ज्यूडिशियरी फाउंडेशन कोर्स (नई दिल्ली)   |   ज्यूडिशियरी फाउंडेशन कोर्स (प्रयागराज)










होम / एडिटोरियल

पर्यावरणीय विधि

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड मामला

    «    »
 05-Apr-2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

परिचय:

एम.के. रणजीतसिंह बनाम भारत संघ (2021) मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) को संरक्षित करने के लिये चल रहे प्रयासों के साथ-साथ उन्हीं क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा पहल को बढ़ावा दिया।

पृष्ठभूमि:

एम.के. रणजीतसिंह बनाम भारत संघ (2021) मामले में इस प्रजाति के पक्षी के प्रति गंभीर खतरे को संज्ञान में लिया, याचिकाकर्त्ता ने गुजरात एवं राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में पाई जाने वाली GIB जनसंख्या पर ओवरहेड बिजली के तारों के हानिकारक प्रभाव को रेखांकित किया।

2021 का निर्णय क्या है?

  • अप्रैल 2021 में, उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, जिसमें मौजूदा ओवरहेड बिजली के तारों पर बर्ड डायवर्टर लगाने को अनिवार्य किया गया तथा भविष्य की परियोजनाओं के लिये ऐसे केबल तारों को भूमिगत तंत्र में विस्थापित करने पर विचार किया गया।
  • न्यायालय ने कहा कि “उन सभी मामलों में जहाँ प्राथमिकता एवं संभावित GIB क्षेत्र में आज ओवरहेड बिजली की केबल तारें मौजूद हैं, उत्तरदायी विधिक व्यक्तियों को ओवरहेड केबल तारों को भूमिगत बिजली तंत्र में विस्थापित करने के उद्देश्य पर विचार होने तक डायवर्टर लगाने के लिये त्वरित कदम उठाने होंगे। ऐसे सभी मामलों में जहाँ ओवरहेड केबल तारों को भूमिगत बिजली तंत्र में परिवर्तित करना संभव होते हुए पाया जाता है, उसे एक वर्ष की अवधि की समयावधि के भीतर पूरा कर लिया जाएगा तथा उस समय तक डायवर्टर को मौजूदा बिजली केबल तारों से लटका दिया जाएगा।

2021 के निर्णय के बाद क्या चुनौतियाँ एवं जटिलताएँ हैं?

  • हालाँकि 2021 के निर्णय के व्यावहारिक कार्यान्वयन में बाधाओं का सामना करना पड़ा, विशेष रूप से थार एवं कच्छ क्षेत्रों में बढ़ते नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के संबंध में।
  • संरक्षण अनिवार्यताओं एवं आर्थिक हितों के बीच टकराव ने नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों एवं केंद्र सरकार सहित विभिन्न हितधारकों के संतुलित दृष्टिकोण के लिये न्यायालय में याचिका दायर करने के लिये प्रेरित किया।

मार्च 2024 का आदेश क्या है?

  • बढ़ती चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए , उच्चतम न्यायालय ने इसमें सम्मिलित सभी पक्षों द्वारा सुझाई गई गंभीर चिंताओं को दूर करने के लिये बैठक बुलाई।
  • एक सूक्ष्म समाधान की आवश्यकता को पहचानते हुए, न्यायालय ने GIB प्राकृतिक आवास के विशाल विस्तार में भूमिगत बिजली केबल तारों के उपयोग में लाने की व्यवहारिकता पर विचार-विमर्श किया।
  • परिणामस्वरूप, इस मामले पर सिफारिशें प्रदान करने के लिये विद्युत मंत्रालय के अधीन एक तकनीकी समिति स्थापित करने का प्रस्ताव आया।

2024 के आदेश के बाद आगे क्या कदम उठाए गए?

  • प्रस्तुत अलग-अलग दृष्टिकोणों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक सात सदस्यीय समिति की स्थापना की है, जिसे GIB के संरक्षण उपायों को रेखांकित करने एवं 'प्राथमिकता' निवास क्षेत्रों के अंदर केबल लाइन निर्माण के लिये उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करने का काम सौंपा गया है।
  • इस सक्रिय उपाय का उद्देश्य हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना एवं व्यावहारिक रणनीतियों को तैयार करना है, जो सतत् विकास की अनिवार्यताओं के साथ संरक्षण लक्ष्यों को समेटते हैं।

निष्कर्ष:

  • समिति का गठन वन्यजीव संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार के बीच जटिल अंतर-संबंध को संबोधित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। जैसा कि समिति अपने कार्य पर आगे बढ़ रही है, यह उन नीतियों को आकार देने की कुंजी रखती है जो सामाजिक-आर्थिक प्रगति के साथ पर्यावरण संरक्षण को सुसंगत बनाती हैं, जिससे भारत में GIB एवं नवीकरणीय ऊर्जा की सीमाएँ दोनों के लिये एक उज्ज्वल और सतत् भविष्य सुनिश्चित होता है।