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सांविधानिक विधि
भारतीय चुनावों में कैदियों की भागीदारी
« »30-May-2024
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
परिचय
उच्चतम न्यायालय ने यह उदहारण स्थापित किया है कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव भारत के संविधान के "मूल ढाँचे" का एक अभिन्न अंग है तथा इस सिद्धांत का खंडन करने वाली किसी भी विधि या नीति को अमान्य घोषित किया जा सकता है। यद्यपि भारत में मतदान के अधिकार को, मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं दी गई है, फिर भी न्यायपालिका ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने एवं शासन की वैधता सुनिश्चित करने में इसके महत्त्व की पुष्टि की है।
- असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद एक व्यक्ति को 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिये, पंजाब की खडूर साहिब सीट से उम्मीदवार घोषित किये जाने से चुनावी प्रक्रिया की पात्रता एवं अखंडता के विषय में जटिल विधिक और संवैधानिक प्रश्न उठे हैं।
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव से संबंधित प्रमुख मामले क्या हैं?
- इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण (1975)
- इस ऐतिहासिक मामले में उच्चतम न्यायालय ने माना कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संविधान के "मूल ढाँचे" का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- इस उदहारण ने यह स्थापित कर दिया कि इस सिद्धांत का उल्लंघन करने वाली किसी भी विधि अथवा नीति को न्यायिक रूप से अमान्य घोषित किया जा सकता है।
- अनुकूल चंद्र प्रधान, अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय बनाम भारत संघ। (1997)
- 1997 में उच्चतम न्यायालय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
- यह प्रावधान प्रभावी रूप से उन व्यक्तियों को मतदान करने से रोकता है जिनके विरुद्ध आपराधिक आरोप तय किये गए हैं, सिवाय उन लोगों के जो निवारक निरूद्धि में हैं तथा जिन्हें अपवादस्वरूप मतदान करने की अनुमति दी गई है।
- इसका अर्थ यह है कि व्यक्तियों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिये या तो ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिये या बरी किया जाना चाहिये।
- कुलदीप नायर बनाम भारत संघ (2006)
- पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मतदान का अधिकार या चुनाव का अधिकार मात्र एक वैधानिक अधिकार है।
- इस वर्गीकरण से पता चलता है कि मतदान को मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं दिया गया है तथा सैद्धांतिक रूप से इसे रद्द किया जा सकता है।
- उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन के अधिकार एवं निर्वाचित होने के अधिकार के बीच अंतर किया है, जबकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संवैधानिक ढाँचे के लिये महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
- इसी प्रकार, निर्वाचित होने के अधिकार को भी पीठ ने वैधानिक अधिकार के रूप में वर्गीकृत किया, जिसका अर्थ है कि संसद द्वारा पारित विधियाँ इन दोनों अधिकारों को विनियमित कर सकती हैं।
चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार क्यों माना जाता है जबकि मतदान करना मौलिक अधिकार नहीं माना जाता?
- चुनाव लड़ना एक मौलिक अधिकार माना जाता है क्योंकि इसमें किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद के लिये स्वयं को उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की स्वायत्तता और स्वतंत्रता शामिल होती है।
- यह राजनीतिक अभिव्यक्ति के सिद्धांत को मूर्त रूप देता है और नागरिकों को शासन में सक्रिय रूप से योगदान करने की अनुमति देता है।
- दूसरी ओर, मतदान करना लोकतंत्र के लिये आवश्यक है, लेकिन भारत में इसे स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।
- इसे कुछ सीमाओं के अधीन एक वैधानिक विशेषाधिकार माना जाता है, जो चुनावी प्रक्रियाओं पर सरकार के नियामक अधिकार को दर्शाता है।
कौन-सा प्रावधान केवल दोषसिद्धि के बाद ही चुनाव लड़ने पर रोक लगाता है?
