाता था।
    • इसका गठन वर्ष 1993 में ट्यूनिस में आयोजित NHRIs की एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में किया गया था।
    • संयुक्त राष्ट्र ने NHRI एवं GANHRI को सशक्त करने के लिये कई प्रस्ताव अपनाए हैं।
  • भूमिका एवं कार्य:
    • दुनिया भर में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के लिये वैश्विक गठबंधन/एसोसिएशन के रूप में कार्य करता है:
    • NHRI को प्रभावी एवं मान्यता प्राप्त निकाय के रूप में बढ़ावा देना एवं सशक्त करता है।
    • NHRI के मध्य सूचना, अनुभव एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का समर्थन करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर NHRI की संयुक्त गतिविधियों एवं पदों का समन्वय करता है।
  • मान्यता की प्रक्रिया:
    • GANHRI का मुख्य कार्य अपनी प्रत्यायन (मान्यता) उपसमिति (SCA) के माध्यम से NHRI को मान्यता देना है।
    • पेरिस सिद्धांतों के अनुपालन का आकलन करने के लिये प्रत्येक 5 वर्ष में NHRI की समीक्षा की जाती है।
    • समीक्षा के आधार पर, उन्हें 'A' का दर्जा (पूर्ण अनुपालन) या 'B' का दर्जा (आंशिक अनुपालन) प्रदान किया जाता है।
    • 'A' का दर्जा NHRI को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद एवं तंत्र में भागीदारी की अनुमति देती है।
  • संरचना एवं शासन:
    • 16 सदस्यों वाला GANHRI ब्यूरो इसके (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद) वैश्विक शासी निकाय के रूप में कार्य करता है।
    • ब्यूरो क्षेत्रों से चुना जाता है तथा इसमें मान्यता की स्थिति के आधार पर प्रतिनिधित्व होता है।
    • एक अध्यक्ष एवं 4 क्षेत्रीय उपाध्यक्ष ब्यूरो का नेतृत्व करते हैं।
    • GANHRI सचिवालय जिनेवा में स्थित है तथा इसका नेतृत्व एक सचिव करता है।

GANHRI की मान्यता का महत्त्व क्या है?

  • मान्यता प्राप्त 'A' दर्जे वाले NHRI संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठकों में भाग ले सकते हैं, मतदान कर सकते हैं तथा GANHRI के अंदर शासकीय पद प्राप्त कर सकते हैं।
  • मान्यता के बिना संयुक्त राष्ट्र मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिये NHRC की क्षमता को प्रतिबंधित करती है।
  • NHRC की स्वतंत्रता, क्षमता एवं निष्पक्षता के साथ-साथ विलंब भी चिंता का विषय है।

NHRC - राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है?

  • इतिहास एवं स्थापना:
    • NHRC का गठन 12 अक्टूबर 1993 को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत किया गया था।
    • यह अधिनियम भारत में मानवाधिकारों की बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिये संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1991 में संयुक्त राष्ट्र कार्यशाला में अपनाए गए पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप की गई थी।
    • पेरिस सिद्धांत राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के प्रभावी कार्यप्रणाली के लिये न्यूनतम मानक प्रदान करते हैं।
    • NHRC दुनिया के कुछ NHRI में से एक है, जिसका नेतृत्व पूर्व मुख्य न्यायाधीश करते हैं।
  • अधिदेश एवं कार्य:
    • देश में मानवाधिकारों की रक्षा एवं संवर्धन के लिये व्यापक वैधानिक अधिदेश।
    • संविधान द्वारा प्रदत्त जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमा से संबंधित अधिकारों को शामिल करता है।
    • लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के किसी भी उल्लंघन या लापरवाही की जाँच कर सकते हैं।
    • मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिये संवैधानिक/विधिक सुरक्षा उपायों की समीक्षा करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय संधियों का अध्ययन करता है तथा प्रभावी कार्यान्वयन की अनुशंसा करता है।
    • विभिन्न वर्गों के मध्य मानवाधिकार साक्षरता एवं जागरूकता फैलाता है।
  • शक्तियाँ एवं उत्तरदायित्व:
    • इसमें पूछताछ या विवेचना करते समय सिविल कोर्ट की शक्तियाँ होती हैं।
    • यह साक्षियों को बुला सकता है, साक्ष्य प्राप्त कर सकता है, सार्वजनिक रिकॉर्ड की मांग कर सकता है।
    • यह उल्लंघनों के लिये क्षतिपूर्ति या क्षति के भुगतान की अनुशंसा कर सकता है।
    • यह निर्देशों, आदेशों या रिट के लिये उच्चतम न्यायालय/उच्च न्यायालयों से संपर्क कर सकता है।
    • यह अभिरक्षा, यातना, नस्लीय भेदभाव आदि से संबंधित अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिये उत्तरदायी है।
    • यह संसद एवं राज्य विधानमंडलों को वार्षिक एवं विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
  • संरचना एवं संघटन:
    • अध्यक्ष: भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
    • 5 सदस्य: सेवानिवृत्त न्यायाधीश, मानवाधिकार पृष्ठभूमि वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति
    • 7 मानद सदस्य: राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष (महिला, अल्पसंख्यक, SCs, STs आदि)
    • महासचिव एवं जाँच/प्रशासनिक विभाग द्वारा समर्थित

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद क्या है?

  • अवलोकन:
    • मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंतर्गत एक अंतरसरकारी निकाय है, जो वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों को बढ़ावा देने एवं उनकी रक्षा करने के लिये उत्तरदायी है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी, यह मानवाधिकारों के उल्लंघन एवं ध्यान देने की आवश्यकता वाली स्थितियों को संबोधित करने के लिये प्राथमिक बहुपक्षीय मंच के रूप में कार्य करता है।
    • परिषद जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में स्थित है।
  • संरचना एवं संघटन:
    • मानवाधिकार परिषद में महासभा में बहुमत से चुने गए 47 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश शामिल हैं।
    • सीटों को क्षेत्रीय समूहों में समान रूप से वितरित किया जाता है, जिसमें एक तिहाई सदस्यों को तीन वर्ष की अवधि के लिये प्रतिवर्ष नवीनीकृत किया जाता है।
    • दिसंबर 2022 तक, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 123 ने वैश्विक विविधता को दर्शाते हुए परिषद में कार्य किया है।
    • परिषद में एक ब्यूरो होता है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्रीय समूह का प्रतिनिधित्व करने वाला एक अध्यक्ष एवं चार उपाध्यक्ष होते हैं।
  • कार्य एवं तंत्र:
    • नियमित एवं विशेष सत्र: परिषद पूरे वर्ष नियमित सत्र आयोजित करती है तथा आकस्मिक मानवाधिकार संकटों पर प्रतिक्रिया देने के लिये विशेष सत्र बुला सकती है।
    • सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR): एक राज्य के नेतृत्व वाला तंत्र, जो समय-समय पर सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड की समीक्षा करता है।
    • विशेष प्रक्रियाएँ: विशिष्ट मानवाधिकार विषयों या देश की स्थितियों पर निगरानी एवं रिपोर्ट करने के लिये स्वतंत्र विशेषज्ञों को नियुक्त किया जाता है।
    • सलाहकार समिति: विषयगत मानवाधिकार मुद्दों पर परिषद को विशेषज्ञता एवं सलाह प्रदान करती है।
    • शिकायत प्रक्रिया: व्यक्तियों एवं संगठनों को मानवाधिकार उल्लंघनों को परिषद के ध्यान में लाने की अनुमति देती है।
    • संकल्प और निर्णय: परिषद मानवाधिकार मामलों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के रुख को व्यक्त करते हुए संकल्प एवं निर्णय अपनाती है।
    • जाँच आयोग एवं तथ्य-खोज मिशन: कथित युद्ध अपराधों, मानवता के विरुद्ध अपराधों एवं अन्य मानवाधिकार उल्लंघनों पर जाँच और रिपोर्ट करता है।
  • समर्थन एवं सहयोग:
    • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) का कार्यालय मानवाधिकार परिषद को ठोस, तकनीकी एवं सचिवालयी सहायता प्रदान करता है।
    • संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश मानवाधिकारों को बनाए रखने और सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा एवं विशेष प्रक्रियाओं सहित परिषद के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
    • महासभा संपूर्ण एवं व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में किसी सदस्य राज्य की भागीदारी को निलंबित कर सकती है।

स्थगन के कारण क्या हैं?

  • भारत की मान्यता में विलंब के विशिष्ट कारण स्पष्ट नहीं हैं, क्योंकि GANHRI ने अभी तक अपनी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है।
  • बहरहाल, पिछले वर्ष की रिपोर्ट में NHRC नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी, हितों के संभावित टकराव एवं अल्पसंख्यक या महिला प्रतिनिधित्व की अनुपस्थिति जैसी चिंताओं की ओर इशारा किया गया था।
  • इसके अतिरिक्त, एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित मानवाधिकार संगठनों ने भारत में घटते नागरिक स्थान एवं अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भेदभाव के बारे में चिंताओं के कारण NHRC की 'A' रेटिंग का पुनर्मूल्यांकन करने के लिये GANHRI की बैठक बुलाई गई है।

आगे का रास्ता:

  • चूँकि भारत GANHRI के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है, NHRC की विश्वसनीयता एवं प्रभावशीलता जाँच के दायरे में है।
  • उठाई गई चिंताओं को संबोधित करना, स्वतंत्रता एवं बहुलवाद सुनिश्चित करना, पेरिस सिद्धांतों का पालन करना, देश के शीर्ष मानवाधिकार निगरानीकर्त्ता के लिये भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता प्राप्त करने के लिये  महत्त्वपूर्ण होगा।