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 जिसका शीर्षक है "कुछ अपराधों के लिये दोषसिद्धि पर अयोग्यता", निर्दिष्ट अपराधों के लिये दोषी ठहराए गए व्यक्तियों के लिये संसद या राज्य विधानसभाओं के लिये चुनाव लड़ने से अयोग्यता का प्रावधान करती है।
- अयोग्यता दोषसिद्धि की तारीख से प्रभावी होती है तथा रिहाई की तारीख से चुनाव लड़ने पर छह साल का प्रतिबंध होता है।
- उल्लेखनीय बात यह है कि यह अयोग्यता केवल दोषी ठहराए गए व्यक्तियों पर लागू होती है, तथा केवल आपराधिक अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर लागू नहीं होती।
- हाल के वर्षों में उच्चतम न्यायालय में धारा 8 को लेकर दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ देखी गई हैं, जो चुनाव उम्मीदवारों के लिये आपराधिक दोषसिद्धि के आधार पर अयोग्यता मानदंड के विषय में चल रही बहस को रेखांकित करती हैं।
- पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन की 2011 की याचिका का उद्देश्य आपराधिक आरोपों वाले व्यक्तियों या अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में गलत शपथ-पत्र देने वाले व्यक्तियों को अयोग्य ठहराना था। हालाँकि उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से निर्णय दिया कि केवल विधायिका ही जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन कर सकती है।
- 2016 में अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दोषी व्यक्तियों की स्थायी अयोग्यता के लिये याचिका दायर की थी। यह मामला अभी भी चल रहा है और नवंबर 2023 में उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालयों को सांसदों एवं विधायकों के विरुद्ध मामलों में तेज़ी लाने का निर्देश दिया, अप्रैल 2024 में एक रिपोर्ट में 4,472 लंबित मामलों का खुलासा किया गया।
कैदियों के मतदान करने के अधिकार से संबंधित प्रावधान क्या हैं?
- संविधान के अनुच्छेद 326 के अधीन मतदान का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के अधीन, पुलिस की वैध अभिरक्षा में रहने वाले व्यक्ति एवं दोषसिद्धि के उपरांत कारावास का दण्ड प्राप्त कर रहे व्यक्ति मतदान नहीं कर सकते। विचाराधीन कैदियों को भी चुनाव में भाग लेने से बाहर रखा जाता है, भले ही उनका नाम मतदाता सूची में हो।
- केवल निवारक निरूद्धि वाले लोग ही डाक मत-पत्र के माध्यम से मतदान कर सकते हैं।
अयोग्यता के अपवाद क्या हैं?
- भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत अयोग्यता अवधि को कम करने या समाप्त करने का अधिकार है।
- 2019 में ECI ने सिक्किम के मुख्यमंत्री के लिये अयोग्यता अवधि को कम करने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग किया, जिन्होंने गाय खरीद में धन के गबन के लिये एक वर्ष के कारावास का दण्ड प्राप्त करने के उपरांत पोकलोक कामरंग विधानसभा सीट के लिये उपचुनाव जीता था।
- अयोग्य ठहराए गए सांसद या विधायक तब भी चुनाव लड़ सकते हैं, जब उच्च न्यायालय में की गयी अपील पर उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी जाती है, जैसा कि 2019 में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया था। एक बार दोषसिद्धि पर रोक लग जाने पर, उसके परिणामस्वरूप होने वाली अयोग्यता निलंबित हो जाती है।
- 2020 में बहुजन समाज पार्टी के एक पूर्व सांसद को अपहरण के आरोप में दोषी ठहराया गया था, उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिये इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अपनी सज़ा पर रोक लगाने की मांग की थी। हालाँकि उन्हें ज़मानत मिल गई थी, परंतु न्यायालय ने राजनीतिक ईमानदारी के महत्त्व का हवाला देते हुए सज़ा पर रोक लगाने से मना कर दिया था।
निष्कर्ष
जेल में रहने के बावजूद, 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से एक व्यक्ति द्वारा पंजाब की खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा, भारत में चुनावी प्रक्रिया की पात्रता और अखंडता से जुड़ी ज़टिल विधिक तथा संवैधानिक चुनौतियों को उजागर करती है।